Monday, September 1, 2025

कितनी लाचार और नादान हैं बेचारी!

कोई दिन ऐसा नहीं जिस दिन ऐसी खबर नहीं। गंगा जमुना रेड एरिया में पुलिस का छापा। आठ लड़कियों को मुक्त कराया। इनमें पांच हैं नाबालिग। देह मंडी से पुलिस चौकी लगी हुई है। खाकी वर्दी वालों ने जानकारी होने के बावजूद आंखें मूंदे रखीं। बस जेब भरते रहे। संतरा नगरी में एक कुख्यात गैंगस्टर की छत्रछाया में चल रहे कॉपर सैलून में पुलिसिया छापे के दौरान सैक्स रैकेट का भंडाफोड़। पांच पीड़िताओंको पुलिस ने अपने कब्जे में लिया। इनमें दो छात्राओं का भी समावेश है। पिस्तौल की नोंक पर गैंगस्टर ने पहले इनसे बलात्कार किया, फिर देह के धंधे में झोंक दिया।

क्राइम ब्रांच के सामाजिक सुरक्षा दस्ते ने हुडकेश्वर इलाके में चल रहे देह व्यापार के अड्डे से छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक महिला को मुक्त कराया। सुनीता और उसका बेटा यश इस अड्डे के संचालक हैं। दोनों ही लड़कियों को अच्छी कमायी का लालच देकर फांसते थे और बेखौफ होकर जिस्म फरोशी करवाते थे। छत्तीसगढ़ से रोजी-रोटी की तलाश में आई महिला को भी मां-बेटे ने मिलकर अपने जाल में फंसाया था। इसी तरह से रईसों के इलाके वाठोड़ा में स्थित एक होटल में गुप्त कमरे में चल रहे देह व्यापार में लिप्त दो पीड़ित महिलाओं को छुड़ाया गया। यह दोनों महिलाएं पहले भी कई बार ग्राहकों के जिस्म की भूख मिटाती पकड़ी जा चुकी हैं। शहर में बीयर बार की आड़ में चोरी-छिपे डांस बार की खबर लगने पर पुलिस ने जब छापा मारा तो पुलिस ने देखा कि तीन युवतियां आधे-अधूरे वस्त्रों में अश्लील नृत्य कर रही थीं। रात के डेढ़ बजे लगभग पचास से ज्यादा शौकीन बेशर्मी से सराबोर डांस का शराब पीते हुए मज़ा ले रहे थे। उनके द्वारा नशे में झूमती बालाओं पर धड़ाधड़ नोट भी बरसाये जा रहे थे। ‘शिव शक्ति’ नामक इस बार में अलग से एक कमरा भी था, जहां पर खासमखास ग्राहक मदहोशी की हालत में लोटपोट हो रहे थे। कुछ तो अपनी पसंद की युवतियों को अपनी गोद में बिठा  कर अश्लील हरकतें कर रहे थे। 

