Monday, May 22, 2023

सोशल मीडिया का दानवी चेहरा

    इंटरनेट पर सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बन चुका है, जहां एक से एक अच्छी और बुरी कलाकारियां देखने को मिल रही हैं। अभी हाल में दो ऐसे वीडियो देखने में आए, जिनका बिलकुल अलग मिजाज है। एक सकारात्मक तो दूसरा नकारात्मक। इसी से पता चलता है कि सोशल मीडिया को किस राह पर ले जाया जा रहा है। पहले वीडियो में अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में दूल्हा-दुल्हन स्टेज पर खड़े हैं। दोनों के हाथ में वरमाला है। मेहमानों के चेहरे से भी खुशी बरस रही है, जैसा कि अक्सर होता है, दूल्हे के दोस्त मजाकिया मूड में हैं। दुल्हन ने सामने खड़े दूल्हे के गले में वरमाला डाल दी है, लेकिन जैसे ही दूल्हे की बारी आती है तो वरमाला टूट जाती है, जिससे दुल्हन के चेहरे की चमक फीकी पड़ जाती है। ऐसे में मेहमान भी हैरान परेशान ऩजर आते हैं, लेकिन दूल्हे के चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कराहट है। वह तुरंत वरमाला के दोनों सिरे पकड़ गांठ मारता है और दुल्हन के गले में डाल देता है। आसपास मौजूद सभी मेहमान प्रफुल्लित हो जोर-जोर से तालियां बजाते हैं। दुल्हन का चेहरा फिर से चमकने-दमकने लगता है। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को लोगों ने बार-बार देखा और दूल्हे की जमकर तारीफ भी की। 

    दूसरे वायरल वीडियो में एक महिला जमीन पर पड़ी एक फोटो पर लातें बरसा रही है। उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया है। चप्पलें खाती यह फोटो उसके उस पति की है, जो सात फेरे लेने के पश्चात बरसों उसके साथ रहा, लेकिन अब दोनों में तलाक हो गया है। इस वीडियो को देखकर लोगों को अच्छा कम और बुरा ज्यादा लगा। जिस पति के साथ इस गुस्सैल महिला ने कभी जीने-मरने की कसमें खाई होंगी उसके ऐसे अपमान पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। यह कैसी अभागी महिला है, जो अपने पति के साथ बिताए सुंदर पलों की यादों को सहेज नहीं पाई और कितना निकम्मा और कमजोरियों का मारा होगा वह पति, जो इसके दिल में ़जरा भी जगह नहीं बना पाया! दरअसल रिश्तों में कब और क्यों विषैली खटास और दूरियां आ जाएं इसका पता लगाना आसान नहीं। तलाक होने पर खुश होना कोई गुनाह नहीं, लेकिन ऐसा हिंसक प्रदर्शन! यह भी सच है कि सोशल मीडिया पर यह तय नहीं किया जा सकता कि कौन गलत है और कौन सही, लेकिन फिर भी ऐसा हो रहा है। लोग अपने-अपने हिसाब से तीर और तलवारें चला रहे हैं। बिना इसकी फिक्र और परवाह किए कि किस-किस का सीना छलनी हो रहा है। कौन-कैसे तनाव और बदले की आग में तप रहा है। अब तो कई विद्वान यह कहते नहीं थक रहे हैं कि, सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों की आंधी और फर्जी खबरों की भीड़ देश को अराजकता की तरफ ले जा रही है। 

    यह पंक्तियां लिखते-लिखते कोविड काल का स्मरण हो आया है। जब महामारी की वजह से भारतीय हैरान-परेशान थे। कोविड के शिकारों को अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध नहीं हो रहे थे। वेंटिलेटर, रेमडिसिवर एवं अन्य आवश्यक दवाओं की कमी से बुरी तरह से जूझना पड़ रहा था। तब पीड़ितों के परिजन अपनी मजबूरियों, समस्याओं और जरूरतों की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर रहे थे। अस्पतालों में आक्सीजन की कमी से तड़पते मरीजों के वीडियो कोविड-19 की दिल दहलाने वाली हकीकत पेश कर रहे थे और जाने-अनजाने मित्र बिना किसी भेदभाव के एक दूसरे की सहायता और मार्गदर्शन कर रहे थे। जो लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया से दूर थे, उन्होंने भी इसके महत्व को समझा और अपनाया। यह कहना गलत नहीं होगा कि सोशल मीडिया के कारण लाखों लोग मौत के मुंंह में समाने से बच गए। 

    कोरोना काल में जो सोशल मीडिया एक दूसरे को जोड़ने का सशक्त सर्वहितकारी माध्यम बना, आज दूरियां बढ़ाने और नफरत फैलाने के लांछन क्यों झेल रहा है? आखिर वो कौन लोग हैं, जिन्होंने इसे फेक न्यूज और हेटस्पीच का प्लेटफार्म बना कर रख दिया है? कहीं न कहीं इसकी जानकारी हर सजग भारतवासी को है। जिस तरह से घृणा और नफरत की आंधी चलाई जा रही है और धर्म को खतरे में बताया जा रहा है। उससे शोधकर्ता तो यहां तक कह रहे हैं कि भारत में सोशल मीडिया का स्वरूप स्वार्थी और राक्षसी होता चला जा रहा है। सद्भाव की भावना को जागृत करने वाली सोच पर नफरत फैलाने और दंगे भड़काने की क्रूर शब्दावली हावी होती चली जा रही है। साम्प्रदायिक सद्भाव रखने के पक्षधरों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। एक बार किसी का विरोध करने का मन बना लेने के बाद उसकी तारीफ करने में तकलीफ होने लगी है। भले ही उसने कितना भी अच्छा काम क्यों न किया हो। 

    दिल्ली के मुख्यमंत्री ने हाल ही में ट्वीट करते हुए लिखा, वे मनीष सिसोदिया की बीमार पत्नी का हालचाल जानने के लिए अस्पताल गए थे। सीमा भाभी को मल्टीपल सोरायसिस की बीमारी है। यह बहुत गंदी बीमारी है। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। होना तो ये चाहिए था कि, बीमारी से जूझ रही महिला के शीघ्र स्वस्थ होने की मनोकामना की जाती, लेकिन बद्दिमाग दानवी सोचवालों ने अरविंद केजरीवाल को चरित्रहीन घोषित करने वाली अभद्र, शर्मनाक कमेंट्स की झड़ी लगा दी। सोशल मीडिया पर प्रतिष्ठित हस्तियों को शर्मनाक शब्दावली से अपमानित करने का जो सिलसिला जोर पकड़ रहा है उससे देश के खास तथा आमजनों को अत्यंत पीड़ा हो रही है। कुछ शैतान तो ऐसे हैं, जो इज़्जतदार महिलाओं पर कीचड़ उछालने की हिम्मत ऐसे दिखा रहे हैं, जैसे देश में कानून का नहीं गुंडागर्दी और मनमानी का राज चल रहा हो। देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी चिन्ता जतायी है। इस इक्कीसवीं सदी में हम कहां जा रहे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है। समाज का ताना-बाना बिखरा जा रहा है। हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। किसी का धर्म खतरे में नहीं है।

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