Thursday, December 12, 2024

संस्कार

    देश के केंद्र में स्थित, संतरों के लिए विख्यात नागपुर को सर्वधर्म समभाव का आदर्श ध्वजवाहक माना जाता है। सभी धर्मों के लोग यहां पर एक-दूसरे का मान-सम्मान करते हुए अमन-शांति के साथ रहना पसंद करते हैं। बाहर से आने वाले लोगों को भी बड़ी आसानी से अपना बना लेने वाले नागपुर में वो तमाम गुण और सुख-सुविधाएं हैं, जिनकी हर कोई आकांक्षा करता है। उद्योग, राजनीति, साहित्य एवं विभिन्न कलाओं में भी संतरानगरी अग्रणी है। देश और प्रदेश को एक से एक लोकप्रिय तथा हर तरह की चुनौतियों से टकराने वाले परिपक्व नेताओं की सौगात देने का श्रेय भी इस बहुआयामी संस्कारित महानगरी को जाता है। तेजी से विकास की ऊंचाइयों को छू रहे नागपुर के लोग खान-पान के भी बहुत शौकीन हैं। एक से एक होटल, रेस्टारेंट लोगों के स्वागत के लिए सीना तान कर खड़े हैं। सावजी भोजनालयों का भी यहां जबरदस्त क्रेज है। शाकाहारी और मांसाहारी भोजनालयों की भरमार है, जहां का भरपूर मिर्च-मसाले वाला चिकन, मटन खाने के लिए दूसरे प्रदेशों के लोग भी आते हैं। तीखे मसालों की वजह से उन लोगों के नाक और आंख से पानी की धारा बहने लगती है, जिनको पहली बार इनका स्वाद चखने को मिलता है। महाराष्ट्र की पाक कला को सात समंदर पार पहचान दिलाने वाले विष्णु मनोहर की रसोई का भी एकदम खास जलवा है। उन्हें अनेकों पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। नागपुर के कुछ खास ठिकानों पर बिकने वाले चटपटे मसालेदार पोहा-चना का मज़ा लेने के लिए सुबह-सुबह जो कतारें लगती हैं वे दोपहर तक बनी रहती हैं। यहां के कुछ मजेदार चाय के अड्डे  भी बड़े लाजवाब हैं। अनेकों चायप्रेमियों को अपने मोहपाश में बांधने वाले डॉली चायवाले की प्रसिद्धि के ढोल-नगाड़े भी विदेशों तक बजने लगे हैं। डॉली जिसका नाम सुनील पाटील है, तब अत्याधिक चर्चा में आया जब उसने हैदराबाद में एक इवेंट के दौरान दुनिया के बड़े रईसों में शामिल बिल गेट्स को चाय बना कर पिलाई। उसके बाद तो जैसे उसकी किस्मत ही पलट गई और वह फर्श से अर्श पर पहुंच गया। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के सह संस्थापक खरबपति बिल गेट्स को चाय पिलाने की तस्वीरें तथा वीडियो सोशल मीडिया पर धड़ाधड़ वायरल होने से डॉली रातोंरात सिलेब्रिटी बन गया। पहले जहां उसकी टपरी पर दिनभर में ढाई-तीन हजार की चाय बिकती थी, अब पंद्रह-बीस हजार तक जा पहुंची है। डॉली को तो बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि, वह किसे चाय पिला रहा है। वह तो यही सोच रहा था कि विदेश से आए कोई महानुभाव हैं, जो उसकी टपरी पर चाय का स्वाद लेने आए हैं। बिल गेट्स ने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि, मैं अनोखे अंदाज की कलाकारी में माहिर इस चायवाले के साथ चाय पर चर्चा करने से खुद को नहीं रोक पाया। इस दुबले-पतले फुर्तीले अदभुत चायवाले से हुई मुलाकात को मैं हमेशा याद रखूंगा। जब किसी बड़ी हस्ती का हाथ और साथ आम आदमी को मिलता है, तो एकाएक उसकी पूछ-परख बढ़ जाती है। डॉली के साथ ऐसा ही हुआ। उसे विदेशों दुबई, यूएसए, श्रीलंका तथा कुछ अन्य देशों के निमंत्रण के साथ-साथ महंगे तोहफे भी मिलने लगे। किसी शेख ने करोड़ों की कार भी थमा दी और जाने-अनजाने प्रशंसक उसके साथ ऐसे फोटो खिंचवाने लगे जैसे वो कोई फिल्मी सितारा हो, जिसकी फिल्में हिट पर हिट हो रही हों।

