Thursday, July 6, 2023

गुमराह

    बचपन भटक रहा है। बच्चे मोबाइल रोगी बन रहे हैं। छोटी उम्र में बड़े-बड़े अपराध कर रहे हैं। उनसे गलत काम करवाये जा रहे हैं। जिन्हें भविष्य में देश की बागडोर संभालनी थी उनके हाथ में तलवारें, चाकू, छुरियां और कट्टे हैं। उन्हें न तो अपने माता-पिता और न ही कानून का कोई भय है। अब जब मैं लिखने के लिए अपनी कलम थामे हूं तब मेरी नज़रें कुछ खबरों के शीर्षकों पर अटकी है : एक पंद्रह वर्ष के लड़के ने एक लड़की के सीने में चाकू घोंप दिया। वह लड़की का कई दिनों से पीछा कर रहा था। पहले तो लड़की ने नजरअंदाज किया, लेकिन जब उसकी अशोभनीय हरकतें सीमा लांघने लगीं तो उसने उसे भरी भीड़ में चप्पल से धुन दिया। लड़की की यह अकल्पनीय प्रतिक्रिया ने नाबालिग लड़के के खून को खौला दिया। उसने फौरन अपनी जेब में रखा चाकू निकाला और उसके जिस्म में घोंप दिया। भीड़ देखती रही। बड़े आराम से वह हत्या कर चलता बना।

    नागपुर में एक लड़के का इसलिए खून खौल गया, क्योंकि उसी के एक दोस्त ने उसकी गर्लफ्रेंड को इंस्टाग्राम पर प्रशंसा के मैसेज भेजने की गुस्ताखी कर दी थी। पहले तो उसने उसे इंस्टाग्राम पर मैसेज करके उसकी गर्लफ्रेंड को लाइक और मैसेज नहीं करने की धमकी दी। फिर एक-दूसरे को गाली-गलौच और धमकियों का दौर चला फिर मैसेज करने वाले लड़के के सीने में चाकू उतार कर मौत के घाट उतार दिया गया। हत्यारा शराबी और गंजेड़ी है। इस नृशंस हत्या को अंजाम देने के लिए उसने दो नाबालिग साथियों की मदद लेकर उन्हें भी अपराधी बना दिया। एक पंद्रह वर्षीय छात्र ने अपने पड़ोसी के यहां घुस कर लाखों रुपये की नकदी तथा गहनों पर हाथ साफ कर दिया। उसे पता था कि पड़ोसी कुछ दिन के लिए बाहर गये हैं। स्कूल में अपने धनवान साथियों को बेतहाशा खर्च करते देख उसका मन भटकने लगा था। माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं। अपने सहपाठियों की बराबरी के लिए उसने यह अपराध की राह चुनी! उम्रदराज पिता ने अपनी लड़की की सहेली से दुष्कर्म किया। अपने नाबालिग बेटे से दुष्कर्म का वीडियो भी बनवाया। 

    नरेश महिलांगे। हां, यही नाम है उस अपराधी युवक का, जिस पर चोरी, डकैती के तीस से ज्यादा केस दर्ज हैं। उसने पिछले महीने नागपुर में स्थित साईंबाबा कॉलोनी के एक घर से डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की नकदी तथा कार चुराई थी। तभी से वह फरार था। पुलिस ने उसके पिता से 77 लाख 50 हजार रुपये जब्त किए थे। यानी जन्मदाता को भी अपने बेटे के चोर, डाकू और लुटेरे होने का पता था। वह उसका साथ देता चला आ रहा था। पुलिस ने काफी भागादौड़ी के बाद नरेश को हथकड़ियां पहनायीं। उसके चेहरे पर भय का कोई नामो-निशान नहीं था। उलटे वह पुलिस को ही चुनौती देने के अंदाज में कहने लगा कि तुम लोग चाहे कितना भी जोर लगा लो, लेकिन मैं कुछ भी नहीं उगलूंगा। यह तुम्हारा ‘बाजीराव’ मेरे लिए असरहीन हो चुका है। ज्ञातव्य है कि बाजीराव एक ऐसा पुलिसिया हथियार है, जिससे खूंखार अपराधियों के जिस्म को बड़ी बेरहमी से तोड़ा जाता है और येन-केन-प्रकारेण उसकी जुबान खुलवायी जाती है। कई संगीन अपराधियों की तो इसका नाम सुनते ही चड्डी गीली हो जाती है। पुलिस हिरासत के दौरान पूछताछ से बचने के लिए नरेश कई बार खुद को जख्मी कर चुका है। अनेकों बार जूते-डंडे, घूसे थप्पड़ झेल चुका नरेश पुलिसिया मार का अभ्यस्त हो गया है। हर माह वह महंगे नशों पर लाखों रुपये फूंक देता है। उसकी प्रेमिका भी शराबी है। अपराधी सोच ने युवाओं को किस कदर निर्मोही, लालची और अंधा बना दिया है, इसका इस खबर से सटीक पता चलता है : राजस्थान के अलवर जिले में स्थित खेड़ा गांव में दो कलयुगी बेटों ने जमीन अपने नाम करवाने के लिए अपने बुजुर्ग माता-पिता के पत्थर तोड़ने के हथौड़े से हाथ-पैर तोड़ डाले। गंभीर रूप से घायल वृद्ध मां को लहुलूहान हालत में तड़पता देखकर अस्पताल के डॉक्टरों के भी होश उड़ गये। आंखें नम हो गईं। मां के तो पैर टूटकर लटके हुए थे। उम्रदराज माता-पिता के मुंह से बार-बार यही शब्द निकल रहे थे, ‘भगवान ऐसी औलाद किसी दुश्मन को भी न दे।’ अपनी ही औलाद के हाथों पिटे पिता का कहना था कि जिस तरह से हथौड़े और लात-घूसों से बच्चों ने उन्हें पीटा उसके बारे में बताने में ही हमें शर्म आ रही है।  

