वक्त और मतलब के हिसाब से चलने-बोलने वालों की पोल खुल चुकी है। मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा करके घुमाया गया। इस हैवानियत के तीन दिन बाद बिहार में एक युवती की निर्वस्त्र कर पिटायी की गई। इतना ही नहीं कुकर्म का वीडियो भी बनाया गया। इस वीडियो में स्पष्ट दिखायी दे रहा था कि युवती के साथ मारपीट करते हुए उसके प्राइवेट पार्ट को टच किया जा रहा है। जब असहाय युवती वीडियो बनता देख अपने हाथों से खुद की इज्जत बचाने की कोशिश करती है, तब उसके हाथों को खींचकर हटाया जाता है। इंसानियत को शर्मसार करने वाली ऐसी घटनाएं नयी नहीं हैं। नया है लोगों का चुप रहना। अंधे, बहरे होने का नाटक करते चले जाना। पहले ऐसी नपुंसकता कम देखने में नहीं आती थी। अकेला आदमी गुंडों से भिड़ जाता था। अब भीड़ शांत खड़ी तमाशा देखती रहती है। इन तमाशबीनों की मां-बहनों की ऐसे इज्जत लुटे तब उन्हें पता चले कि मां-बहन की इज्जत क्या होती है! अधिकांश पत्रकार भी असली मुद्दे से भटक रहे हैं। उन्हें समाज का हिजड़ापन दिखायी ही नहीं देता। या देख कर भी अनदेखा करने का मज़ा ले रहे हैं। अरे भाई, हमारी आपकी भी कोई जिम्मेदारी है या नहीं?
सच तो यह है कि होशोहवास के साथ अपना कर्तव्य निभाने वालों पर तोहमतें तथा चाटुकारिता करने वालों की वाहवाही कर पुरस्कृत करने की परिपाटी देश की लुटिया डुबो रही है। अपने असली फर्ज़ को विस्मृत कर तरह-तरह के लटके-झटके दिखाने में तल्लीन पत्रकारों को इन दिनों एक भोजपुरी लोकगायिका आईना दिखाने में लगी है। इस गायिका ने किसी भी प्रदेश सरकार को नहीं बख्शा। योगी के बुलडोजर की नाइंसाफी, पुलिस वालों की गुंडागर्दी, कानपुर में मां, बेटी की जलकर हुई मौत और एमपी के पेशाब कांड आदि पर जिस तरह से बोलने-कहने का साहस दिखाया, अभिनंदनीय है:
बाबा का दरबार बा,
ढहत घर बार बा
माई बेटी के आग में
झोंकत यूपी सरकार बा
का बा, यूपी में का बा
अरे बाबा की डीएम त बड़ी
रंगबाज बा...
बुलडोजर से रौंदत दीक्षित
के घरवा आज बा
यही बुलडोजरवा पे
बाबा के नाज बा
का बा, यूपी में का बा...
नेहा सिंह ने एमपी में का बा गीत के माध्यम से मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हुए अत्याचार, सरकारी नौकरियों में हुए घोटालों तथा सीधी में हुए पेशाब कांड पर व्यंग्यबाण चलाये तो कांग्रेस नेता गद्गद् हो गये। कुछ महीनों बाद होने वाले चुनाव प्रचार के लिए उन्हें चटपटा मसाला मिल गया। यह तो नेताओं की पुरानी आदत है। कलाकारों की मेहनत पर अपना हक जमाने से बाज नहीं आते। लालू, मुलायम और मायावती छाप नेताओं को चाटुकार बहुत पसंद हैं। इनकी आरती गाने वालों को ईनाम में धन और राज्यसभा, विधान परिषद की सदस्यता से नवाजा जाता है। मेरठ के एक सज्जन, जिनका नाम डॉ. के.के. तिवारी है, ने हनुमान चालीसा की तर्ज पर माया चालीसा लिख डाला-
‘‘तुमने मीर मुलायम मारा,
अमर सिंह तुमने संहारा।
राजनाथ, कलराज मिश्र का
छीन लिया तुमने सुख सारा।
दलित-नंदिनी तुम कहलाती,
मनुवाद को दूर भगाती।’’
मायावती के राज में इस माया चालीसा के लाखों कैलेंडर छपवाकर बांटे गये थे। जब तिवारी को पुरस्कारों तथा नोटों से लाद दिया गया तब उन्होंने लिखा-
‘‘सदा तेरा नाम लेता हूं
तुझको भारत मां कहता हूं
दलित नंदिनी... मां
तुझे कोटि... कोटि प्रणाम
अपनी माया से मुझको भी
करती रहना धनवान...।’’
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी में भी अजब-गजब विद्वान चाटुकारों का बोलबाला रहा है। एक पुराने कांग्रेसी ने सोनिया गांधी की प्रशंसा में यह लिखा और अपना डंका बजवाया-
‘‘जय श्री माता सोनिया
ममता मन में अपार
अपनी ही बल बुद्धि से
किया नया संचार
दमखम से भी शक्ति का
किया है जग में प्रचार
कांग्रेस पार्टी का हे मां
आप ही कीं उद्धार।’’
इस सच से कौन इनकार कर सकता है कि ऐसे भक्त ही अपने नेताओं तथा पार्टी का बंटाढार करते आये हैं।