Tuesday, March 4, 2025

अपमान की हथकड़ी

    वे गये थे खुशी-खुशी अपार धन कमाने। उनके मां-बाप को भी अत्यंत भरोसा था तभी तो उन्होंने अपनी जमीनें, घर, खेत और गहनेे बेचकर या गिरवी रख उन्हें अमेरिका जाने की इजाजत दी थी। लेकिन जब उनके बच्चे आतंकियों की तरह हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर वापस भारत की धरा पर लाये गए तो उनके होश फाख्ता हो गये। पैरों तले की जमीन ही जैसे गायब हो गई। उन्होंने घबराकर माथा ही पीट लिया। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद जब 104 अवैध अप्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का विशेष विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा तो पूरे देश में खलबली मच गई। भारतीयों को अमेरिका से ऐसे शर्मनाक बर्ताव की उम्मीद नहीं थी। यह तो शुरुआत थी। अमेरिका में अवैध तरीके से पहुंचे भारतीयों की जो तीसरी खेप अमृतसर पहुंची, उसमें 112 लोग शामिल थे। अवैध तरीके से अमेरिका गये भारतीयों का समर्थन यह कलम कतई नहीं करती, लेकिन हथकड़ियों, बेड़ियों में जकड़ने और सिखों की पगड़ी उतरवा कर उनका घोर अपमान करने के क्या मायने हैं? अमेरिका से भारत भेजे गए लोगों की दास्तानें जहां दिल को दहला कर रख देती हैं... वहीं, बार-बार चिंतन-मनन करने को उकसाती हैं कि अनेकों भारतीयों पर अवैध तरीके से विदेश जाने की यह कैसी सनक सवार है? 

    पंजाब के शहर लुधियाना में रहने वाले दलेर सिंह की किसी दिन इमिग्रेशन एजेंट सतनाम से मुलाकात हो गई। उसने दलेर को बताया कि अमेरिका में नोटों की बरसात हो रही है। उसे भी वह  अपनी जान-पहचान की ट्रांसपोर्ट कंपनी में काफी मोटी पगार वाली नौकरी दिलवा सकता है। सतनाम के फेंके जाल में फंसते ही दलेर सिंह ने अपना प्लॉट, घरवाली के जेवर और अन्य कीमती सामान 70 लाख रुपये में गिरवी रखे और उमंगों-तरंगों के साथ सारी रकम एजेंट को सौंप दी। 15 अगस्त, 2024 को अमेरिका जाने के लिए घर से निकले दलेर सिंह  को पहले दुबई और फिर ब्राजील में दो महीने तक यह भरोसा देकर रोके रखा गया कि, अमेरिका में अभी चुनावों का समय है। जिस वजह से वीजा रुका हुआ है। चुनाव निपटते ही उसका मनचाहा सपना पूरा होगा और वह मालामाल हो जाएगा। लेकिन जब दो महीने बीतने के बाद भी दलेर को गाड़ी आगे खिसकती नजर नहीं आयी तो उसने लगातार होती देरी को लेकर गुस्सा दिखाना प्रारंभ कर दिया तो एजेंट ने बड़ी मुश्किल से अमेरिका भेजने की तैयारी दिखाते हुए उसे एक गु्रप में शामिल कर दिया, जो पनामा के जंगलों के रास्ते से अमेरिका जा रहा था। पनामा के बीस किलोमीटर घने जंगल को चार दिनों तक पार करते-करते दलेर का दिल घबराने लगा और सिर चकराने लगा। रास्ते में जगह-जगह पर उन लोगों की लाशें और कंकाल बिखरे पड़े थे, जो अमेरिका जाने के लिए इन्हीं रास्तों से गुजरते-गुजरते जंगली जानवरों के शिकार हो गये थे या फिर बीमारी से थकहार कर मौत के मुंह में समा गए थे। किसी तरह से पनामा के जंगल पार करने के बाद वे सभी मैक्सिको पहुंचे और जब अमेरिका के तेजवाना बार्डर की ओर बढ़ ही रहे थे, तब सुबह-सुबह पेट्रोलिंग पुलिस के हत्थे चढ़ने पर ऐसी गिरफ्तारी हुई कि कई दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे मर-मर कर दिन काटने पड़े।

