Thursday, August 4, 2016

खौफनाक सच

उत्तरप्रदेश का बुलंदशहर। २९ जुलाई २०१६। शुक्रवार की रात। राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार सवार परिवार को बंधक बनाकर मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की रोंगटे खडे कर देने वाली घटना ने यह दर्शा दिया कि हमारे समाज में आज भी ऐसे वहशी दरिंदे बेखौफ विचरण कर रहे हैं जिनके लिए मां-बहनों की अस्मत कोई मायने नहीं रखती। जिला शाहजहांपुर के एक गांव निवासी दो भाई राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में परिवार सहित रहते हैं। कुछ दिन पूर्व ही बीमारी के चलते उनकी मां का देहांत हो गया था। उनकी तेरहवीं में शरीक होने के लिए वे परिवार सहित शाहजहांपुर के लिए रवाना हुए थे। बुलंदशहर से दो किलोमीटर पहले कार पर पत्थर आकर लगा, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। करीब २०० मीटर आगे जाने पर फिर से कार के सामने कुछ फेंकने से बहुत जोर की आवाज आयी तो उन्होंने कार रोक दी। वे कार से नीचे उतरकर देख ही रहे थे कि आधा दर्जन बदमाशों ने उन्हें घेर लिया। अपराधी पूरे परिवार को गन प्वाइंट पर लेकर कार को फ्लाई ओवर के नीचे ले गये। तीनों पुरुषों को उतारकर बंधक बना लिया। दोनों महिलाओं व लडकी को कार सहित हाइवे के नीचे संपर्क मार्ग पर ले जाया गया और मां-बेटी के साथ एक के बाद एक बदमाशों ने दुष्कर्म किया। पूरा परिवार तीन घंटे तक बंधक बना रहा। बदमाश तडके करीब तीन बजे नगदी, चेन, अंगूठी आदि लूटकर भाग गए। वे जब मां-बेटी से जबरदस्ती का प्रयास कर रहे थे तब पिता ने उनका पुरजोर विरोध किया। जिस पर तीन बदमाशों ने उन्हें और उनके भतीजे को सरियों से इस कदर पीटा कि वे लहूलुहान हो गये। मां के सामने बेटी और बेटी के सामने मां की अस्मत लूटकर दरिंदो ने इंसानियत का कत्ल कर दिया। १०० मीटर की दूरी पर बंधक बनाये गये पिता के सामने पत्नी और बेटी का बलात्कार हो रहा था और वे बेबस थे। बदमाश तीन घण्टे तक मनमानी और दरिंदगी करते रहे, लेकिन पुलिस का सायरन और हूटर एक बार भी नहीं बजा।  बदमाशों ने हथियारों के बल पर पूरे परिवार को बेबस कर दिया था। दो बदमाश बंदूक की नोक पर मां और बिटिया को दुष्कर्म का शिकार बनाने के लिए ले जाने लगे तब मार्शल आर्ट सीखी बिटिया ने दरिंदों का आधे घण्टे तक जमकर सामना किया। जब हैवानों ने देखा कि उसे नियंत्रित करना आसान नहीं है तो उन्होंने पूरे परिवार को गोलियों से भून डालने की धमकी देकर उसे समर्पण करने को विवश कर दिया। कुकर्मी लुटेरों के भागने के बाद पीडितों ने मोबाइल से १०० नम्बर पर कॉल किया मगर फोन नहीं उठाया गया। करीब पौन घंटे तक फोन नहीं उठने पर एक पत्रकार दोस्त को कॉल कर घटना से अवगत कराया गया। पत्रकार ने बुलंदशहर के एसीपी को कॉल किया तो कुछ देर के बाद वे फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। पूरा परिवार बेहद सदमे में था। पुलिस को आपबीती का बयान करते समय मां-बेटी कांप रही थीं। उनकी जुबान ही नहीं खुल पा रही थी। बलात्कारी शैतानों की हैवानियत का शिकार हुई बेटी और पत्नी के बारे में बताते-बताते पिता सुबक-सुबक कर रोने लगे। