Thursday, September 11, 2025

रेत की सत्ता

राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच मनमुटाव और टकराव कोई नई बात नहीं है। दोनों अपने-अपने अहंकार और जिद के गुलाम हैं। उन्हें करनी तो जनसेवा चाहिए, लेकिन वे जनता को जीरो और खुद को हीरो समझते हैं। किसी को कुछ भी न समझने की तांडवी मनोवृत्ति के शिकार कुछ मंत्री, विधायक तो अक्सर अपने कपड़े उतारकर बेशर्मी की सुर्खियां बटोरते दिख जाते हैं। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव कुत्ते बिल्ली की तरह आपस में भिड़ गए। कलेक्टर ने विधायक की ओर उंगली उठाई तो विधायक ने उनके मुंह की रंगत बिगाड़ने के इरादे से मुक्का तान लिया। विधायक और कलेक्टर को तीखे आवेश में तू...तू, मैं...मैं करते देख वहां पर उपस्थित लोग आनंदित होते रहे और लड़ाई के और उग्र रूप धारण करने की बेसब्री से राह देखते रहे। गुस्सैल विधायक कुशवाह वर्ष 2012 में तत्कालीन एसपी जयनंदन को थप्पड़ जड़ने के आरोप के भी दागी हैं। उन्हें खामोश रहकर आज्ञा पालन करने वाले अधिकारी सुहाते हैं। जो प्रशासनिक अधिकारी सिर उठा कर बात करता है उसका तो बैंड बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन इस बार  अपनी टक्कर के नौकरशाह से उनका पाला पड़ गया। कलेक्टर श्रीवास्तव को विधायक का तल्ख लहजे में बात करना बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने उनकी विधायकी का लिहाज न करते हुए भड़कते हुए आक्रामक शब्दों की गोली दागी, ‘‘औकात में रहकर बात करो।’’ ऐसे में विधायक को तैश में आना ही था, उन्होंने चीखते हुए कहा, ‘‘औकात किसे बता रहे हो, तू हमें नहीं जानता?’’, ‘‘अच्छी तरह से जानता हूं। बहुत हो चुका। अब मैं तेरी रेत चोरी बिलकुल नहीं चलने दूंगा।’’ विधायक का प्रतिउत्तर आया, ‘‘सबसे बड़ा चोर तो तू हैं...’’ 

किसानों की खेती-बाड़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण जरूरत खाद से शुरू हुई जंग उस रेत तक आ पहुंची जिसकी वजह से बार-बार देश के लगभग सभी प्रदेशों में धमाके होते रहते हैं। कोई भी प्रदेश हो, रेत की लूट हर कहीं छायी रहती है। यही रेत ही है जो कई मंत्रियों, विधायकों तथा उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की अंधाधुंध काली कमायी का आसान जरिया है, तो वहीं तहसीलदार, कलेक्टर और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों की जेब भरायी का सहज सुलभ साधन है। यह लिखना सरासर गलत होगा कि अपने देश में सिर्फ भ्रष्टों का ही जमावड़ा है। बेइमानों की अपार भीड़ में कुछ ईमानदार भी हैं, जिनकी चोर-लुटेरों से अक्सर मुठभेड़ होती रहती है। एक पुख्ता निष्कर्ष यह भी है कि, अधिकांश सत्ताधीशों को ईमानदार अधिकारी शूल की तरह चुभते हैं। उत्तरप्रदेश में एक आईएएस अधिकारी रही हैं दुर्गा नागपाल। इस कर्तव्य परायण अधिकारी ने कई बार भूमाफियाओं, खनिज माफियाओं और स्मगलरों को दबोच कर उन्हें जेल पहुंचाया। इसी पकड़ा-धकड़ी में प्रदेश के एक बलवान मंत्री के करीबी रिश्तेदार और कार्यकर्ता भी नहीं बच पाए। ऐसे में एक दिन मंत्री ने अधिकारी दुर्गा नागपाल को तुरंत अपनी कोठी में हाजिर होने का फरमान सुनाया। दुर्गा को लगा था कि तारीफ करते हुए उनकी पीठ थपथपायी जाएगी, लेकिन बौखलाये मंत्री उन्हें देखते ही धमकाते हुए गरजे कि तुम्हारी यह हिम्मत कि तुम हमारे लोगों को रेत चोरी करने से रोको। तुम्हारी इस हिटलरशाही से तो हमारा चुनाव जीतना भी मुश्किल हो जाएगा। अपने इन्हीं खास कार्यकर्ताओं तथा शुभचिंतकों की भाग-दौड़ की बदौलत ही तो हम हर चुनाव में विजय की पताका लहराते चले आ रहे हैं। उसूलों की पक्की दुर्गा नागपाल ने जब मंत्री के आदेश को मानने से इंकार कर दिया तो उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया। 

