Friday, September 20, 2024

सत्ता की लाठी

    धनपतियों की अंकुशहीन, बिगड़ैल  औलादों की अंधाधुंध शराब गटक कर राहगीरों को रौंदनें की खबरें अब बिल्कुल नहीं चौंकातीं। देश का प्रदेश महाराष्ट्र तो इन दिनों बिल्डर्स राजनेताओं, भू-माफियाओं, शराब माफियाओं, शिक्षा माफियाओं और तथाकथित महान समाज सेवकों की नशेड़ी संतानों के नशीले तांडव से लगातार आहत और बदनाम होने को विवश है। कई लोग तो यह भी कहने और मानने लगे हैं कि महाराष्ट्र और शराब का जो चोली दामन का साथ बन चुका है, उसका पूरा श्रेय यहां की कुटिल राजनीति तथा घाघ राजनेताओं को जाता है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली की तर्ज पर अब महाराष्ट्र भी चरस, अफीम, गांजा, एमडी के नशे में बुरी तरह से लड़खड़ाता और डगमगाता नज़र आ रहा है। उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, साहित्य की हर विधा में पारंगत लेखकों, पत्रकारों, संपादकों, कलाकारों तथा देश-विदेश में विख्यात राजनीतिक हस्तियों, उद्योगपतियों के प्रतिष्ठित शहर पुणे तथा नागपुर में तो ऐसे-ऐसे अपराधों का तांता लगा है, जिनकी कभी कल्पना नहीं की गई थी। स्कूल, कॉलेज के लड़के-लड़कियां एमडी तथा शराब के नशे के शौक को पूरा करने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल की चोरी-चक्कारी के साथ-साथ चेन स्नैचिंग करने लगे हैं। होटलों, फार्महाउसों, ब्यूटी पार्लरों तथा विभिन्न अय्याशी के ठिकानों पर कम उम्र की कॉलेज कन्याओं का रोज-रोज जिस्मफरोशी करते पकड़े  जाना आखिर क्या दर्शाता है? 

    2024 के मई महीने की 19 तारीख को पुणे में तड़के शराब के नशे में मदहोश एक नाबालिग ने अंधाधुंध रफ्तार से करोड़ों की लग्जरी कार दौड़ाते हुए युवक और युवती की जान ले ली। दोनों मृतक होनहार इंजीनियर थे और मध्यप्रदेश के मूल निवासी थे। इनकी हत्या करने वाले नाबालिग के पास कार चलाने का लाइसेंस नहीं था। फिर भी उसके बिल्डर पिता ने करोड़ों रुपए की कार की चाबी अपने नशेड़ी बेटे को थमा दी थी। साथ ही दोस्तों के साथ शानो-शौकत के साथ गुलछर्रे उड़ाने के लिए क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था। बिगड़ैल नाबालिग रोज की तरह उस रात भी मां-बाप तथा दादा के आशीर्वाद से अपने अय्याश यारों के संग नई-नई पोर्श कार में सवार होकर शहर के आलीशान शराबखाने गया। वहां पर सबने लगभग अस्सी हजार रुपए की मनपसंद शराब गटकी। कबाब भी खूब चखा। तृप्त होने के बाद रात का शहजादा और उसके साथी लगभग एक घंटे तक यहां-वहां कार को हवाई रफ्तार से अंधाधुंध दौड़ाते रहे। इस बीच पियक्कड़ों की फिर और पीने की तलब जागी तो किसी दूसरे रंगारंग मयखाने में बैठकर शराब पीते रहे। यहां भी नशे में टुन्न नाबालिग ने अपने बाप की काली कमायी के तीस हजार रुपये की खुशी-खुशी आहूति दे दी। दो हत्याएं करने के बाद भी धनपशु की औलाद के चेहरे पर किंचित भी मलाल, चिंता, खौफ का नामोनिशान नहीं था। जल्लाद को पूरा-पूरा यकीन था कि देश का कानून उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता। हुआ भी वही। उसके बाप, दादा तथा मां ने  लाड-प्यार में पले बेटे को कानून के फंदे से बचाने के लिए पुलिस, विधायक, मंत्री, संत्री सबको खरीदने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी। नृशंस हत्यारे को बचाने के लिए अस्पताल के डॉक्टर बिकने से नहीं सकुचाये। जांच में बेटा शराबी साबित न हो इसके लिए मां ने अपने ब्लड सैंपल को बेटे के ब्लड सैंपल में बदलकर कानून की आंखों में धूल झोंकने की चाल चली, लेकिन अंतत: पर्दाफाश हो ही गया। इसी चालबाजी में उनके काले अतीत के पन्ने भी खुलते गए। बाप तो बाप, दादा भी दस नंबरी निकला और उसके अंडर वर्ल्ड से पुराने जुड़ाव का भी पर्दाफाश हो गया।