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, 'बदमाशों ने जो किया, उससे ज्यादा खौफनाक कुछ हो ही नहीं सकता। अब तो दिल करता है कि पूरे परिवार के साथ जहर खा लूं।' यकीनन बदमाशों की कोई जात नहीं होती। बदमाश तो बदमाश होते हैं। लेकिन यह तो तय है कि इस देश की पुलिस और कानून व्यवस्था की शर्मनाक स्थिति का नतीजा है यह घटना। खाकी की निष्क्रियता के चलते अपराधियों में किसी किस्म का खौफ नहीं रहा। जब राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस की मुस्तैदी का यह हाल है तो दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों का तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। तभी तो अपना शिकार फांसने में माहिर लुटेरे और वासना के खिलाडी हमेशा यही मानकर चलते हैं कि उनकी मनमानी हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी। कोई उनका कुछ भी नहीं बिगाड पायेगा।
बुलंदशहर काण्ड के महज पांच दिन बाद बरेली में दिल्ली हाईवे के किनारे एक निजी स्कूल की शिक्षिका को तीन दरिंदो ने अगवा कर अपनी अंधी वासना का शिकार बना डाला। शिक्षिका १९ वर्षीय युवती है जो अपने घर से सुबह सात बजे स्कूल के लिए निकली थी। रास्ते में वैन सवार तीन युवकों ने उसे रोका और मुंह पर हाथ रखकर वैन में डाल दिया। वहां से वे उसे लखनऊ दिल्ली हाइवे के निकट स्थित एक खेत में ले गए। वैन में ही शिक्षिका की अस्मत तार-तार कर दी गयी। उसके कपडे भी फाड दिए गये। इसी दौरान उसके फोटो भी खींचे गये। यह धमकी भी दी गयी यदि किसी को घटना के बारे में बताया तो तस्वीरें इंटरनेट में डाल दी जाएंगी।
दिल्ली में रहने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अवकाश प्राप्त अधिकारी विजय कुमार ने नौकरी का झांसा देकर एक युवती को फांसा और फिर कई बार अपनी वासना की आग बुझायी। युवती का कहना है कि वह मजबूर थी? इसलिये चुप्पी साधे रही! एक बार तो उम्रदराज विजय कुमार ने हद ही कर दी। उसने अपने दो दोस्तो को अपने घर में आमंत्रित किया और युवती का सामूहिक बलात्कार किया गया। इस शर्मनाक कुकृत्य की फिल्म भी बना ली गयी। लडकी शादीशुदा है। विजय कुमार के जब-तब फोन करने के कारण उसके पति को शक होने लगा था। नौकरी पाने के चक्कर में अपनी अस्मत लुटा चुकी युवती निरंतर ब्लैकमेल हो रही थी! उस दिन विजय कुमार ने फिल्म और सीडी देने उसे अपने फ्लैट पर बुलाया था। युवती भी किसी अंतिम निर्णय पर पहुंच चुकी थी। जब विजय कुमार ने सीडी देने के बजाय उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की तो उसका सब्र जवाब दे गया। उसने रसोई से चाकू उठाया और अय्याश विजयकुमार पर इतने वार किये कि उसका काम तमाम हो गया। लेखक के मन में कुछ सवाल गूंज रहे हैं। बुलंदशहर के सामूहिक बलात्कार काण्ड पर किसी को भी संशय नहीं हो सकता। देश का हर नागरीक चाहता है कि बलात्कारियों को मौत की सज़ा से कम सज़ा तो मिलनी ही नहीं चाहिए। लेकिन राजधानी दिल्ली की तथाकथित बेबस युवती पर हुआ अनाचार कई सवालों के घेरे में दबोच लेता है। युवती ने नौकरी के लालच में अधेड अय्याश के समक्ष खुद को परोस कर कोई अच्छा उदाहरण पेश नहीं किया है। युवती को अपने नैतिक साहस की कमी की वजह से ही दुराचारी के दुराचार का शिकार होना पडा। ऐसे में उसके प्रति सहानुभूति दर्शाना बेमानी लगता है। अगर वह चाहती तो शुरुआत में ही डटकर प्रतिकार कर सकती थी। पर उसने ऐसा नहीं किया! ऐसे में जिस्म के भूखे भेडिये की तरह युवती भी कसूरवार तो है ही...।

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