वर्तमान में जहां विज्ञान ने अंध विश्वास, अंधश्रद्धा के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। वहां भूत-प्रेत आत्मा, जादू-टोने और बेहूदा सपनों को गंभीरता से लेने वालों की जमात के बारे में क्या कहा जाए? समाज में व्याप्त अंधविश्वास को समाप्त करने की कोशिशों को पूरी तरह से कामयाबी क्यों नहीं मिल पा रही है? उत्तरप्रदेश के शहर जौनपुर में रहने वाला चिंताहरण नामक उम्रदराज शख्स बीते छत्तीस वर्षों से औरत बनकर रह रहा है। चिंताहरण प्रतिदिन दुल्हन की तरह श्रृंगार कर घर से निकलता है। पहले लोग उस पर हंसा करते थे, व्यंग्यबाण भी छोड़ा करते थे, लेकिन अब जौनपुर और आसपास के स्त्री, पुरुष, बच्चों और वृद्धों को उम्रदराज चिंताहरण को लाल साड़ी, बड़ी-सी नथ और झुमके पहने देख कतई भी अटपटा नहीं लगता। चिंताहरण मानता है कि यह अनोखा स्त्री-भेष उसका सुरक्षा कवच है, जिससे उसे तथा उसके परिवार को हिफाजत मिली हुई है। उसके किसी भी करीबी का बाल भी बांका नहीं हो सकता। उसका कहना है कि बीते छत्तीस सालों में मेरे परिवार के 14 सदस्य एक-एक कर इस दुनिया से विदा हो गये। ऐसे में मुझे बाकी बचे अपने बच्चों, अपने परिजनों और खुद के खत्म होने का भय सताने लगा था। मेरी रातों की नींद ही उड़ गई थी। कभी-कभार जब नाममात्र की नींद आती भी थी, तो सपने में दूसरी पत्नी रोती-बिलखती दिखायी देती, जिससे मैंने बेवफाई की थी। इस गम ने ही उसे आत्महत्या करने को विवश कर दिया था। एक दिन सपने में मैंने पत्नी से माफी मांगी और मेरे परिवार को बख्श देने का निवेदन किया। तब उसने मुझसे यह भेष धारण कर बाकी की जिन्दगी गुजारने को कहा तो मैंने प्रतिदिन दुल्हन की तरह सजना-संवरना प्रारंभ कर दिया। पहले लोग मुझ पर हंसा करते थे, लेकिन जब उन्हें मेरी विवशता का भान हुआ तो हमदर्दी जताने लगे। अब मेरी तथा बच्चों की जिन्दगी बड़े मजे से कट रही है।
सब्जी का कारोबार करने वाली दो सगी बहनें रांची के निकट स्थित एक गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में सब्जी खरीदने के लिए गईं थीं। शाम को जब वे लौट रही थीं तो रास्ते में इनका ऑटो खराब हो गया। जहां ऑटो बिगड़ा था वहां से कुछ ही दूरी पर उनके परिचित रहते थे। रात दोनों वहीं रुक गईं। सुबह-सुबह हाथ में सब्जी के थैले पकड़े शहर की तरफ बढ़ रही थीं तभी किसी ने अफवाह उड़ायी कि जादू-टोना और बच्चे चोरी करने वाली दो अनजान महिलाएं गांव में घूम रही हैं। बस फिर क्या था। कुछ ही मिनटों में दर्जनों ग्रामीण उन्हें घेर कर अंधाधुंध मारने लगे। इतने में भी उनका मन नहीं भरा। दोनों को पेड़ से बांधकर तब तक पिटायी की गई जब तक वे अधमरी नहीं हो गईं। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने मौका पाते ही दोनों के बाल भी काट दिए। यह अच्छा हुआ कि सूचना पाते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। वर्ना भीड़ तो दोनों को खत्म कर देने पर उतारू थी। देश में जहां-तहां जनता का ये आतंकी चेहरा डराने लगा है। उन्मादी भीड़ किसी पर भी हमला कर देती है। पुलिस की भी नहीं सुनी जाती। उलटा उसे भी मारा पीटा जाता है। मुजफ्फरपुर के माड़ीपुर चित्रगुप्त नगर में बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने दो महिलाओं को पकड़ा और जमकर पीटा। पुलिस के पहुंचने से पहले दोनों बुरी तरह से जख्मी हो चुकी थीं। सड़क भी खून से लाल हो गई थी। इस घटना से दो दिन पूर्व भी कुछ लोगों ने एक विक्षिप्त उम्रदराज महिला को बच्चा चोरी के आरोप में सड़क पर डंडों और लातों से पीटकर अपंग बना दिया।
ओडिशा में गंजाब के जिलाधिकारी विजय अमृत कुलंगे ने जादू-टोना और अंधविश्वास से जुड़ी प्रथाओं से उबारने और लोगों को जागरूक करने के लिए यह ऐलान करना पड़ा कि जो व्यक्ति जादू-टोना भूतों के अस्तित्व को साबित कर देगा उसे बड़े आदर-सम्मान के साथ 50 हजार रुपये का इनाम दिया जायेगा। जिलाधिकारी को गंजाब जिले में जादू-टोने के नाम पर हुई हिंसा के बाद यह कदम उठाया। कुछ सप्ताह पूर्व ग्रामीणों ने जादू-टोने के शक में छह लोगों के दांत तोड़ दिए थे। उन्हें जबरदस्ती अपशिष्ट पदार्थ खिलाया गया था। डंडे, लाठियों और हाकियों से तब तक पीटा गया था, जब तक वे बेहोश नहीं हो गये थे। पीटने वाले ग्रामीण बस एक ही रट लगाये थे कि उनके द्वारा किये जाने वाले जादू-टोना के कारण ही उनके रिश्तेदार बीमार होते रहते हैं। यह भी काबिलेगौर है कि यह पिटायीबाज जादू-टोने से बीमार होने वाले अपने प्रियजनों को इलाज के लिए तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक करने वाले बाबाओं के पास ले जाते हैं। उन्हें डॉक्टरों पर भरोसा नहीं है। जिलाधिकारी कुलंगे को हर सप्ताह आयोजित होने वाली जनसुनवाई में अंधविश्वास के जाल में फंसे लोगों की दलीलें और जादू-टोना संबंधी शिकायतों ने स्तब्ध कर दिया था। उन्होंने अंधविश्वासियों को बार-बार समझाया कि यह उनका भ्रम है कि जादू-टोना करने से कोई बीमार होता है। दरअसल, जादू-टोना और भूतों का कोई अस्तित्व ही नहीं होता। आज के वैज्ञानिक युग में इनकी कल्पना करना भी बेवकूफी है। लेकिन फिर भी जब अंधविश्वासी नहीं माने तो उन्होंने यह घोषणा कर दी, ‘‘भूत को ढूंढ़कर लाओ, 50 हजार इनाम पाओ।’’ अधिकारी इंतजार करते रह गए लेकिन कोई भी ऐसा इंसान सामने नहीं आया जो भूत को पकड़ कर लाता और इनाम पाता... फिर भी तंत्र-मंत्र और जादू-टोने को मानने वालों का कहीं कम, कहीं ज्यादा शर्मनाक अस्तित्व बरकरार तो है ही...!
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