    पुणे के इस हत्याकांड के कुछ दिन बाद मुंबई के वरली में सत्ता पक्ष के एक नेता के दुलारे की बीएमडब्ल्यू कार ने एक स्कूटर को जोरदार टक्कर मारी, जिससे किसी गरीब मां-बाप की इकलौती लाड़ली बिटिया की वहीं मौत हो गई। यह हत्यारा नेता-पुत्र भी शराब के नशे में टुन्न था। पुलिस उसके पीछे-पीछे भागती रही और वह हत्याकांड को अंजाम देने के बाद बेफिक्र होकर अपनी प्रेमिका की गोद में जाकर सो गया। इसी सितंबर के महीने में ही नागपुर में भाजपा के मालदार प्रदेश अध्यक्ष के बेटे ने मित्रों के साथ जाम पर जाम टकराने के बाद आधी रात को आसमान छूती अपनी ऑडी कार से चार मोपेड सहित एक कार को जोरदार टक्कर मारी। दो लोग बुरी तरह से घायल हो गये। शराबी मंडली ने वहां रुकने की बजाय भाग जाना बेहतर समझा। इसी  भागमभाग में उनकी कार का टायर भी फट गया, जिससे ऑडी पोलो कार से जा टकरायी। इस नशीले अपराध की वजह से भीड़ ने नेता पुत्र और उसके साथी की जमकर मरम्मत की और नुकसान की भरपाई के बाद बड़ी मुश्क़िल से तब जाने दिया जब उन्हें पता चला कि इस कांड का हीरो प्रदेश के दमदार नेता की बिगड़ैल औलाद है। ऑडी कार को पुलिस ने जब अपने कब्जे में लिया तब उसकी नंबर प्लेट नदारद थी। सुबह के सभी अखबारों की यही प्रमुख खबर थी। बड़े अनमने मन से पुलिस ने तब शिकायत दर्ज की जब उस पर चारों और से दबाव पड़ने लगा। पुत्र मोह के कैदी पिताश्री यानी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का बयान आया कि घटना अत्यंत दुःखद है। कार उनके पुत्र के नाम पर रजिस्टर्ड है। वे चाहते हैं कि पूरी तरह से निष्पक्ष जांच  हो। उन्होंने पुलिस को कोई फोन नहीं किया है और न ही किसी भी तरह से जांच को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। मामले को लेकर राजनीति करना उचित नहीं। यह नेताओं की कौम आखिर किसको बेवकूफ बनाने पर तुली रहती है? सत्ताधीशों को बोलना ही कहां पड़ता है। सत्ता की लाठी बिना चले अपना काम कर गुजरती है। प्रशासन के चाटूकार लाठी के इशारे पर नाचना अच्छी तरह से जानते हैं। वैसे भी खाकी वर्दी को सत्ता की खामोश जुबान बहुत जल्दी समझ में आ जाती है। उनकी पार्टी की केंद्र तथा प्रदेश में सरकार है। पूरा तंत्र उनकी मुट्ठी में है। उनका बाल भी बांका करने का किसमें दम है? पुलिस तो हिम्मत कर ही नहीं सकती। उसका नेताओं से हमेशा वास्ता पड़ता रहता है। कभी यदि काला-पीला करने के बाद फंस गए तो बचने-बचाने के लिए उन्हें सत्ता के दरवाजे पर जाकर नाक रगड़नी होती है। आधुनिक शिष्टाचार और आदान-प्रदान कर यह मायावी दस्तूर वर्षों से चला आ रहा है। खुशी-खुशी या मजबूरी में इसे निभाना ही पड़ता है। हां यह भी न भूलें कि, नाम मात्र के ही बाप ही ऐसे होते हैं जो अपनी संतान के हिमायती न हों। सत्ताधीशों के संतान मोह का तो इतिहास साक्षी है, जो अपने खोटे सिक्कों तक को राजनीति के बाजार में बखूबी खपाने और चलाने की हर कला में सिद्धहस्त हैं। महाराष्ट्र  में तो ऐसे नेताओं की भरमार है जो कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद एक तरफ मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेज उद्योग धंधों को चला रहे हैं, दूसरी तरफ बीयर बार, पब, शराब की फैक्ट्रियां तथा दूकानें खोल कर अरबों-खरबों की माया जुटा रहे हैं। पब्लिक अंधी नहीं है। उसे अच्छी तरह से दिखायी दे रहा है कि शहरों के साथ-साथ ग्रामों में भी मंत्रियों, नेताओं की प्रबल भागीदारी में नशे के विभिन्न कारोबार फलफूल रहे हैं...।

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