Thursday, November 10, 2016

हैवानियत का चेहरा

दूसरों की मासूम बहन, बेटियों का यौन शोषण करने और उन पर दानवी बर्बरता बरपाने वालों के दिल क्या पत्थर के होते हैं? क्या उनके घर-परिवार में मां, बहन, बहू, बेटियां नहीं होतीं? देश के प्रदेश महाराष्ट्र में स्थित बुलढाणा की एक आश्रमशाला में बारह नाबालिग आदिवासी लडकियों को नराधमों ने अपनी अंधी वासना का शिकार बना डाला। खुद आश्रमशाला के प्राचार्य, टीचर और अन्य कर्मचारी लडकियां का यौनशोषण कर मानवता को कलंकित करते रहे। कई महीनों तक जिन लडकियों पर जुल्म ढाया जाता रहा उनकी उम्र मात्र १२ से १४ वर्ष के बीच है। शोषित लडकियां किसी के सामने मुंह न खोलने पाएं इसके लिए उन्हें सतत तरह-तरह से दबाने और यातनाएं देने का दुष्चक्र चलता रहा। बेबस लडकियां दुराचारियों के हाथों का खिलौना बनी रहीं। तीन लडकियों के गर्भवती होने की शर्मनाक खबर जब बाहर आयी तो शासन और प्रशासन के होश उड गये। लोगों का गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया। महाराष्ट्र सरकार ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और उत्थान के लिए आश्रमशालाओं की शुरुआत की है। इन आश्रमशालाओं पर सरकार प्रतिवर्ष करोडों रुपये खर्च करती है। महाराष्ट्र में ५२९ सरकारी और ५५० अनुदानित आश्रमशालाओं में करीब चार लाख पैंतालीस हजार विद्यार्थी हैं। इनमे एक लाख ९९ हजार छह सौ सत्तर आदिवासी छात्राएं हैं। इन शालाओं में विभिन्न संदिग्ध कारणों से बच्चों की मौतों और लडकियों के यौन शोषण की खबरें निरंतर आती रहती हैं। अधिकांश आश्रमशालाएं नेताओं और उनके शागिर्दों के द्वारा चलायी जाती हैं। जिस सरकारी धन को आदिवासी बच्चों के कल्याण के लिए खर्च किया जाना चाहिए उसका बहुत बडा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाता है। आश्रमशालाओं के कामकाज पर नज़र रखने की जिनकी जिम्मेदारी है, वे बहती गंगा में हाथ धोकर अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। यही वजह है कि कई आश्रमशालाएं अय्याशी का अड्डा बनकर रह गयी हैं। बुलढाना की आश्रम शाला का सच अचानक उजागर हो गया। तीन लडकियां दीपावली की छुट्टी पर अपने घर जलगांव गयीं थीं। उनके माता-पिता को उनका चेहरा उतरा-उतरा और व्यवहार बदला-बदला-सा लगा। उन्होंने अपने-अपने तरीके से पूछताछ की। बहुत कुरेदने पर लडकियों ने हकीकत बयां करते हुए बताया कि शाला में उनकी अस्मत लूटी जाती है। पिछले कुछ दिनों से वे पेट दर्द से परेशान हैं। यह सुनते ही घर वालों के पैरोंतले की जमीन ही खिसक गयी। आश्रमशाला के भयावह सच ने उनकी नींद उडा दी। उन्होंने अपनी बच्चियों को वहां कभी भी न भेजने का निर्णय ले लिया।