    नागपुर के रामनगर चौक पर वर्षों से चाय की टपरी लगाने वाले गोपाल बावनकुले की खुशियों का तब कोई ठिकाना नहीं रहा, जब उसके देवाभाऊ यानी देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय से उसे मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में उपस्थित होने का निमंत्रण मिला। एकबारगी तो उसे लगा कि कहीं यह उसका भ्रम और सपना तो नहीं, लेकिन यह एकदम सच था। गोपाल देवाभाऊ को उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत से जानता है। जब वे विधायक बनने के बाद उसकी टपरी पर चाय पीने आये थे, तब भी वह अचंभित हो उन्हें ताकता रह गया था। देवेंद्र फडणवीस ने जिस सहजता के साथ उससे बातचीत करते हुए हालचाल पूछा था, उससे तो वह खुद को भावुक होने से नहीं रोक पाया था। तभी उसने उनसे कहा था कि जब आप मुख्यमंत्री बनेंगे तब भी क्या आप मेरी टपरी पर ऐसे ही चाय पीने आएंगे? जिस तरह से कई लोग अपने मनपसंद फिल्मी सितारों की फोटो अपने यहां लगाकर रखते हैं वैसे ही गोपाल ने अपने आदर्श प्रिय नेता देवाभाऊ की बड़ी सी तस्वीर अपनी टपरी के साथ-साथ दिल में भी बिठा रखी है। नागपुर में गोपाल जैसे हजारों आम चेहरे हैं, जिनको देवेंद्र फडणवीस का सरल, सहज व्यवहार बहुत भाता है। 2024 के विधानसभा चुनाव में विजयी होने के पश्चात उनका जो विजय जुलूस निकला, उसमें जाने-अनजाने चेहरों की अथाह भीड़ थी। फूल-मालाओं से लदे, विजय रथ पर सवार देवेंद्र की निगाह एकाएक उस समोसे बेचने वाले पर जा पड़ी, जिसके बनाये समोसे उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। उन्होंने विजयरथ से ही उस समोसे वाले को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा कि क्या दोस्त, हार, गुलदस्ता तो ले आए, लेकिन समोसे लाना भूल गए। आज तो तुम्हारे यहां के समोसे खाने का मेरा बड़ा मन हो रहा है। अभी हाल ही में तीसरी बार शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अहिल्यानगर में एक शादी समारोह में शामिल हुए। उन्होंने 2016 के कोपर्डी बलात्कार और हत्या मामले की पीड़िता से वादा किया था कि, उनकी बहन की शादी उनकी जिम्मेदारी होगी और वे अवश्य शादी में शामिल होंगे। फडणवीस ने आठ वर्ष पूर्व किये गए वादे को याद रखा। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं। कुर्सी की चकाचौंध नेताओं को भटका देती है। चुनाव जीतते ही वे मतदाताओं को भूल जाते हैं, लेकिन देवेंद्र उनसे एकदम अलग और एकदम खास हैं। किसी को यूं ही बैठे-बिठाये सफलता के शिखरों तक पहुंचने का अवसर नहीं मिल जाता। इसके लिए अत्यंत संयम, धैर्य, जुनून और मर्यादा का पालन करते हुए लोगों के दिलों में स्थायी जगह बनानी पड़ती है। राजनीति की डगर न कल आसान थी और ना ही आज फूलों की सेज है। तमाम विरोधी ताकतों तथा अवरोधों को मात देते हुए महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक यात्रा उन युवाओं को आइना दिखाती है, जो महज सपने देखते हैं, करते-धरते कुछ भी नहीं। 

    देवेंद्र ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से करते हुए अपने बलबूते पर खुद की पहचान बनाई। हालांकि उनके पिताजी  स्वर्गीय गंगाधरराव फडणवीस अटल-अडवाणी काल के नेता और विधान परिषद के सदस्य थे। जिस 22 वर्ष की उम्र में अधिकांश युवा अनिश्चय के भंवर मेें गोते खा रहे होते हैं, तब देवेंद्र ने नागपुर महानगर पालिका के पार्षद और 27 वर्ष की आयु में महापौर बनने का उल्लेखनीय गौरव पाया। मुझे आज भी वो दिन याद है जब देवेंद्र शहर के महापौर थे और महानगर पालिका के प्रांगण में आयोजित सम्मान कार्यक्रम के भव्य मंच पर सुप्रसिद्ध वकील और जाने-माने राजनीतिज्ञ राम जेठमलानी ने बड़े गर्व से भविष्यवाणी की थी कि, देवेंद्र फडणवीस ने जिस तरह से कम उम्र में जो राजनीतिक मुकाम हासिल किया है, उससे मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि ये जुनूनी युवक एक न एक दिन प्रधानमंत्री...राष्ट्रपति अवश्य बनकर दिखायेगा। विधानसभा के हर चुनाव में भारी मतों से विजयी होते चले आ रहे देवेंद्र को उनकी योग्यता और क्षमता को देखते हुए 2013 में प्रदेश भाजपा का मुखिया बनाया गया। 31 अक्टूबर, 2014 को जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने तब उनकी उम्र मात्र 44 वर्ष थी। शरद पवार के बाद वे महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा सीएम थे। अब तो देवेंद्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की श्रेणी का नेता माना जाने लगा है। भारतीय जनता पार्टी का बहुत बड़ा वर्ग उन्हें उसी तरह से देखता है जैसा कि नरेंद्र मोदी को तब देखता और मानता था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और बहुत धैर्य और संयम के साथ प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर कदम बढ़ा रहे थे। सर्व गुण सम्पन्न देवेंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अत्यंत प्रिय भी हैं और अपार विश्वास पात्र भी। अपने सहयोगी दलों को जोड़े रखने की कला में पारंगत देवेंद्र विपक्षी नेताओं से भी दोस्ताना व्यवहार के लिए विख्यात हैं। लगभग 32 वर्ष की सक्रिय राजनीति में होने के बावजूद देवेंद्र पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है...।

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