मायानगर मुंबई में एक महिला का खाना खाने के बाद ठंडी-ठंडी आइसक्रीम का मज़ा लेने का मन हुआ। तपती गर्मी में बाहर कौन निकले यह सोचकर उन्होंने तुरंत तीन आइसक्रीम का ऑनलाइन आर्डर दे दिया। थोड़ी ही देर के बाद उनकी मनपसंद यम्मो ब्रांड की आइसक्रीम हाजिर हो गई। बड़े मज़े से लजीज आइसक्रीम का स्वाद लेते-लेते महिला को मुंह में किसी ठोस चीज़ के होने का अहसास हुआ। पहले तो उन्हें लगा कि अखरोट या चाकलेट होगी, लेकिन उसकी गंध और कड़ेपन से उन्हें चिंता में डाल दिया। तब तक वह आधी आइसक्रीम खा चुकी थीं। उन्होंने जैसे ही कोन को चेक किया तो उसमें से इंसानी अंग निकला।
दरअसल यह किसी इंसान की उंगली का कटा हुआ हिस्सा था। इसकी लंबाई थी लगभग दो सेंटीमीटर। इसे देखते ही महिला का सिर चकराने लगा। उसे धड़ाधड़ उल्टियां होने लगीं। चीखने-चिल्लाने की आवाज को सुनकर घर के अन्य सदस्य दौड़े-दौड़े चले आए। बात पुलिस तक पहुंची। उसने महिला के घर पहुंच कर कटे अंग को अपने कब्जे में लेने के बाद फॉरेंसिक क जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया। जांच के दौरान पुलिस को जो अहम सुराग हाथ लगा, उसमें पता चला कि पुणे की आइसक्रीम फैक्टरी में काम करने वाले शख्स की मिडल फिंगर कटकर आइसक्रीम में जा गिरी थी। इस दुर्घटना के तुरंत बाद वह तुरंत डॉक्टर के यहां इलाज के लिए भाग खड़ा हुआ। उंगली वहीं की वहीं रह गई, लेकिन सवाल यह है कि प्रबंधन क्या कर रहा था?
अभी यह खबर ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि नोएडा में ऑनलाइन शापिंग प्लेटफार्म पर आर्डर कर एक और महिला ने ब्रांडेड आइसक्रीम मंगायी। डिब्बा खोलते ही उसके अंदर कनखजूरा के दर्शन होने से वह हतप्रभ रह गई। महिला ने तुरंत फूड विभाग तक अपनी शिकायत पहुंचायी। ऑनलाइन शापिंग प्लेटफार्म के स्टोर पर जांच टीम ने मुआयना कर पाया कि वहां पर गंदगी ही गंदगी थी। किस्म-किस्म के विषैले कीड़े-मकोड़ों ने वहां पर अपना डेरा जमा रखा था।
भारतीय रेलों की दुर्दशा से सभी वाकिफ हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को कैसी-कैसी असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं, यह भुक्तभोगी अच्छी तरह से जानते हैं। अधिकांश ट्रेनों में यात्रियों को ताजा भोजन के नाम पर बासी, अधपका भोजन और नाश्ता परोसा जाता है। अधिकांश यात्री शिकायत करने के पचड़े में नहीं पड़ते। सरकार ने बीते वर्ष जब वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेन की सेवा प्रारंभ की थी तब यात्रियों को बेहतरीन भोजन, चाय-नाश्ता उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया था। शुरू-शुरू में तो यात्रियों को अच्छा व टेस्टी खाना मिला, लेकिन फिर धीरे-धीरे गुणवता में कमी आने लगी। तेजी से दौड़ने वाली इस ट्रेन में घटिया भोजन और नाश्ते की शिकायतों का अंबार लगने लगा। अभी हाल ही में वंदेभारत एक्सप्रेस में भोपाल से आगरा जा रहे दंपत्ति को भोजन के दौरान कॉकरोच दिखा तो उनकी समझ में आ गया कि यात्रियों को स्वच्छ और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की सरकारी घोषणाएं कितनी झूठी और खोखली हैं। संबंधित विक्रेता फर्म पर जब कार्रवाई का डंडा चलाया गया तो उसने अपनी गलती की माफी मांग ली। पच्चीस-पचास हजार का जुर्माना भी भर दिया। इतना भर कर देने से सुधार और बदलाव होना होता तो कब का हो चुका होता। भारतीय रेलवे की सतत दुदर्शा नहीं बनी रहती।
