Thursday, December 26, 2024

फितरत

    अपनी धूर्तता और संवेदनहीनता से मानवता को शर्मसार करते कपटी लोग कहीं भी हो सकते हैं। मेहनत से मुंह चुराने और मुफ्त का खाने की कुछ लोगों को बीमारी लग गई है। इनमें आम के साथ खास चेहरे भी शामिल हैं, जिनकी चोरी ऊपर से सीनाचोरी की आदत उनके असली रूप को उजागर कर ही देती है। यह कितने अफसोस भरी हकीकत है कि चोरी-डकैती करने में सफेदपोश लोग भी पीछे नहीं हैं। यहां तक कि लाखों लोगों के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि भी अपने दायित्व को भूलकर हेराफेरी करते नज़र आते हैं।

    बीते सप्ताह मायानगरी मुंबई के उपनगर कुर्ला में हुए एक कार हादसे में एक महिला की मौत हो गई। मौके पर मौजूद भीड़ में शामिल दो लोग उसके हाथ से कंगन निकालकर गायब हो गए। वहीं एक शख्स उसका मोबाइल अपनी जेब के हवाले कर वहां से ऐसे चलता बना जैसे उसके बाप का माल हो। वहां पर तमाशबीनों की तरह खड़े किसी भी स्त्री-पुरुष को उस 55 वर्षीय मृत महिला पर रहम नहीं आया। दरअसल, इन बदमाशों, चोरों और लुटेरों का यही पेशा है, कहीं भी रेल, बस, कार दुर्घटनाग्रस्त होती है तो ये शैतान मृतकोें  तथा घायलों की सहायता करने की बजाय उनकी जेबें खाली करने लगते हैं। महिलाओं के गले, कान आदि के जेवर निकालने-नोचने में लग जाते हैं। इन्हें शायद ही कभी अपनी शर्मनाक करतूतों पर शर्म आती हो, यह दूसरों की मौतों का तमाशा देखते हुए आनंदित होते हैं। ये बेशर्म दूसरों की तबाही और मौतों पर जश्न मनाना अपने जीवन का एकमात्र मकसद बना चुके हैं। 

    बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 104 वर्षीय रसिक चंद्र मंडल ने जेल की कोठरी से बाहर कदम रखा। होना तो यह चाहिए था कि तीस साल के बाद खुली हवा में सांस लेने की खुशी से रसिक चंद्र का चेहरा खिल उठता। लेकिन जेल से बाहर कदम रखने में ही उसे झिझक हो रही थी। मानसिक रूप से अभी भी चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रसिक लाल से जब उनकी उदासी की वजह पूछी गयी तो उसने कहा कि मुझे जेल की बहुत याद आएगी। मैंने तीस साल तक अन्य कैदियों के साथ खुशी-खुशी जीवन की यात्रा तय की। मुझे वहां की सुकून वाली दिनचर्या की आदत हो गई थी। कई कैदियों से मेरी प्रगाढ़ मित्रता होने की वजह से मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे कि मैं अपने लोगों के सुरक्षा घेरे में हूं। गौरतलब है कि रसिक ने अपने किसी करीबी रिश्तेदार की हत्या की थी। उसने अपना गुनाह भी कुबूल किया था। स्वभाव से भावुक रसिक का हत्या करने का इरादा नहीं था। हालातों ने उससे यह गुनाह करवा दिया। पश्चाताप की भावना के वशीभूत रसिक लाल अपने रिश्तेदारों तथा मित्रों को अपना चेहरा दिखाने से भी कतरा रहा था... 

