Thursday, July 13, 2023

कृष्ण के सुदामा

    देश के कुछ शहर ऐसे हैं, जिनकी हर किसी के दिल-दिमाग में बड़ी सुखद छवि बनी हुई है। उन्हीं में से एक शहर है, मध्यप्रदेश का इंदौर। यहां एक से एक पत्रकार, संपादक तथा साधु-संत हुए हैं। यहां की विविध खान-पान की वस्तुएं हर भारतीय मन को लुभाती हैं। कोई भी भला मानुस अपने शहर की आन-बान और शान पर बट्टा नहीं लगाना चाहता, लेकिन हर जगह कुछ सनकी, अहंकारी, मंदबुद्धि, क्रूर अपराधी अपना डेरा जमाये हैं, जो बार-बार हैवानियत का नंगा नाच दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुत्ते का तो काम ही है सतत भौंकना। यह निरीह वफादार प्राणी भौंकने की वजह से अपने मालिकों के लिए उपयोगी होता है। डाकू, चोर, सेंधमार उसके भौंकने से खुद को खतरे में पाते हैं। कुत्तों की यह वफादारी ही है, जो बहुत-सी वारदातों से बचाती है। किस्म-किस्म के कुत्तों को पालने के शौकीनों की मंशा भी सार्थक हो जाती है। कुत्तों की वफादारी और सजगता की असंख्य मिसालें हैं। उनका जिक्र फिर कभी। फिलहाल बात इंदौर के रहवासी बच्चालाल यादव की, जिसने अपना शैतानी चेहरा दिखाकर हर किसी को स्तब्ध कर दिया। सनकी बच्चालाल किसी भी कुत्ते को अपने सामने पाते ही भड़क जाता था। कई बार तो कुत्ते की गर्दन मरोड़ देने का विचार भी उसके मन में भगदड़ मचाता था। कुछ हफ्ते पहले कोई पशुप्रेमी उसी के मोहल्ले में किराये के मकान में रहने आये थे। उन्होंने एक विदेशी नस्ल का कुत्ता पाल रखा था। बच्चालाल जब भी उस घर के सामने से गुजरता तो पालतू कुत्ता भौंकने लगता। बच्चालाल को लगता कि कुत्ता उसी को देखते ही जोर-जोर से भौं-भौं करने लगता है। वह चाहता तो कुत्ते के भौंकने को नजरअंदाज कर सकता था, लेकिन उसने तो एक दिन बड़ी फुर्ती के साथ कुत्ते को दबोचा और अपने घर ले जाकर फांसी के फंदे पर लटका दिया। कुत्ते के हत्यारे बच्चालाल यादव के खिलाफ पुलिस ने पशु कू्ररता समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। 

    मध्यप्रदेश के ही सीधी जिले में प्रवेश शुक्ला नामक शख्स को आदिवासी दशमत रावत पर कुत्ते के अंदाज में तनकर खड़े होकर पेशाब करने की घटियागिरी और क्रूरता दिखाने में कोई शर्म नहीं आयी। जब वह दशमत पर पेशाब कर रहा था, तब उसके मुंह में जलती सिगरेट थी, जिसका धुंआ उसके अहंकार का साक्षी बना हुआ था। इस पेशाब कांड के जैसे ही वीडियो वायरल हुए तो सरकार के भी कान खड़े हो गये। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अपनी सरकार की नाकामी और बदनामी का डर सताने लगा और यह विचार मन-मस्तिष्क में खलबली मचाने लगा : विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं। विरोधी तो जीना हराम कर देंगे। आदिवासी के अपमान का राग अलापते हुए पता नहीं कितने वोट खा जाएंगे। उन्होंने बिना वक्त गंवाये उन्हीं की पार्टी के धुरंधर राजनेता के प्रतिनिधी के पेशाब से नहाये दशमत को सरकारी आवास पर बुलाकर बड़े आदर के साथ बैठाया। इससे पहले दूरदर्शी मुख्यमंत्री महोदय ने विभिन्न न्यूज चैनलों की कैमरा टीमों को शीघ्र पहुंचने का आमंत्रण भेज दिया। उन्हें तो दौड़े-दौड़े आना ही था। प्रदेश के मुखिया ने आदिवासी दशमत के वैसे ही पैर धोये जैसे कि अपनी योजनाओं का प्रचार करने के लिए अक्सर वे प्रदेश की भांजियों और महिलाओं के धोते रहते हैं। इससे उनका हर मकसद पूरा हो जाता है। प्रदेश के सर्वेसर्वा ने दशमत के माथे पर तिलक लगाकर शॉल भी ओढ़ाई और धड़ाधड फोटुएं खिंचवायीं। इस सारी नाटक-नौटंकी के दौरान मुख्यमंत्री दशमत से बार-बार यही कहते रहे कि दशमत, अब तुम मेरे मित्र हो। मैं कृष्ण, तुम मेरे सुदामा। अपने इस मित्र से उन्होंने और भी कई मुद्दों पर बातचीत करते-करते यह भी जानकारी लेनी चाही कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उस तक पहुंच रहा है या नहीं...? अपने मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात से दशमत अत्यंत प्रसन्न था। जब किसी पत्रकार ने उससे पेशाबकांड की विस्तृत जानकारी चाही तो उसने बस इतना कहा, ‘मैं क्या बताऊं, कुछ नहीं... जो होना था हो गया।’ जो होना था... वो हो गया के ऐसे शर्मनाक किस्से अनंत हैं। उनकी गिनती करना असंभव है। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि आदिवासियों पर जुल्म और कहर बरपाने में देश का प्रदेश मध्यप्रदेश नंबर वन है। आज भी इस प्रदेश के कई इलाके हैं, जहां दलित घोड़े पर चढ़ने और बारात निकालने से डरते हैं। कोई यदि हिम्मत करता भी है तो सवर्णों का खून खौल जाता है। उन्हें तब तक ठंडक नहीं मिलती, जब तक वे उनको अपमानित तथा पीट-पीट कर अधमरा नहीं कर देते।

घोर अहंकारी दरिंदे प्रवेश को गिरफ्तार करने के पश्चात उसके घर के अवैध हिस्से को बुलडोजर से तुरंत ढहा दिया गया, ताकि दूसरे हिंसक शोषकों की बंद आंखें खुल जाएं। वे ऐसी किसी भी घिनौनी करतूत को अंजाम देने से बार-बार घबरायें, लेकिन लगता है कि दबंगों की सोच तो कुत्तों जैसी है, जिनकी टेढ़ी पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती। पेशाब कांड के तीसरे दिन ग्वालियर में फिर एक व्यक्ति से चलती गाड़ी में ऐसा ही अमानवीय व्यवहार किया गया। उसे बेतहाशा मारने-पीटने के साथ-साथ उनके तलुओं को चाटने को विवश करने वाले अपराधी बार-बार असहाय इंसान को ‘गोलू गुर्जर तेरा बाप है’ कहने को विवश करते रहे। उन्होंने उसके चेहरे पर जूते भी बरसाये। सदियों से अपमान और शोषण के शिकार होते चले आ रहे दशमत जैसे भारतीय बड़े ही संतोषी किस्म के जीव हैं। उन्हें बड़ी आसानी से भूल जाना और माफ करना आता है। वे इस उम्मीद पर जिन्दा हैं कि आज नहीं तो कल भारत में बदलाव आयेगा। हमें नहीं तो हमारी आने वाली संतानों को भेदभाव मुक्त आबोहवा जरूर नसीब होगी, लेकिन...?

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