Thursday, November 24, 2016

करे कोई, भरे कोई

"बदलना तो इंसान को है...
नोट तो एक बहाना है...
अगर कुछ लोग
बेइमान नहीं होते,
तो आज इतने लोग
परेशान नहीं होते।"
सीधी-सादी भाषा में लिखी गयी कविता की उपरोक्त पंक्तियां देश के चिंताजनक हालात के असली सच को बयां करती हैं। भारतवर्ष में काले धनवानों और उनकी अमीरी का जो चेहरा है वह बहुत डराता है। गुस्सा भी बहुत आता है। यह कैसी व्यवस्था है जहां करोडों लोग भूखे सोने को विवश हैं और चंद लोग करोडों में खेल रहे हैं। कुछ पढे-लिखे लोगों की अमानवीयता को देखकर उनके इंसान होने पर शंका होने लगती है। देश में पांच सौ और हजार के नोट बंद होने के बाद अपने ही धन को पाने की खातिर कई भारतीयों ने कतार में लगकर अपनी जान गंवा दी। उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में एक डॉक्टर ने इंसानियत की कब्र खोद दी। एक पिता अपने एक साल के बीमार बेटे को लेकर डॉक्टर के पास इस उम्मीद से पहुंचा था कि वह उसे भला चंगा कर देगा। भारत वर्ष में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। लेकिन यह डॉक्टर तो धन का भूखा था। उसने बीमार बच्चे का तब तक इलाज किया जब तक पिता के पास उसे देने के लिए छोटे नोट थे। जब उनके पास पांच सौ के नोट रह गए तो डॉक्टर ने नोट लेने से मना कर दिया और इलाज बंद कर दिया। पिता ने लाख मिन्नतें कीं, लेकिन डॉक्टर नहीं पसीजा। उसे हैवान बनने में देरी नहीं लगी। उस शैतान ने बीमार बच्चे और माता-पिता को अस्पताल से बाहर खदेड दिया। इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश के शहर मेरठ में स्टेट बैंक से दो हजार रुपये बदलवाने पहुंचा एक मजदूर मौत के मुंह में समा गया। ६५ वर्षीय यह शख्स पावरलूम फैक्टरी में मजदूरी करता था। चार घण्टे तक लाइन में लगने पर भी उसका नम्बर नहीं आया। इस बीच खाली पेट होने के कारण उसे चक्कर आया और वह बेहोश होकर गिर पडा। कुछ लोगों ने रिक्शे पर डालकर उसे अस्पताल पहुंचाया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया? प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने में आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पडा है। राजधानी दिल्ली में एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों को नए नोटों में अस्पताल का बिल न चुका पाने के कारण घण्टों डेडबॉडी का इंतजार करना पडा। अस्पताल वाले पुराने नोट नहीं लेने पर अड गये। मीडिया ने जब बहुत समझाया-बुझाया और दबाव डाला तो तब कहीं जाकर पुराने नोट लिए गए और डेडबॉडी सौंपी गई। गाजियाबाद में परचून की दुकान चलाने वाले हर्षवर्धन त्यागी ने पाई-पाई जुटाकर बैंक में रकम जमा की थी। बेटी की शादी के लिए जीवन बीमा पालिसी के अगेंस्ट लोन लिया और वह रकम भी बैंक खाते में जमा करा दी। शादीवाले परिवारों को बैंक से एक मुश्त ढाई लाख रुपये निकालने की अनुमति के सरकार के आदेश के बावजूद बैंक ने रकम देने से मना कर दिया। बैंक मैनेजर की दलील थी कि अभी सरकार का आदेश नहीं आया है। काफी हील-हुज्जत के बाद बैंक ने मात्र बीस हजार रुपये दिए। हर्षवर्धन ने रिश्तेदारों और दोस्त यारों से उधार लेकर जैसे-तैसे बेटी की शादी निपटायी। नोटबंदी की घोषणा ने अनेकों परिवारों के यहां होने वाली शादियों को बेरौनक कर दिया। सोनीपत में बेटे की शादी में बैंक से नोट नहीं मिलने के कारण एक व्यक्ति ने रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। रकम जमा करवाने और नोट बदलने के लिए करोडों लोगों को घंटों लंबी लाइनों में खडा होना पडा। बैंकों और डाकघरों के कर्मचारियों ने अपने दायित्व का पालन करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कई कर्मचारी तो सैनिकों की तरह रात-दिन अपने-अपने कार्यस्थल पर डटे रहे। नागपुर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक अधिकारी की काम के दौरान मृत्यु हो गई। सेना में काम कर चुके यह अधिकारी जब घर से निकल रहे थे तब उनके सीने में दर्द हो रहा था। पत्नी ने डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने बैंक में पुराने नोट बदलने और जमा कराने वालों की भीड को देखते हुए अपने काम पर जाना जरूरी समझा।