महाराष्ट्र के प्रगतिशील नगर नागपुर में भी छात्राओं के यौन क्रूरता का शिकार होने से लोग चिंतित हैं। फेसबुक पर हुई दोस्ती भी लडकियों के लिए मुसीबत का कारण बनती चली जा रही है। एक इक्कीस वर्षीय कालेज छात्रा, जो कि होस्टल में रहती है ने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवायी कि उसके फेसबुकी प्रेमी ने उसका जीना दुश्वार कर दिया है। तीन साल तक उसे यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पडा। छात्रा की २०१३ में फेसबुक के माध्यम से कोलकाता निवासी २४ वर्षीय युवक से पहचान हुई थी। वह फेसबुक पर डाली गयी युवक की तस्वीरों से प्रभावित हो गई। दोनों में चैटिंग शुरू हो गयी। धीरे-धीरे मामला यहां तक पहुंच गया कि युवक उससे मिलने के लिए नागपुर आने लगा। शहर के विभिन्न होटलों में शामें बीतने लगीं और युवक ने जबरन छात्रा से शारीरिक संबंध भी बना लिए। वह छात्रा से धन भी एेंठने लगा। छात्रा को जब उसकी असलियत समझ में आयी तो उसने उससे दूरी बनानी शुरु कर दी। युवक अपनी असली औकात पर उतर आया। तिरस्कार से बौखलाये युवक ने छात्रा का फर्जी फेसबुक और जी-मेल अकाउंट बनाया और फिर इसके माध्यम से उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उसके मित्रों और रिश्तेदारों को भेजने लगा। बदनामी की वजह से छात्रा का जीना दूभर हो गया। उसने कई बार युवक को मुंहमांगी रकम दी, लेकिन ब्लैकमेलिंग का सिलसिला बंद नहीं हुआ। बेटी के द्वारा घर से बार-बार पैसे मंगवाये जाने के कारण माता-पिता को शंका होने लगी। मां ने भरोसे में लेकर जब बेटी से पूछताछ की तो उसने आपबीती बता कर स्तब्ध कर दिया। फरेबी प्रेमी के चक्कर में चार लाख लुटा चुकी छात्रा ने जब थाने पहुंचकर अपने साथ हुई धोखाधडी की सारी दास्तान सुनायी तो पुलिस वाले भी हैरान रह गये। फेसबुक पर दोस्त बनाकर शारीरिक शोषण का शिकार होने वाली इस छात्रा की तरह शहर की अन्य कई युवतियां ऐसे छल, कपट का शिकार हो चुकी हैं। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
देश का ही प्रदेश है केरल। यहां पर शिक्षितों की तादाद दूसरे प्रदेशों की तुलना में कहीं बहुत ज्यादा है, लेकिन यहां की पुलिस के सोचने और काम करने का रंगढंग दूसरे प्रदेशों से जुदा नहीं है। केरल के त्रिचूर की रहने वाली एक महिला पर उसके पति के ही चार दोस्तों ने सामूहिक बलात्कार कर इंसानियत का गला घोंट दिया। इस घिनौने अपराध में एक स्थानीय नेता भी शामिल था। पीडिता पति के दोस्तों को भाई मानती थी। उसे उनपर बहुत भरोसा था, लेकिन एक रात उन्होंने अपना असली चेहरा दिखा दिया। नराधमों ने बलात्कार का वीडियो भी बनाया और किसी के सामने मुंह न खोलने की धमकी दी। लेकिन उसने बलात्कारियों को सबक सिखाने की ठान ली और पुलिस की शरण में जा पहुंची। चारों बलात्कारी दोस्तों को थाने बुलवाया गया। वहां पर उनकी इज्जत के साथ मेहमाननवाजी की गयी और पीडिता को जलील करते हुए शर्मनाक सवालों की बौछार लगा दी गयी। उससे पूछा गया कि बलात्कार के दौरान उसे किसने ज्यादा संतुष्ट किया। वह पुलिस का यह घिनौना रूप देखकर पानी-पानी हो गई। उसका खून खौल गया। लाचारी और बेबसी ने उसे अधमरा कर दिया। दरिंदे धनवान थे। उनकी ऊपर तक पहुंच और पहचान थी। इसलिए पुलिस ने पीडिता को अपमानित करने के लिए नीचता की सभी हदें पार कर दर्शा दिया कि उसका महिलाओं के साथ कैसा शर्मनाक व्यवहार रहता है। जिन अपराधियों की ऊपर तक पहुंच होती है उन्हें मान-सम्मान और असहायों और गरीबों की इज्जत के परखच्चे उडा दिये जाते हैं।

No comments:

Post a Comment