    डंकी रूट यानी अवैध रास्ते से अमेरिका पहुंचे मनदीप की आपबीती भी दिल को दहलाकर रख देती है। हवाई जहाज से भारत लाते समय कई बार उनकी कनपटी पर बंदूक सटाकर गोली मारने की धमकी दी गई। मनदीप ने कई दिनों तक कमोड का पानी पीकर दिन गुजारे। उसके कपड़े, मोबाइल, कानों की बाली और सोने की चेन छीन ली गई। साठ लाख रुपये खर्च कर डंकी रूट के जरिये अमेरिका पहुंचे हरप्रीत को भी अमेरिका की पुलिस ने अपनी हिरासत में लेकर कू्ररतम यातनाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब अमेरिकी सैन्य कर्मियों ने जहाज पर चढ़ाया तो उसे पता नहीं था कि, उसे कहां ले जाया जा रहा है। उस जहाज पर 19 और लोग भी सवार थे, जिनमें महिलाएं समेत तीन बच्चे भी थे। पैरों में बेड़ियां व हाथों में हथकड़ियां और उस पर चालीस घंटे के बेहद थकाऊ सफर ने जिस नर्क से मिलवाया, उससे उसे अपनी गलती पर कहीं न कहीं बहुत गुस्सा भी आया और यह विचार भी जागा कि अच्छी-खासी खेतीबाड़ी और रोटी तो अपने देश में भी थी तो फिर ज्यादा धन कमाने के लालच में खुद को जानवरों की तरह क्यों भटकाया? अमेरिका से भारत लाये गये सिख युवाओं की विमान में चढ़ने से पहले पगड़ी उतरवाई गई। इससे भी सजग देशवासियों की भावनाएं अत्यंत आहत हुईं। अमेरिका जाने के चक्कर में अपना सबकुुछ लुटा चुके लोगों को अब अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है। अधिकांश ने अपनी जमीनें, जेवर आदि बेच डाले हैं या गिरवी रख दिए हैं। यानी अब वे खाली हाथ हैं। कोई भी कामधंधा करने के लिए पैसों की जरूरत होती है। अब यदि कुछ करेंगे नहीं तो लाखों रुपये का कर्जा कैसे चुकायेंगे? अपने बेहतर भविष्य के लिए यदि वे वैध तरीके से अमेरिका जाते तो उनकी ऐसी शर्मनाक दुर्गति नहीं होती। वैसे तो अपने देश के सभी प्रदेशों के लोगों पर विदेश में जाकर बसने और धन कमाने की धुन सवार है, लेकिन पंजाब के लोग इसमें सबसे आगे हैं। वहां तो अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे देशों में जाने की लहर सी चल पड़ी है। डॉलर की चमक ने उनकी आंखों को चुंधिया दिया है। उन्हें रुपयों के नहीं डॉलर के सपने आते हैं, इसलिए यदि उन्हें वीजा नहीं मिलता तो डंकी रूट से विदेश में घुसने का अपराध करने से नहीं कतराते तथा अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले एजेंटों की साजिश का शिकार होने का बार-बार जोखिम उठाकर अपनी तथा देश की बेकद्री करने से भी बाज नहीं आते...। शातिर एजेंटो को 25 लाख रुपये से लेकर एक-एक करोड़ देने वाले अक्ल के कई अंधे बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। ठगी करना तो उनका जन्मजात पेशा है। उन्हें दोष देना व्यर्थ है। सोचना तो उन लोगों को चाहिए जो अपने देश में मेहनत करके धन कमाने की बजाय विदेशों में जाकर बेइज्जत होने को तत्पर रहते हैं। अधिक से अधिक धन बटोरने के लालच में अपनी संस्कृति और विरासत को भूल गये हैं। गलत काम के अच्छे परिणाम तो आने से रहे। जिन्दगी कोई जुआ तो नहीं कि कहीं भी दांव लगाया और खुद की तथा मां-बाप की जीवन भर की खून-पसीने की कमाई लुटा दी...और बाद में बुरी तरह से अपमानित हो माथा पकड़ कर बैठ गए...।

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