Thursday, March 6, 2025

हवस के शिकारी

चित्र-1 : महाराष्ट्र की उपराजधानी, संतरा नगरी के रंग बहुत तेजी से बदल रहे हैं। मायानगरी मुंबई की तर्ज पर यहां पर भी पब-लाउंज तथा विभिन्न होटलों, फार्म हाउस में रात को शुरू होने वाली भरपूर मस्ती की पार्टियां तड़के तक चलती रहती हैं। नशे के इन कुख्यात ठिकानों पर युवकों के साथ-साथ महिलाओं तथा युवतियों की बेखौफ भीड़ एक बारगी तो दंग ही कर देती है। नव धनाढ्य रईसों के बिगड़े लड़के-लड़कियों के इस मदमस्त जमावड़े को एमडी-गांजा तथा अन्य नशे के सामान मुहैया कराने के लिए ड्रग तस्कर वहीं के वहीं तंबू गाड़कर सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। दो-तीन पब-लाउंज तो ऐसे हैं जिनके मालिक दमदार नेता हैं, या उनके बेटे-बेटी की भागीदारी है, जिन्हें आगे जाकर राजनीति करनी है और प्रदेश और देश की बागडोर संभाल कर अपने भ्रष्टाचारी बाप की तरह चांदी काटनी है। इन ऊंचे चेहरों के नशीले धंधों-फंदों पर पुलिस कार्रवाई करने से घबराती-कतराती है। दूसरे पब-लाउंज, फार्म हाऊस, हुक्का पालॅर शराबखाने आदि में खाकी वर्दी वाले कभी-कभी धड़धड़ाते हुए पहुंच कर कानूनी डंडा चलाने का दावा करते हैं, लेकिन नेताओं के अड्डों के दरवाजे के इर्द-गिर्द मंडरा कर लौट जाते हैं। महाराष्ट्र व विदर्भ के कई नेता एक साथ स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बीयर बार, शराब दुकानें तथा पब-लाउंज चलाने की महारत रखते हैं। धन के लिए लोगों को बीमार भी करते हैं और दवा-दारू का इंतजाम भी बड़ी शान के साथ करते हुए समाजसेवा का डंका पीटते नज़र आते हैं। देश को खोखला करने में अग्रणी ये समाजसेवक अपराधियों से भी करीबी रखने में सिद्धहस्त हैं। 

संतरों के शहर में पड़ोसी शहरों के लड़के-लड़कियां काफी बड़ी संख्या में पढ़ने तथा नौकरी के लिए आते हैं। स्थानीय के साथ-साथ उन बाहरी कॉलेज छात्र-छात्राओं पर ड्रग तस्करों की नजरें सतत टिकी रहती हैं जिन्हें उनकी कमजोरियों के कारण अपने चंगुल में फंसाने में उन्हें आसानी होती है। युवाओं तथा नाबालिगों (हां, यह सच है) को पक्का नशेड़ी बनाने के लिए शुरू-शुरू में तो मुफ्त में गांजा और चरस, एमडी जैसे नशे थमाये जाते है। कुछ दिनों, हफ्तों के बाद इनकी लत लगने पर कीमत वसूली जाती है। जो घर-परिवार से संपन्न है। वे तो नशों का भुगतान कर देते हैं, लेकिन जिनकी हैसियत नहीं, लेकिन नशे के बिना रह नहीं पाते उन्हें मौत के सामानों को बेचने के लिए नये-नये ग्राहक तलाशने के काम पर लगा दिया जाता है। 

शहर की कई युवतियां ड्रग्स की डिलीवरी के काम में लगी हुई हैं। धनाढ्य घरानों की महिलाएं और युवतियां इनकी नियमित ग्राहक हैं। शहर की पॉश पार्टियों में भी ड्रग्स की डिलीवरी करने वाली नशेडी लड़कियों का हश्र भी किसी से छिपा नहीं। नशे ने इन्हें देह के धंधे में धकेल दिया है। खुद के ऊपर कालगर्ल का ठपा लगवा कर यह अपने वर्तमान से तो खुश हैं, लेकिन इनके डरावने कल का ऊपर वाला ही मालिक है।