जब देश के करोडों व्यापारी, मजदूर, रिक्शे, रेहडी वाले और छोटे-मोटे कारोबारी बैंकों के समक्ष लगी लाइनों में धक्के खा रहे थे तब एक तबका ऐसा भी था जो अपने काले धन को सोने की चमक में तब्दील कर रहा था। ५०० व १००० रुपये के नोटों पर पाबंदी लगने के बाद देश के कई हिस्सों में सोने के जरीए अरबों का काला धन सफेद हो गया। यह सारा धंधा बेहद गोपनीय तरीके से चला। सच तो यह है कि इस देश के आम आदमी के पास काला धन होने का सवाल ही नहीं उठता। वह तो लगभग रोज कमाने और खाने की स्थिति में जीता है। देश में नब्बे प्रतिशत काली माया सोने, शेयर्स, रियल इस्टेट, काले और नशीले धंधो में लगी हुई है, जिनकी सारी की सारी बागडोर बडे-बडे उद्योगपतियों, व्यापारियों, बिल्डरों, नेताओं और अफसरों के हाथ में है। कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी ने अपनी बेटी के विवाह पर ५०० करोड रुपये खर्च कर डाले। इस शाही शादी में पचास हजार से अधिक मेहमानों ने अपनी उपस्थिती दर्ज करायी। उपमहाद्वीप की सबसे महंगी शादियों में शामिल इस शादी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्ट कारोबारी कितने निर्मम हैं और उनके यहां कितना-कितना काला धन जमा है। जिसे खर्च करने के लिए वे मौके तलाशते रहते हैं। नोटबंदी के बाद यह तथ्य भी पुख्ता हो गया कि भारतवर्ष में धन की कोई कमी नहीं है। लेकिन यह धन अच्छे लोगों के पास पहुंचने की बजाय वह गलत लोगों के यहां जा पहुंचा है। इन्हीं बेइमानों की वजह से ईमानदार जनता को कई तरह की तकलीफें सहनी पड रही हैं। गौरतलब है कि इस शादी के लिए निमंत्रण पत्र एक बक्से में भेजा गया था, जिसमें एलसीडी स्क्रीन पर प्रकट होकर पूरा परिवार न्योता देता दिखायी दिया था। इस विवाह में बेंगलुरू पैलेस ग्राउंड में बालीवुड के आर्ट डायरेक्टरों की मदद से बडे-बडे आकार के सैट लगाकर खाने-पीने का इंतजाम किया गया। और भी कई शाही नजारे थे जिसके चलते इस शादी ने कुख्याति पायी। जनार्दन रेड्डी की कर्नाटक के सबसे ताकतवर लोगों में गिनती की जाती है। यह खनन माफिया ४० माह तक जेल की सलाखों के पीछे भी रह चुका है।
बिहार के एक व्यवसायी ने अपने काले धन को सफेद करने के लिए एक चार्टर्ड प्लेन किराये पर लिया और उडकर नागालैंड जा पहुंचा। जैसे ही विमान की दीमापुर में लैंडिंग हुई, सुरक्षा बलों ने उसे घेर लिया। जांच के दौरान ५ करोड ५ लाख रुपये बरामद किये गए। व्यापारी के बडी मात्रा में बंद हो चुके नोटों को लेकर उग्रवाद प्रभावित नागालैंड जाने से अन्य गंभीर सवाल भी खडे हो गये। कर्नाटक में ९ ट्रकों में पुराने नोट ले जाए जा रहे थे। तभी एक ट्रक रास्ते में पलट गया। ट्रक के पलटने से ५०० और १००० के नोट सडक पर बिखर गए। ट्रकों में नोटों को रद्दी कागजों से ढका गया था। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में छह करोड रुपये के बंद हो चुके नोट एक गाडी से बरामद किये गए। पकडे गये लोग शहरी सहकारी बैंक के कर्मचारी हैं। नागपुर के एक फ्लैट में पुलिस ने छापा मार कर एक करोड ८७ लाख रुपये के पुराने नोट बरामद किए। बताया जाता है कि यह किसी नेता का धन है। इस मामले में गिरफ्तार चार लोगों में एक चार्टर्ड अकांउटेंट भी है। नोट बंदी के पश्चात देश में जहां-तहां जिस बडी तादाद में बोरों में, ट्रकों में, नालों और नदियों में पुराने नोट मिले हैं उससे यह तो तय हो गया है कि देश में अपार काला धन है। नब्बे प्रतिशत लोगों ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है। कुछ भ्रष्टाचारियों के दुष्कर्मों की सज़ा पूरे देश को भुगतनी पड रही है।

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