इसी तरह से हरियाणा में अनिल विज नाम के भाजपा के पुराने नेता हैं। मंत्री बने बिना उन्हें चैन नहीं आता। मुख्यमंत्री बनने के लिए हाथ-पैर पटकते रहते हैं, लेकिन अभी तक दाल नहीं गली। उन्हें भी अपने प्रदेश की आईपीएस अफसर संगीता वालिया का कर्तव्यपरायण होना कभी रास नहीं आया। अनिल विज तब स्वास्थ्य मंत्री थे। उन्होंने जिला शिकायत एवं लोक मामलों की समिति की बैठक बुलायी थी। उसी दौरान इस मंत्री ने एक एनजीओ की शिकायत का हवाला देते हुए एसपी संगीता पर शराब बिकवाने का संगीन आरोप जड़ दिया। ईमानदार अधिकारी संगीता के लिए यह आरोप किसी तमाचे से कम नहीं था। मंत्री जब सारी हदें पार करते हुए संगीता को अपमानित करने पर तुल गए और वर्दी उतरवाने की धौंस देने लगे तो स्वाभिमानी संगीता बगावत की मुद्रा अख्तियार करते हुए उन्हें खरी-खोटी सुनाने लगीं। उन्होंने एक-एक सवाल का जवाब देकर सबके सामने मंत्री की बोलती बंद कर दी। मंत्री हैरान-परेशान संगीता का मुंह ताकते रह गए। अभी तक उनका ऐसे अफसरों से ही वास्ता पड़ा था, जो उनकी डांट-फटकार चुपचाप सुन अपराधी की तरह अपना सिर झुका लेते थे। स्वच्छ छवि की परिश्रमी इस खाकी वर्दी धारी नारी को जब गेट आउट कहा गया तो उसने ललकारने वाले तेवरों के साथ कहा, ‘‘श्रीमानजी इस वर्ष ढाई हजार से अधिक अवैध शराब विक्रेताओं को हमने पकड़ा था। दुख इस बात का है कि हम मेहनत करते हैं, लेकिन अधिकारियों को आसानी से कोर्ट से जमानत मिल जाती है। जब देखो तब आप लोगों का भी फोन आ जाता है कि जिन्हें पकड़ा गया है, वे हमारे आदमी हैं, उन्हें तुरंत छोड़ दो। पिछले महीने भाग-दौड़ी कर मैंने कुछ रेत माफियाओं पर हाथ डाला था। उन्हें किसी भी हालत में जेल भिजवाने की ठान चुकी थी, लेकिन आपका फोन आ गया कि, यह तो मेरे समर्पित कार्यकर्ता हैं, इन्हें कुछ भी नहीं होना चाहिए। ऐसे में बहुत से अधिकारियों को समझ  में ही नहीं आता कि कानून का पालन करें या गुलामों की तरह आपके आज्ञाकारी बने रहें, लेकिन मैं औरों की तरह नहीं जो अपने मूल फर्ज़ से नाता तोड़ आपकी जी हजूरी करती रहूं। मैं आपको बताये देती हूं कि आपका बर्ताव अशोभनीय होने के साथ-साथ  पद के प्रतिकूल भी है और बेहद शर्मनाक भी।’’ हरियाणा के सनकी मंत्री अनिल विज की तरह महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी तू...तड़ाक और गुस्सा दिखाने के मामले में आम लोगों में कुख्यात तो अपने प्रशंसकों और चम्मचों के आदर के पात्र हैं। सोच समझकर बोलने से परहेज रखने वाले अजित पवार और प्रदेश की आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा के बीच की बातचीत के वीडियो ने एक बार फिर से अजित पवार को चर्चित कर दिया। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में अंधाधुंध रेत खुदाई की पुख्ता जानकारी मिलने के पश्चात अंजना कृष्णा ने दल-बल के साथ वहां पहुंचने में देरी नहीं लगायी, जहां रेत की डकैती को बेखौफ अंजाम दिया जा रहा था। नदी में रेत यानी मरूम की खुदाई करने में लगे रेत माफियाओं को उन्होंने काम रोकने को कहा तो वे अपनी ऊंची पहुंच की आवाज बुलंद करते हुए उन्हें ही धमकाने लगे। कर्तव्य परायण महिला पुलिस अधिकारी ने जब कानून का डंडा चलाते हुए कड़ी कार्रवाई करने की घोषणा कीे तो किसी ने अपने आका से बात करते-करते अपना मोबाइल महिला अधिकारी के हाथ में थमा दिया। उधर से कहा गया, ‘‘मैं डिप्टी चीफ मिनिस्टर बोल रहा हूं, तुरंत एक्शन रोको।’’ अधिकारी उपमुख्यमंत्री की आवाज को नहीं पहचानती थीं, इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यह भी हो सकता है उनके मन में विचार आया हो कि रेती की अवैध खुदाई करने वाले शातिर ने उन पर दबाव बनाने के लिए किसी ऐरे-गैरे को फोन लगाकर उन्हें पकड़ाया हो, लेकिन दूसरी तरफ मंत्री महोदय का तो तन-बदन सुलग उठा। एक महिला अधिकारी की इतनी हिम्मत! मंत्री ने फौरन महिला पुलिस अधिकारी से वीडियो कॉल पर बातचीत करते हुए पूछा, ‘‘क्या वे अब उनका चेहरा पहचान रही हैैं?’’ जवाब में वे बोलीं, ‘‘उन्होंने तुरंत समझा नहीं कि वह उपमुख्यमंत्री से बात कर रही हैैं...।’’ यह पूरा माजरा यह तो स्पष्ट कर ही रहा है कि इस देश के नेता अपने चहेते कार्यकर्ताओं के कमाने-धमाने की कितनी चिंता और ध्यान रखते हैं।

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