Thursday, January 11, 2024

नकाब

    नारंगी नगर नागपुर में सीबीआई ने पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पेसो) के दो अधिकारियों को दस लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ने में सफलता पायी। राजस्थान की एक केमिकल कंपनी को अतिरिक्त डिटोनेटर बनाने की अनुमति देने के लिए इस जगजाहिर सहज-सुलभ भ्रष्टाचारी राह को चुना गया था। देशभर में विस्फोटक उत्पादन करने वाली कंपनियों पर नियंत्रण और नज़र रखने वाले पेसो का मुख्यालय नागपुर के सेमिनरी हिल्स पर स्थित है। पुलिस तथा सीबीआई कार्यालय को लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं कि इस कार्यालय के अधिकारी विस्फोटक निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनके विस्फोटक निर्माण लाइसेंस रद्द करने की धमकी देकर लाखों रुपये की रिश्वत लेते हैं। बिना देखे-जांचे किसी भी कंपनी को मनचाहा उत्पादन करने की छूट देते हैं। राजस्थान की केमिकल कंपनी को उसकी इच्छा के अनुसार डिटोनेटर बनाने की अनुमति देने की ऐवज में भ्रष्ट अधिकारियों ने दस लाख रुपये की घूस मांगी थी, लेकिन अंतत: सीबीआई के बिछाये जाल से बच नहीं पाये। राजनेताओं, सत्ताधीशों और नौकरशाही को हर तरह से संतुष्ट कर देश में कई लोगों ने गोला-बारूद और हथियार बनाने के लायसेंस लेकर चंद वर्षों में करोड़ों-अरबों की धन दौलत जमा कर ली है। गोला-बारूद बनाने वाले अधिकांश उद्योगपति सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। कई बार उन्हीं के कारखानों से विस्फोटक सामग्री अराजक तत्वों तक पहुंच जाती है और उन्हें पता ही नहीं चल पाता? जब कहीं धमाके होते हैं तब भी उन पर आंच नहीं आती! 

    अपने यहां नाम मात्र के ही उद्योगपति हैं, जो अपने बारूद कारखानों में सुरक्षा नियमों का सतर्कता के साथ पालन करते हैं। अधिकांश धन्नासेठों के लिए मेहनतकश मजदूर कीड़े-मकोडे हैं। नागपुर के इस रिश्वत कांड के उजागर होने से कुछ दिन पहले नागपुर में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी विस्फोटक निर्माता कंपनी में हुए भयानक विस्फोट में छह महिलाओं सहित नौ श्रमिकों के परखच्चे उड़ गये। उनके परिजन अपनों के शवों को देखने के लिए तरसते रहे। उनके हाथ आए बस चीथड़े ही चीथड़े। जिनका रोते-कलपते हुए उन्होंने अंतिम संस्कार तो कर दिया, लेकिन उनके आंसू थम नहीं पाये। हथियारों के कारखाने के स्वामी की नज़र में भले ही हादसा हो, लेकिन मृतकों के परिजनों के लिए तो यह हत्या ही है। अंधाधुंध धन कमाने के लिए किया गया अक्षम्य संगीन अपराध है। इस बारूद के कारखाने में पहले भी कई बार जानलेवा विस्फोट हो चुके हैं, लेकिन इस बार के भयानक धमाके के बाद का मंजर इतना दर्दनाक था कि देखने वालों की रूह कांप गयी। आंखों से आंसू ही आंसू झरते रहे। लोगों ने धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी। सभी मृतकों के टुकड़ों-टुकड़ों में बंटे शवों को बड़ी मुश्किल से समेट कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रतिवर्ष हजारों-हजारों टन विस्फोटक बनाने वाली इस इंडस्ट्रीज में भारतीय सेना के उपयोग में आने वाले गोला-बारूद और विभिन्न हथियारों का निर्माण किया जाता है। 1984 में भारतीय स्टेट बैंक से साठ लाख रुपये का कर्ज लेकर विस्फोटकों के निर्माण क्षेत्र में पदापर्ण करने वाली कंपनी के निर्माता आज की तारीख में पंद्रह हजार करोड़ रुपये से अधिक की धन-दौलत के स्वामी हैं। देश के शीर्ष धनाढ्यों में अपना नाम शुमार करा चुके इस कंपनी के सर्वेसर्वा का एक से एक ऊंचे लोगों के बीच उठना-बैठना है। उनकी छाती पर दानवीर का तमगा भी लगा है। विख्यात पत्रिका फोर्ब्स के कवर पेज पर उनकी तस्वीर शोभायमान हो चुकी है। 

    कुछ दिन पहले एक अंतराष्ट्रीय जांच एजेंसी की बड़ी ही चौंकाने वाली रिपोर्ट पढ़ने में आयी कि भ्रष्टाचार के मामले में हमारा महान भारत देश पांचवें नंबर पर आ गया है। इसी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पृथ्वी का स्वर्ग कहलाने को बेताब हिंदुस्तान में सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार आम भ्रष्टाचार के मुकाबले सर्वाधिक है, जिसे राजनीति और राजनेताओं का भरपूर साथ और आशीर्वाद मिलता चला आ रहा है। सरकारी भ्रष्टाचारियों की बदौलत कई काले-पीले उद्योगपति देखते ही देखते टाटा-बिरला और अंबानी के समक्ष खड़े नज़र आने लगे हैं। देश के जाने-माने कुछ उद्योगपति अपनी आत्मकथाओं में लिख चुके हैं कि यदि भ्रष्ट अफसरशाही नहीं होती तो वे यहां तक पहुंच ही नहीं पाते। कंगाली और गरीबी के चक्रव्यूह में ही फंसे रह जाते। देश में नकाबपोश अफसरों की भरमार है। यही धुरंधर कारोबारियों को भ्रष्टाचार के मार्ग सुझाते हैं। जब तक यह गठजोड़ रहेगा तब तक इस देश का ईमानदार आदमी गरीबी और भुखमरी के शिकंजे में जकड़ा रहेगा। अधिकांश भ्रष्टाचारियों के चेहरों के नकाब उतर ही नहीं पाते। अब तो बेइमान धंधेबाज सीनाजोरी करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर तथा विभिन्न सरकारी जांच एजेंसियों के कार्य में विघ्न डालते हुए उन पर हमले भी करने लगे हैं। अभी हाल ही में प.बंगाल के उत्तरी परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस नेता के यहां ईडी ने छापा मारी की तो अधिकारियों पर जानलेवा हमला कर उन्हें लहुलूहान किया गया। छत्तीसगढ़ के भिलाई में भी ईडी के अधिकारियों पर ऐसा ही हमला हो चुका है। पटना तथा मेरठ में शराब माफियाओं के यहां जांच करने गये अधिकारियों के पिटने की खबरों के साथ-साथ और भी ऐसी मार-ठुकायी की वारदातें सुनने-पढ़ने में आती रहती हैं। कुछ राजनेता और सत्ताधीश तो ईडी और आयकर विभाग को जरा भी अहमियत ही नहीं देते। उनकी निगाह में यह सरकारी संस्थान कठपुतली भर हैं। इनसे काहे को डरना। डरने का काम तो आम जनता का है। हम तो खास हैं...।

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