Friday, November 20, 2015

शैतानों की भीड में इंसान

केरल के रहने वाले मोहम्मद निशाम ने उस रात कुछ ज्यादा ही चढा ली थी। नशे में धुत होकर जब वह अपने अपार्टमेंट के गेट पर पहुंचा तो सिक्योरिटी गार्ड ने गेट खोलने में थोडी देरी कर दी तो वह आगबबूला हो उठा। गार्ड शायद गहरी नींद से जागा था। देरी से गेट खोलने को लेकर दोनों में किंचित वाद-विवाद हो गया। गुस्साये धनपति मोहम्मद निशाम ने अपनी कार गार्ड पर चढा दी। इलाज के दौरान गार्ड की अस्पताल में मौत हो गयी। पुलिस ने निशाम के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया। हत्यारे धनपशु को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे अपनी करनी का कोई मलाल नहीं था। उसकी अकड जस की तस थी। उसे यकीन था कि नामी-गिरामी वकीलों की फौज को ऊंची फीस देकर वह कानून के शिकंजे से बडी आसानी से बच जायेगा। अपनी अपार दौलत के नशे में झूमते मोहम्मद को पक्का भरोसा था कि उसे शीघ्र ही जमानत मिल जाएगी और वह आजाद पंछी की तरह उड सकेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि अमीर लोगों में अहंकार बढ रहा है। उनके लिए गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है। मोहम्मद ने एक निर्दोष असहाय व्यक्ति को अपनी कार से रौंद कर यह दिखा दिया कि उसके लिए इंसानी जान की कोई कीमत नहीं है। ताज्जुब ऐसा जघन्य अपराधी जमानत की उम्मीद करता है! इसे तो जीवन भर जेल में ही सडना चाहिए।
देश में ऐसे कई शैतान हैं जिनके अहंकार का दंश असहायों को सतत अपना शिकार बनाता रहता है। किसी को धन का गरूर है तो कोई ऊंची जाति और धर्म की अकड दिखाकर आतंक मचाये है। समाजसेवा और राजनीति का नकाब ओढकर असहिष्णुता और मनमानी का तांडव मचाने वाले बहुरुपिये देश का लगातार अहित कर रहे हैं। यह सच भी जगजाहिर है कि अपने देश के अधिकांश धनपतियों ने जो धन-दौलत के अंबार खडे किये हैं वे सब पूरी की पूरी खून पसीने की कमायी के तो नहीं हैं। फिर भी उनका अहंकार सातवें आसमान पर रहता है। वे आम आदमी को कीडे-मकोडे सी अहमियत देकर अपनी गर्दनें ताने रहते हैं।
यह भी इस देश की मिट्टी का कमाल है कि यहां का अनजाना सा आम आदमी चुपचाप अंधेरे में दीप जलाते हुए निज स्वार्थ में डूबे 'ऊंचे लोगों' को आईना दिखाता रहता है। राजस्थान का एक शहर है भरतपुर। यहीं रहती हैं नीतू। नीतू किन्नर हैं। भरतपुर की पार्षद भी। कई गरीब हिन्दू एवं मुस्लिम परिवार की बेटियों के सामूहिक विवाह और निकाह करवा कर उसने हर किसी का दिल जीत लिया है। नीतू कहती हैं कि मेरा खुद का संसार नहीं बसा, लेकिन दूसरों का परिवार बसा कर मुझे अपार खुशी मिलती है। असहायों की सहायता करने और बिना किसी भेदभाव के हर किसी के सुख-दुख में शामिल होने वाली नीतू को सभी इज्जत की निगाह से देखते हैं। किसी को भी कभी यह ख्याल नहीं आता कि वह किन्नर हैं। अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा समाजसेवा को अर्पित कर मानवता को ही सच्चा धर्म मानने वाली नीतू की सक्रियता की सराहना तो उसके राजनीतिक विरोधी भी करते हैं।
'मेरा हिन्दुस्तान अलवर के इमरान में बसता है।' यह शब्द हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के, जो उन्होंने लंदन में एक आम आदमी की तारीफ में कहे। जब इमरान पर तारीफों की बौछार हो रही थी तब वे गहरी नींद में सोये थे। इमरान वो जुनूनी शख्स हैं जिन्होंने बेवसाइट के साथ ही एक-एक कर अब तक ५२ एजुकेशन एप बनाये और देश के बच्चों को समर्पित कर दिए। वे चाहते तो लाखों रुपये कमा सकते थे, लेकिन उनके लिए देश और समाजहित सर्वोपरि है। इमरान ने अब तक गणित का राजा, किड्स जी के, डेली जीके जैसे टॉपिक पर जो एप तैयार किये हैं उन्हें २५ लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। सात एप तो ऐसे हैं जिन्हें एक करोड लोग रोज देखते हैं। मध्यप्रदेश के धार में एक दलित परिवार में जन्मी तेरह वर्षीय निकिता को तब बडा गुस्सा आया जब स्कूल में एक अतिथि शिक्षक ने उसे तथा उसके परिवार को नीचा दिखाने की जुर्रत की। निकिता के पिता और परिवार के लोग दलित होने के साथ-साथ सफाईकर्मी के तौर पर काम करते हैं। पढाई के दौरान शिक्षक के द्वारा की गयी उपेक्षा और भेदभाव की नीति को इस बालिका ने फौरन भांप लिया। देश के विभिन्न स्कूलों में दलितों के बच्चों के साथ ऐसा शर्मनाक व्यवहार अक्सर होता ही रहता है। असहाय बच्चे विरोध दर्शाने की हिम्मत नहीं कर पाते, लेकिन निकिता ने छुआछूत और जात-पात के रंग में रंगे शिक्षक की कारस्तानी से अपने माता-पिता को अवगत कराते हुए शिक्षक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की जिद पकड ली। पहले तो उसके माता-पिता ने चुप्पी साध लेने में ही भलाई समझी, लेकिन बेटी की जिद ने उन्हें आगे बढने को विवश कर दिया। थाने में नालायक शिक्षक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवायी गयी। इसका नतीजा यह निकला कि आदिवासी विभाग से लेकर जिला शिक्षा केंद्र को होश में आना पडा और शिक्षक की स्कूल से छुट्टी कर दी गयी। निकिता ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की शिकायत प्रधानमंत्री तक कर दी थी। उसकी लडाई यहीं नहीं थमी। वह कहीं भी छुआछूत और भेदभाव होता देखती है तो विरोध का झंडा उठाकर खडी हो जाती है। कितना अच्छा होता यदि ऐसी ही लडाई उन अहंकारी धनपशुओं के खिलाफ भी लडी जाती जो खुद को शहंशाह समझते हुए गरीबों और असहायों पर जुल्म ढाते हैं। किसी कवि की कविता की यह पंक्तियां भी काबिलेगौर हैं :
मैंने बहुत से इंसान देखे हैं,
जिनके बदन पर लिबास नहीं होता।
मैंने बहुत से लिबास देखे हैं,
जिनके अंदर इंसान नहीं होता।
कोई हालात नहीं समझता,
कोई ज़ज्बात नहीं समझता
ये तो बस अपनी-अपनी समझ है
कोई कोरा कागज पढ लेता है
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।

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