Thursday, July 18, 2024

बोझ...?

    कुछ खबरें अंदर  तक  उतर  कर मंथती चली जाती हैं। सोचने-विचारने का सिलसिला लंबा खिंचता चला जाता है। सभी को खबर है कि जिन्दगी दोबारा नहीं मिलती, लेकिन कुछ लोग  जिन्दगी को बहुत हल्के में लेते हैं। अपनी तो अपनी दूसरों की जान लेने  के लिए  हर हद को पार करने से नहीं सकुचाते। अपनों से बड़ों का सम्मान करना लोग भूलने लगे हैं। गुस्सा  तो हरदम नाक पर रहता है। कम आयु के बच्चे तनाव की गिरफ्त मे आ रहे हैं। उनकी खुदकुशी की खबरें झकझोर कर रख देती हैं। जिन्होंने अभी दुनिया के पूरे रंग-ढंग नहीं देखे उनका आत्महत्या कर गुजरना हृदय को दहला कर रख देता है। कहीं न  कहीं कोई गड़बड़ तो है। माता-पिता, रिश्तेदारों, अपनों तथा बेगानों के साथ-साथ समाज की धड़कनें बढ़ाने वाली खुदकुशी की खबरों  को महज पढ़- सुनकर नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता। संतरा नगरी नागपुर में माणिक राव नामक उम्रदराज पिता ने अपने 40 वर्षीय पुत्र  पर गोली दाग दी। माणिक राव  केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सेवानिवृत्त हैं। उनके पास बारह बोर की लाइसेंसी बंदूक भी है। फिलहाल किसी संस्थान में सुरक्षाकर्मी हैं। मेहनतकश माणिक  राव  बेटे और बहू की बदसलूकी से बहुत आहत और परेशान थे। बेटा हमेशा बदतमीजी से पेश आता था। उसका चपरासी -चपरासी कहकर बार-बार तंज कसना उन्हें बहुत आहत कर जाता था। जब देखो तब बेटा-बहू दोनों अपने मासूम बेटे यानी उनके पोते को बिना वजह उन्हीं के सामने बेरहमी से  मारने-पीटने लगते थे। अपने दुलारे पोते को रोता-बिलखता देख जब वे उन्हें फटकारते तो दोनों उनको खरी-खोटी सुनाने लगते। बेटे-बहू को पिता की दखलअंदाजी कतई पसंद नहीं थी। उन्हें बार-बार  अहसास कराया जाता था कि वे बच्चे के मां बाप हैं। उसकी पिटाई  करने का उन्हें  पूरा-पूरा हक है। किसी दूसरे को उन्हें रोकने -टोकने का दूर-दूर तक कोई अधिकार  नहीं। बीते सप्ताह माणिक राव रात को भोजन  करने के उपरांत बाहर से वॉकिंग करके घर लौटे तब बेटे ने अपने पुराने अंदाज में व्यंग्य  बाण चलाने प्रारम्भ कर दिए। नालायक, बदजुबान बेटे की करतूत से बुरी तरह से आहत और क्रोधित पिता ने उस पर बंदूक तान दी। पत्नी ने रोकने की बहुतेरी कोशिश की, लेकिन उन्होंने गोली दाग कर ही दम लिया। गोली लगने से उसकी मौत तो नहीं हुई, लेकिन वह बुरी तरह से लहूलुहान हो गया। घर के आसपास तमाशबीनों की भीड़ जमा होकर तरह-तरह  की बातें  करने लगी। थोड़ी देर  बाद  खाकी वर्दी वाले भी पहुंच  गए। घायल  बेटे को तुरंत  अस्पताल ले जाया गया। गोलीबाज गुस्सैल बाप की गिरफ्तारी भी हो गई.....

    पुणे निवासी प्रतीक्षा ने नागपुर  में फांसी लगाकर  आत्महत्या कर ली।  26  वर्षीय  प्रतीक्षा  का सिपाही के तौर पर मुंबई पुलिस में चयन  हुआ  था। नागपुर  में स्थित पुलिस  प्रशिक्षण  स्कूल  में उसे प्रशिक्षण के लिए  भेजा गया था। चार साल पूर्व  उसकी शादी हुई थी। जिसमें बहुत  जल्दी खटास आ जाने के कारण  तलाक की नौबत  आ गई। उसके पश्चात वह मुंबई  पुलिस की भर्ती के दौरान एक  युवक से दिल लगा बैठी। उसने उससे ब्याह रचाने का पक्का  मन बना लिया था, लेकिन  उसने घर वालों के दबाव में आकर किसी अन्य युवती संग सात फेरे ले लिए। वह इस  झटके से आहत  हो परेशान रहने लगी। कुछेक दिन बाद सुबह-सुबह उसने खुदकुशी कर ली। उसके बिस्तर  पर मिले सुसाइड नोट  पर लिखा था, ‘‘मेरी मौत  के बारे में मां-पिता को नहीं बताना और सुसाइड नोट को स्टेटस  पर भी नहीं रखना।’’ वह  तो सदा-सदा के लिए  दुनिया छोड़कर  चल दी,सबको  अखबारों के माध्यम  से पता भी चल गया। ऐसी कायराना बेवकूफी में  की गई  किसी भी खुदकुशी को सहानुभूति नहीं मिलती। तरह-तरह  की बातें होती ही हैं। लिखाई -पढ़ाई  तथा माता पिता की परवरिश  को भी कटघरे में खड़ा  किया जाता है।

    महाराष्ट्र  की संस्कार  नगरी अमरावती के एक स्कूल की दो लड़कियां आत्महत्या के इरादे से  इमारत की चौथी मंजिल पर जा पहुंचीं। दोनों के अचानक गायब होने से स्कूल  प्रशासन में हड़कंप  मच गया। उनके अपहरण की शंकाएं भी व्यक्त की जाने लगीं। दोनों को ढाई घंटे के बाद स्कूल से कुछ दूरी पर स्थित इमारत की  छत पर पकड़ा गया। दोनों ने खुद को बंद कर रखा था। दमकल विभाग की सहायता से बड़ी मुश्किल से दरवाजा तोड़कर उन्हें बाहर  निकाला गया। दोनों बहुत डरी-सहमी थीं। उनके स्कूल  बैग से मिले सुसाइड नोट  पर लिखा मिला,‘‘अब मैं कभी घर नहीं आऊंगी...मैं  अब बोझ बन गई  हूं...’’ आठवीं कक्षा में पढ़ रही यह दोनों लड़कियां पक्की सहेलियां हैं। एक ही कक्षा में एक ही बेंच पर साथ बैठती हैं। इनकी इस करतूत ने उनके माता-पिता को डरा दिया है। वैसे भी आजकल अधिकांश मां-बाप अपनी संतान से भयभीत रहते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बढ़े  होते चले जाते हैं उनका भय बढ़ता चला जाता है। वे उनसे दबे-दबे रहते हैं.....

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