Thursday, January 4, 2024

गारंटी

    बीते सालों से अलग है। 2023 के गर्भ से निकला 2024 का यह साल। इस वर्ष में क्या-क्या होगा उसका अनुमान लगाना आसान भी है और थोड़ा मुश्किल भी। वक्त की नब्ज़ को पूरी तरह से जांचने और परखने वाला डॉक्टर अभी तक तो पैदा नहीं हुआ है। इसे लेकर अपने-अपने अनुमान होते हैं। अपनी-अपनी सोच होती है। वक्त से बड़ा बलवान और कोई नहीं। कब किसी अर्श से फर्श पर पटक दे। राजा को फकीर बना दे, बताना मुश्किल है। बीते सालों में इस कहावत को हमने बार-बार साकार होते देखा है। धर्म और राजनीति का घालमेल भी हमारे सामने है। ऐसा भी लगता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की गाड़ी धर्म और राजनीति की पटरी पर ही चल रही है। नामी-गिरामी बाबाओं, स्थापित नेताओं की नैया डूबने और किस्मत के चमकने के अटूट सिलसिले भी किसी से छिपे नहीं हैं।

    चार दशक तक राम मंदिर के निर्माण को लेकर संशय की स्थिति बनी रही। करोड़ों भारतीयों का स्वप्न अब शीघ्र ही साकार होने को है। 22 जनवरी को रामलला की भव्य मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। वर्षों से राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र रहे अयोध्या को सर्व सुविधायुक्त बनाने तथा श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह को यादगार बनाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अयोध्यावासियों ने भी देश और दुनिया के अतिथियों के स्वागत-सत्कार के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। श्रीराम मंदिर के अलौकिक स्वरूप और उसकी भव्यता की खबरों को सुनने और के पश्चात करोड़ों भारतीय 22 जनवरी को ही अयोध्या पहुंचने को लालायित हैं। यह स्वाभाविक भी है, लेकिन इस जल्दबाजी से खतरे भी जुड़े हैं। इसीलिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सभी से प्रार्थना की है कि मुझे पता है कि हर किसी की 22 जनवरी को अयोध्या आने की प्रबल तमन्ना है, लेकिन सभी राम भक्तों के एक साथ पहुंचने से सुरक्षा और व्यवस्था की गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है। इसलिए मेरी आप सबसे बार-बार प्रार्थना है कि जिस तरह से आपने 500 साल तक इंतजार किया है, तो कुछ दिन तक और इंतजार कर लें। अयोध्या का भव्य, दिव्य मंदिर आने वाली सदियों-सदियों तक दर्शन के लिए उपलब्ध है। 22 जनवरी को जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम विराजमान हों तब अपने घरों में श्रीराम ज्योति जलाएं। दीपावली मनाएं। इस दिन की शाम पूरे हिंदुस्तान में जगमग-जगमग होनी चाहिए। 

    गौरतलब है कि देश के कुछ मंदिरों, धार्मिक स्थलों में अनियंत्रित भीड़ की बेसब्री की वजह से भगदड़ मचती रही है, जिसमें कई लोगों की जान जाने तथा बुरी तरह से घायल होने की सुर्खियां पाती रही हैं। 2024 में ही आम चुनाव होने हैं। भाजपा ने ‘अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार’ के नारे को जोर-शोर से गुंजायमान करना प्रारंभ कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी श्रीराम मंदिर को अपनी उपलब्धि दर्शाने पर तुले हैं। बीते महीने सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में राम मंदिर के चित्र और नारे वाले चुनावी होर्डिंग लगाये थे तो कांग्रेस ने इसे आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन बताकर आपत्ति दर्शायी थी। भाजपा के नेताओं का दावा था कि राम मंदिर का चित्र कोई धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। इसलिए इसके इस्तेमाल में आदर्श आचार संहिता आड़े नहीं आती। सभी जानते हैं कि भगवान श्रीराम और अयोध्या में मंदिर निर्माण के आश्वासन की बदौलत ही भारतीय जनता पार्टी की गाड़ी यहां तक पहुंची है। अब तो उसने अपना वादा भी पूरा कर दिया है। सफलता का श्रेय लेने का चलन तो तब से चला आ रहा है जब से देश आजाद हुआ है। कम अज़ कम भारत में तो इसके बिना राजनीति चलने से रही। 22 जनवरी को अयोध्या में ही नहीं पूरे देश में भगवान श्रीराम के चित्र के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें नज़र आएंगी। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव तथा उसके बाद भी बना रहेगा। विपक्षी बस देखते और खौलते रह जाएंगे। स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, मेक-इन-इंडिया और सबसे महत्वपूर्ण स्टार्ट-अप के पूरे इकोसिस्टम को बढ़ावा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम की गारंटी देकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में भाजपा की जीत का झंडा फहराया है। यकीनन मोदी का कद भाजपा से बहुत बढ़ा हो चुका है। सिर पर खड़े लोकसभा चुनावों में भी वे मतदाताओं से यह कह कर वोट मांगेंगे कि आप सभी बस मुझ पर यकीन करें। हर वादा जरूर पूरा होगा। मतदाताओं को यदि उन पर यकीन नहीं होता तो विधानसभा के चुनावों में भाजपा को चौंकाने वाली जीत नहीं मिलती। वैसे यह भी सच है कि मतदाताओं के मन को पूरी तरह से जान और पढ़ पाना कभी भी आसान नहीं रहा। उन्होंने बड़ी खामोशी के साथ कई बार सत्ताधीशों के होश ठिकाने लगाये हैं। कई बार छले जा चुके देशवासी शाब्दिक गारंटी नहीं चाहते। वादों को धरातल पर साकार होते देखना चाहते हैं। हर भारतवासी आपसी सद्भाव, सर्वधर्म समभाव के व्यवहार की गारंटी चाहता है। वह भारत में राम राज्य के मूल्यों को पूर्णतया स्थापित होते देखना चाहता है। महिलाओं तथा दबे-कुचले भारतीयों की सुरक्षा की गारंटी के साथ-साथ वह इस बात की भी पूरी-पूरी गारंटी चाहता है कि भाजपा का कोई भी राजनेता भड़काऊ भाषणबाजी न करे। किसी के साथ अन्याय न हो। सभी के धर्म-कर्म और आस्था के मान-सम्मान के साथ शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाए।

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