मायानगरी मुंबई की तर्ज पर नागपुर में भी ऐसे कई बार हैं, जहां पर आर्केस्ट्रा का लाइसेंस लेकर नये किस्म की वेश्यावृत्ति करवायी जाती है। नियमित आने वाले रईसों, अपराधियों को विशेष छूट देने का भी प्रावधान है। बार गर्ल पर नोटों की बरसात करने की जिसकी जितनी क्षमता होती है, उसकी उसी के अनुसार पूछ परख और इज्ज़त होती हैं। शहर में कुछ करोड़पति मतवाले ऐसे भी हैं जिनका इन महफिलों में पहुंचना रोज का काम है। उन्हें करारे नोट उड़ाने के अलावा बार गर्ल को नोटों के हार पहनाने में अलौकिक आनंद आता है। मुंबई की तर्ज पर नागपुर में भी ऐसे उद्योगपतियों, नेताओं और माफियाओं की भरमार है जिनके अधिकांश खाकी वर्दीधारियों से मधुर संबंध हैं और इन्हीं की बिरादरी के अधिकांश लोग ऐसे अय्याशी के अड्डों की जान, शान हैं। पुलिस कभी-कभार छापा मारने का नाटक कर अपने होने के निशानी छोड़ती रहती है। फिर गहरी नींद में लीन हो जाती है। जागरूक जनता लाख जगाने की कसरत करती रहे, लेकिन उसकी हर मेहनत धरी की धरी रह जाती है। एक सच जिस पर बहुत कम गौर किया जाता है, वो ये भी है कि ब्यूटी पार्लरों, मसाज के विभिन्न चमकते-दमकते ठिकानों, यूनी सेक्स सैलूनों, फार्म हाऊसों में अपना जिस्म बेचती जिन लड़कियों, औरतों की पकड़ा-धकड़ी की नौटंकी की जाती है उन्हें बड़े सम्मान और सहानुभूति के साथ पीड़िता दर्शाया जाता है। जबकि इनमें से अधिकांश बार-बार पकड़ में आती रहती हैं। फिर भी बेचारी, भोली-भाली और नादान पंछी घोषित कर आजाद उड़ने के लिए छोड़ दी जाती हैं। सच तो यह है कि हमारे यहां अपराध कर्म में पुुरुषों से प्रतिस्पर्धा करती महिलाओं को कुछ ज्यादा ही छूट दी जा रही है। कल तक स्त्रियां दहशत में थीं, आज पुरुष डरे-सहमे हैं। कभी किसी पति का शव नीले ड्रम में मिलता है तो कभी किसी अंधी गहरी खाई में उसका शव पाया जाता है। हर नारी अपना जीवनसाथी चुनने के लिए स्वतंत्र है। माता-पिता के चयन पर आपत्ति दर्शाने का हर युवती को पूरा-पूरा हक है। लेकिन गलत फैसले और नकाबपोशी उन्हें कलंकित करते हुए कठघरे में खड़ा कर देती है। अभी हाल ही में रेलगाड़ी से इंदौर से कटनी के लिए निकली एक 29 वर्षीय युवती अपनी मर्जी से बड़े शातिर अंदाज से अपने मित्र के साथ गायब हो गई। इस गुमशुदा युवती को खोजने के लिए पचासों पुलिस वाले जमीन-आसमान एक करते रहे लेकिन वह हाथ नहीं लगी। उसके गुम होने को लेकर कई तरह की शंकाएं जन्मती रहीं। कहीं चलती टे्रन से गिर तो नहीं पड़ी। किसी बदमाश ने अपहरण तो नहीं कर लिया। लोग युवती के प्रति सहानुभूति तो पुलिस को कोसते हुए उसे नालायक ठहराते रहे। पुलिस को गुमराह करने के लिए शातिर लड़की ने जंगल में अपना मोबाइल फेंक दिया था। अपना सामान तक ट्रेन में लावारिस छोड़ चलती बनी थी। यह युवती वकील है। जज बनने का सपना देख रही थी। घरवाले उसकी शादी के लिए योग्य साथी तलाश कर रहे थे लेकिन वह तो अपने यार के साथ जिन्दगी गुजारने की ठाने थी, इसलिए उसके साथ बीच रास्ते में उतरी और अपहरण का नाटक रचते हुए जा पहुंची नेपाल। पुलिस उसे तलाशने के लिए जहां-तहां नाचती रही। यह तो अच्छा हुआ कि गुमराह करने में माहिर शातिर वकीलन को तेरह दिन बाद काठमांडु से बरामद कर लिया। यदि नहीं मिलती तो हंगामा मचा रहता कि इस देश में औरतें बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं। चलती रेल गाड़ियों से उन्हें गायब करवा दिया जाता है। इसे आप नारी के आधुनिक और प्रगतिशील होने का प्रमाण कहेंगे या कुछ और? मैंने तो जब यह खबर पढ़ी तो सन्न रह गया। रामपुर जिले के एक गांव की महिला, जो शादीशुदा होने के बावजूद दस बार अपने पुराने आशिक के साथ भाग चुकी है। अपनी इस भगौड़ी पत्नी से परेशान पति ने अंतत: पंचायत की शरण ली। महिला  ने पंचों के सामने स्पष्ट कहा कि मैं पंद्रह दिन अपने प्रेमी के साथ तो पंद्रह दिन पति के साथ रहूंगी। यदि पति को मंजूर है तो ठीक नहीं तो मेरे लिए तो प्रेमी के घर के दरवाजे खुले हैं। जहां मैं मौज मजे के साथ रहने में देरी नहीं लगाऊंगी।