गुजरात के महानगर अहमदाबाद में स्थित ‘देवी डोसा पैलेस’ में बड़े चाव से डोसा खाने गये दंपत्ति का भी तब सिर चकरा गया, जब उन्होंने सांभर में चूहे के मरे हुए बच्चे देखे। अहमदाबाद नगर निगम ने शिकायत मिलने पर रेस्टारेंट को सील कर दिया। खाने-पीने के शौकीनों की यही चाहत होती है कि उन्हें बेहतर खाना मिले। उनके स्वास्थ्य पर कहीं भी आंच न आए, लेकिन आजकल देखा यह जा रहा है कि कीमत तो पूरी वसूल की जाती है, लेकिन ग्राहकों को हलके और नकली खाद्य पदार्थ खिलाकर उनकी सेहत की ऐसी-तैसी की जा रही है। पिछले कुछ वर्षां से पनीर का चलन काफी बढ़ा है। अपने यहां जिस चीज़ की मांग बढ़ती है उसमें धोखाधड़ी भी शुरू हो जाती है। मिलावट खोर तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। पनीर के साथ भी ऐसा हो रहा है। शहरों तथा ग्रामों में एनलॉग पनीर को धड़ल्ले से खपाया जाने लगा है। पाम तेल, दूध पाउडर तथा एसिड से बनने वाले यह हानिकारक पनीर मिलावटखोरों की मोटी कमायी का जरिया बन गया है। दूध से बने पनीर की कीमत जहां 400 रपये किलो है, वहीं एनालॉग पनीर 200 रुपये किलो में मिल जाता है। कई होटल, रेस्टारेंट वाले एनालॉग पनीर की सब्जी, पकौड़े आदि खिलाकर मनमानी कीमत वसूलने के साथ-साथ उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस पनीर के सेवन से जी मचलाना, चक्कर आना तथा कई बार फूड पॉइजनिंग का होना आम बात है...।
देश के प्रदेश तमिलनाडु के शहर कल्लाकुरिची में जहरीली शराब पीने की वजह से लगभग 55 लोग चल बसे और 140 से ज्यादा लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। विषैली शराब के शिकार होने वालों में अधिकतर दिहाड़ी मजदूर थे। शराब पीने के कुछ घण्टों के बाद ही उन्हें दस्त, उल्टी, पेट दर्द और आंखों में जलन होने लगी। मृतकों में तीन महिलाएं और एक ट्रांसजेडर भी शामिल है। पिछले दिनों देश के विभिन्न होटलों, रेस्टारेंट और रेलगाड़ियों में लगातार ऐसी जो भी घटनाएं सामने आईं उनमें संचालकों की लापरवाही देखी गयी। जब ग्राहक सामान की पूरी कीमत चुकाते हैं तो उनसे धोखाधड़ी कहां तक जायज है? मेरे कुछ पाठक मित्र सोच रहे होंगे कि मैं जीवन के लिए अति उपयोगी खाद्य पदार्थों पर बात करते-करते उस शराब को बीच में क्यों ले आया जो सेहत के लिए हानिकारक है। शराब, वैध हो या अवैध, लेकिनतो देनी ही पड़ती है। तो फिर उन्हें जहरीली शराब थमा कर उनकी जान लेने और सेहत से खिलवाड़ करने के गुनाह क्यों?
ड्राइ डे या अन्य कारणों से ही पीने वाले अकसर अवैध यानी कच्ची शराब के विक्रेताओं की शरण में जाने को मजबूर होते हैं, लेकिन उनसे भरपूर कीमत वसूलने के बाद उनसे धोखाधड़ी होती है। अधिक से अधिक ग्राहकों को अपने ठिकानों तक लाने के अवैध शराब माफिया जो खेल खेलता चला आ रहा है उसकी पूरी खबर प्रशासन को भी रहती है। शराब को ज्यादा से ज्यादा नशीली बनाने के लिए नौसादर और यूरिया मिलाने वाले अपनी कमायी में कमी नहीं आने देना चाहते। भले ही लोगों की जानें जाती रहें।
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