चित्र-2 : पुणे शहर को महाराष्ट्र का सांस्कृतिक शहर भी कहा जाता है। यहां पर देश के विभिन्न प्रदेशों से लड़के-लड़कियां विभिन्न डिग्रियां लेने के लिए आते हैं। पुणे, लाखों युवाओं को नौकरियां देने में भी भेदभाव नहीं करता। सभी को खुशी-खुशी अपने में समाहित कर प्रसन्न कर देता है। इसी सांस्कृतिक शहर के बसस्टैंड पर खड़ी एक बस में 20 वर्षीय युवती नशेड़ी युवक की हवस का शिकार होकर अखबारों तथा न्यूज चैनलों की गर्मागर्म खबर बन गई। वासना के दलदल में डूबे शैतान ने अपनी मीठी-मीठी बातों के जाल में फंसाकर आधे घंटे से ज्यादा समय तक युवती को अपने कब्जे में रखते हुए दो बार बलात्कार का शिकार बनाया। युवती चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन उसकी फरियाद वहीं सिमट कर दम तोड़ती रही। बस स्टैंड के बाहर पुलिस की तैनाती थी, लेकिन अंदर सन्नाटा था। बलात्कारी को पकड़ने के लिए पुलिस को 72 घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। वह पुणे के निकट स्थित एक गांव में जाकर छिप गया था। वहां के गन्ने के खेतों में वह दो दिनों तक छिपा-दुबका रहा। जब भूख और प्यास ने उसे परेशान किया तो वह अंधेरी रात में लस्त-पस्त हालत में अपने रिश्तेदारों के यहां भोजन-पानी के लिए जा पहुंचा। उसने उन्हें अपने गुनाह के बारे में भी बताया और यह भी कहा कि वह पुलिस से बचने के लिए भागता फिर रहा है। अब वह आत्म समर्पण कर आराम करना चाहता है। पानी की बोतल लेकर वह वापस गन्ने के खेत में जाकर सो गया। ग्रामीणों की सतर्कता और मदद से अंतत: उसे दबोच लिया गया। 

चित्र-3 : एक बीस वर्षीय युवती जो कि कॉलेज की छात्रा है उसे उसी की सहेली के रिश्तेदार युवक ने ढाबे पर पार्टी में शामिल होने के लिए बड़ी आसानी से मना लिया। दोनों ने ढाबे पर शराब और बीयर गटकी। युवती ने पहली बार नशा किया था। युवक उसे दुपहिया वाहन पर बैठाकर करीब के एक होटल में ले गया। उसने पहले से ही कमरा बुक करवा रखा था। कमरे में दाखिल होते ही वह छात्रा को जिस्मानी संबंध बनाने के लिए उकसाने लगा। छात्रा का माथा ठनका। युवक की वासना का शिकार होने से बचने के लिए वह उसे थोड़ा सब्र करने का लालीपॉप देकर बॉथरूम में चली गई। वहां से उसने बड़े धैर्य के साथ अपने किसी रिश्तेदार को घटना की संपूर्ण जानकारी देते हुए लोकेशन भी भेज दिया। उसका सजग रिश्तेदार कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच गया और अनहोनी टल गई। युवक को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है।

चित्र-4 : मंदिरों में लोग पूजा-पाठ के लिए जाते हैं। ईश्वर के प्रति अटूट आस्था उन्हें देवालयों में खींच कर ले जाती है। हर आस्थावान की यही सोच होती है कि जहां प्रभु बसते हैं, वहां उनकी सुरक्षा पर कभी कोई आंच नहीं आ सकती। उत्तरप्रदेश के शहर बदायूं में तीन बच्चों की मां रोजाना की तरह मंदिर में पूजा करने गई थी। उसे अकेले देख मंदिर के पुजारी की नीयत डोल गई। पुजारी के साथ-साथ उसके चेले और ड्राइवर ने पचास वर्षीय असहाय महिला की अस्मत लूटने के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डालकर तड़पा-तड़पा कर मार डाला। नृशंस बलात्कार और हत्या करने के पश्चात हवस के पुजारी ने अपने चेले और ड्राइवर की मदद से खून से लथपथ शव को जीप में डाला और उसके घर के बाहर फेंक कर फरार हो गया...।

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