कुछ दिन पूर्व दो ऐसी महिलाओं से मुलाकात हुई, जिनकी प्रतिभाशाली बेटियों की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। अपनी लाड़ली पुत्रियों को सदा-सदा के लिए खो चुकी इन माताओं के साथ हमारा समाज कैसी बेअदबी और निष्ठुरता के साथ पेश आता है, इस सच को जान कर बहुत पीड़ा हुई। उनकी आपबीती सुनकर जब सुनने और जानने वालों का मन आहत हो जाता है तो सोचें, कि इन मांओं पर क्या बीती होगी। होना तो यह चाहिए था कि इनके प्रति आदर और सहानुभूति दर्शायी जाती। इनके धैर्य और हौसले को सराहा जाता। आप ही बतायें कि इन्हें कसूरवार ठहराना कहां तक जायज है? शहर के नामी स्कूल की सम्मानित शिक्षिका रहीं रजनी वर्मा की इक्कीस वर्षीय पुत्री एक रात अपने मित्र के साथ थियेटर में पिक्चर देख कर लौट रही थी। दोनों किसी मॉल में काम करते थे। उस दिन छुट्टी के बाद उनका बहुत दिनों के बाद फिल्म देखने का मन हुआ था। रजनी वर्मा की बेटी अलका अत्यंत ही खुले विचारों की होने के बावजूद अनुशासन और मर्यादा के साथ जीने में यकीन रखती थी। वह जहां भी जाती, मां को खबर करना नहीं भूलती। उस रात भी उसने मां को बता दिया था कि घर आने में देरी हो सकती है। चिन्ता मत करना। रात को रजनी वर्मा की कब आंख लगी, पता ही नहीं चला। सुबह तक रजनी की पूरी दुनिया लुट चुकी थी। तीन-चार नकाबपोशों ने अलका का रेप करने के पश्चात उसे रेल की पटरियों पर मरने के लिए फेंक दिया था। उनका दोस्त किसी तरह से बच-बचाकर पुलिस तक पहुंचा था। पुलिस ने तुरंत अलका को अस्पताल पहुंचाया था, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वह बच नहीं पाई थी। बेटी की क्षत-विक्षत लाश रजनी ने कैसे देखी और उन पर क्या गुजरी इस बारे में उन्होंने कभी किसी को कुछ नहीं बताया। आंखों में आंसू अटके के अटके रह गये। पति के गुजर जाने के बाद इकलौती बेटी की परवरिश में कोई कमी नहीं करने वाली रजनी के जीवन में आया भूचाल अभी तक नहीं थमा है। कोर्ट-कचहरी और वकीलों की फीस ने अधमरा कर दिया है। पुश्तैनी घर तक बेचना पड़ा। चारों बलात्कारी कॉलेज के छात्र थे। रजनी उन्हें पहचानती थी। बदमाशों को अलका की दिनचर्या का पूरा पता था। उन्हीं में से एक बदमाश अलका पर शादी का दबाव बनाता चला आ रहा था। बारह साल तक कोर्ट में मामला चलता रहा। आखिरकार पुख्ता सबूतों के अभाव में सभी बदमाश बरी हो गये। लस्त-पस्त हो चुकी रजनी बताती हैं कि तब उनकी आंखों से चिंगारियां निकलने लगती थीं जब कोर्टरूम के आसपास कुछ लोग उनका मज़ाक उड़ाते हुए ताने कसा करते थे कि ये बुढ़िया भी अपनी बेटी की तरह अपने कर्मों की सज़ा भुगत रही है। यदि इसने अपनी आवारा बेटी पर अंकुश लगाया होता तो आज दोनों शान से जी रही होतीं। आधी-आधी रात को अपनी बेटी को उसके यार के साथ घूमने की छूट देने वाली मां को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