    इंटरनेट के इस जमाने में देश, प्रदेश, शहर, गांव और गली मोहल्लों में कई ऐसे बच्चे हैं, जिनसे उनके परिजन ही नहीं, प्रशासन और समाज भी परेशान और दुखी है। नाबालिग लड़के और लड़कियां पान मसाला में एमडी ड्रग ले रहे हैं। स्कूली बच्चे तक ड्रग तस्करों के निशाने पर हैं। छात्र-छात्राओं को पहले तो तस्कर उधारी में ड्रग्स देते हैं और जब उन्हें इसकी लत लग जाती है, तब उनसे रकम वसूलने लगते हैं। वसूली के लिए उन्हें तरह-तरह से परेशान किया जाता है। बीते हफ्ते नागपुर में एक लड़के ने तस्करों के आतंक से मुक्ति पाने के लिए आत्महत्या कर ली। कुछ लड़कियों को कालगर्ल के पेशे को अपनाने के लिए विवश होना पड़ा है। अपराध करने की सभी हदें पार करते इन अधिकांश नाबालिग अपराधियों की काउंसिलिंग करने पर पता चला कि कम उम्र में ही शराब, हुक्का तथा दूसरी नशीली वस्तुओं के साथ-साथ शारीरिक संबंध बनाने की लालसा उन्हें किसी भी स्तर तक ले जा रही है। लड़कियों को आकर्षित करने और उन पर धन लुटाने के लिए घर में सेंध लगाने, वाहन चुराने तथा चेन स्नैचिंग करने वाले किशोरों की तादाद में इधर के वर्षों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यह कितनी हैरत भरी हकीकत है कि, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाने को विवश होना पड़ा है कि रज़ामंदी से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र 18 वर्ष की बजाय 16 वर्ष कर दी जाए। कोर्ट का यह सुझाव पढ़कर मेरे मन में ढेरों विचार आते रहे। यह उम्र वासना के भंवर में डूब कर अपनी ऊर्जा नष्ट करने की बजाय सकारात्मक दिशा की तरफ कदम बढ़ने की होती है। बच्चों को बेहतर शिक्षा से संस्कारित करने की बजाय उन्हें सेक्स के दलदल में धंसने की सुविधा से नवाजने की मांग इस कलमकार को तो कतई सार्थक समाधान प्रतीत नहीं होती। इंटरनेट तो अब सर्वव्यापी है। इसकी पहुंच की कोई सीमा नहीं। आज सोलह वर्ष के किशोर सेक्स के लिए पगलाये हैं तो कल को तेरह-चौदह साल के बच्चे धड़ाधड़ खुलकर शारीरिक संबंध बनाने पर उतर आए तो क्या कोर्ट इस उम्र के लड़के-लड़कियों के लिए भी गर्त में समाने की सुविधा की मांग करेगा? मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मानसिक अस्थिरता, हीनता की भावना तथा मंदबुद्धी भी बाल तथा युवा अपराध का बड़ा कारण है। जिन घरों में निर्धनता तथा पारिवारिक क्लेश बना रहता है या परिजन अपराध कर्म में लिप्त रहते हैं, उनके बच्चे बड़ी आसानी से विभिन्न अपराधों मे लिप्त हो जाते हैं। दरअसल, जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं होतीं, तो उन्हें निराशा और कुंठा घेर लेती है, जिसका प्रतिफल हैं ये अपराध। जिनसे आज सारा देश रूबरू है। माता-पिता की लापरवाही, अशिक्षा और बेरोजगारी लड़के-लड़कियों से गुनाह करवा रही है। आसपास का वातावरण भी बचपन को भटकाने तथा बरबाद करने में सहभागी है। यदि पड़ोस में हत्यारे, शराबी, जुआरी, जेबकतरे रहते हैं, तो उनकी नजदीकी और संगत उन्हें दुर्गुणी बनाती है।

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