    मुंबई में रहता है, भरत जैन। करोड़ों की संपत्ति का मालिक है। नाम और हैसियत तो यही दर्शाती है कि ये बंदा कोई बड़ा उद्योगपति या व्यापारी-कारोबारी है, लेकिन जनाब, यह सरासर आपका-हमारा मुगालता है। भीख मांगना इस शख्स का पसंदीदा पेशा है। लोगों ने तो अब उसे यह कहकर दुत्कारना और फटकारना भी बंद कर दिया है कि हट्टे-कट्टे होकर भीख मांगते हो। कोई मेहनत-मजदूरी का काम क्यों नहीं करते। अपने पेशे के साथ वफादारी करने वाला भरत जैन मुंबई जैसे महंगे महानगर में अपने परिवार के साथ बड़े ठाठ-बाट के साथ रहता है। भीख मांगते-मांगते दो फ्लैट्स, तीन दुकानों के मालिक बन चुके भरत की एक स्टेशनरी की दुकान भी है, जिससे अच्छी-खासी कमाई हो जाती है। भरत के परिवारजनों को अब  उसका भीख मांगना पसंद नहीं। वे कहते-कहते थक चुके हैं कि, करोड़ों की जमीन जायदाद से आने वाले किराये के रूप में होने वाली आवक से संतुष्ट हो जाओ और घर में रहकर अब तो आराम और सब्र के साथ जीवनयापन करो। लेकिन भरत कहता है कि मेरा किसी और काम में मन ही नहीं लग सकता। मेरे लिए तो ये दुनिया का सबसे बेहतरीन पेशा है। हल्दी लगे न फिटकरी रंग चोखा आ जाए की कहावत को चरितार्थ करता भरत अपनी पीठ थपथपाते हुए यह बताना नहीं भूलता कि, मैं न तो लालची हूं और ना ही मौज-मजे का गुलाम। मुझे उदारता के साथ मंदिरों में दान करना भी बहुत अच्छा लगता है। दिनभर बिना रूके मेहनत कर प्रति दिन ढाई से तीन हजार रुपये की भीख पाने के बाद रात को जो सुकून भरी नींद सोता हूं वो तो अनेकों धनासेठों को भी नसीब नहीं होती। मैं खुदको बहुत नसीब वाला मानता हूं। लोग मेरे बारे में जो सोचते-कहते हैं, उससे मुझे कुछ भी नहीं लेना-देना।

    उत्तरप्रदेश में स्थित संभल शहर का नाम पिछले कुछ महीनों से काफी चर्चा में है। यहां की मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध करने पर सुरक्षा कर्मियों के साथ हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी। भीड़ को भड़काने में वहां के सांसद जियाउर रहमान की खासी भूमिका बताई गई थी। शासन और प्रशासन ने समाजवादी सांसद पर शिकंजा कसने का जो सिलसिला चलाया, उसी में उनके बिजली चोर होने की खबरों ने भी देशवासियों को बेहद चौंकाया। बिजली विभाग ने एक अधिकारी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में कहा गया कि विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला से प्राप्त सांसद के मीटर की जांच करने पर यह पूरी तरह से स्पष्ट हुआ है कि मीटर से छेड़छाड़ करके धड़ल्ले से बिजली चोरी की गई। चोरी का यह सिलसिला बीते कई वर्षों से चला आ रहा है। बिजली चोरी के संगीन आरोप लगने के बाद भी सांसद का सीना तना रहा। वो खुद को ईमानदार बताते हुए शासन-प्रशासन की साजिशी, पक्षपाती नीति के ढोल बजाते रहे। यह भी कम हैरत की बात नहीं कि जिसे एक करोड़, 91 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, उसी को बिजली चोरी को रोकने का दायित्व सौंपा गया था। ध्यान रहे कि जिले में बिजली परियोजनाओं में गति और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट/इलेक्ट्रिसिटी कमेटी का गठन किया गया है, सांसद बर्क को उसका चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। चोरी उस पर सीनाचोरी, हां यह भी हुआ, जब बिजली विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, सांसद के घर के मीटर और बिजली के उपकरणों की सघन जांच कर रहे थे, तब उनके पिता ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए सरकारी काम में बाधा डालते हुए सीना तानकर धमकी दी कि जैसे ही सरकार बदलेगी हम तुम्हें बर्बाद कर नानी याद दिला देंगे...।

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