ऐसी ही जली-कटी अर्चना खुराना को सुनना पड़ी थीं, जिनकी प्रतिभाशाली अभिनेत्री बेटी की चलती ट्रेन में अस्मत लूट ली गई थी। अर्चना की बिटिया रानी मुंबई में अभिनय एवं मॉडलिंग के क्षेत्र में सक्रिय थी। कुछ टीवी सीरीयल में उसके काम को काफी सराहा गया था। नागपुर से मुंबई जाते समय रात के समय रेलगाड़ी में दो शराबी मुस्तंडे उस पर टूट पड़े थे। यात्रियों के सामने युवा अभिनेत्री को निर्वस्त्र कर अपनी अंधी वासना को शिकार बनाने वाले गुंडे बड़े आराम से चलती रेलगाड़ी का चेन खींचकर चलते बने थे। रानी ने फांसी के फंदे पर झूल कर खुदकुशी कर ली थी। इस सदमें ने अर्चना को निचोड़ कर रख दिया था, लेकिन तब तो वह पूरी तरह से खत्म ही हो गई थीं जब उन पर तैजाबी तंज कसे गये कि उनकी बेटी अपने खुले विचारों और अंग प्रदर्शन करने वाले परिधानों के कारण बलात्कार का शिकार हुई। अनजान पुरुषों से हंस-हंसकर बोलना बतियाना उसी को भारी पड़ गया। सफर के दौरान यदि वह अपने में सिमट कर रही होती तो गुंडे बदमाशों की नज़र उस पर नहीं जाती। टीवी सीरियल में भी उसने जिन किरदारों को जीवंत किया वे कामुकता और शारीरिक आकर्षण में रचे बसे थे। अपने देश में पीड़िता को दोषी ठहराने के बहाने और तर्क गढ़ने का जो सिलसिला चलाया जाता है उसकी कोई सीमा नहीं होती। अभी हाल ही में महाराष्ट्र के शहर बदलापुर में नर्सरी में पढ़ रही चार साल की दो मासूम बच्चियों से 24 वर्षीय सफाई कर्मी ने दुष्कर्म और यौन शोषण किया। अस्पताल में इसकी पुष्टि भी हो गई। पुलिस वाले रिपोर्ट लिखने में आनाकानी करते रहे। लोगों का विरोध और दबाव बढ़ने के पश्चात प्राथमिक रिपोर्ट लिखी गई। यह हमारे देश की अधिकांश खाकी की शर्मनाक सच्चाई है, जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं। बदलापुर के आदर्श स्कूल में जहां मासूम बेटियों का यौन शोषण होता रहा, वहां के सीसीटीवी काम नहीं कर रहे थे। ऐसा कहा और माना जाता है कि यदि बच्चे घर से बाहर कहीं सुरक्षित हो सकते हैं तो वह जगह है स्कूल, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली...कहीं भी बच्चे आज सुरक्षित नहीं। बहन-बेटियों की अस्मत के लुटेरे शिक्षा के मंदिरों में भी अपना तांडव मचाए हैं। हैरतअंगेज सच तो यह है कि जब तक जनता सड़कों पर नहीं उतरती तब तक शासन और प्रशासन की नींद ही नहीं टूटती। बदलापुर के बाद महाराष्ट्र के अकोला में स्थित जिला परिषद स्कूल के शिक्षक को पुलिस ने गिरफ्तार किया। यह नराधम आठवीं कक्षा की छह छात्राओं को अश्लील वीडियो दिखाकर उनके साथ घोर अश्लील हरकतें करता चला आ रहा था। अब सवाल उन ज्ञानी लोगों से जो युवतियों के पहनावे और खुलेपन को बलात्कार का कारण मानते हैं। मासूम बच्चियों ने तो अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी। उन्हें तो दुनियादारी की कोई समझ ही नहीं थी। अपने काम से काम रखती थीं। आपस में ही खुश रहती थी। उनकी भोली-भाली सूरत में दरिंदों को क्या नजर नजर आया जिसने उन्हें हैवान बना दिया।