Thursday, March 10, 2011

बंधे हुए हाथ

शासन और प्रशासन की मेहरबानी से शिक्षा के क्षेत्र को भी बाजार बना कर रख दिया गया है। राजनेताओं और धन्नासेठों ने जब से इस क्षेत्र में अपनी पैठ जमायी है तभी से देश को न तो ढंग के डॉक्टर मिल पा रहे हैं और न ही इंजिनियर। मां-बाप को अपनी औलादों को डॉक्टर और इंजिनियर बनाने के लिए लाखों रुपये भेंट में चढाने पडते हैं तब कहीं जाकर कॉलेज में प्रवेश मिल पाता है। गरीबों के बच्चों का डॉक्टर और इंजिनियर बनने का ख्वाब अधूरा ही रह जाता है। उनकी योग्यता धरी की धरी रह जाती है और रईसों की नालायक औलादें भी बाजी मार ले जाती हैं। देश के न जाने कितने ऐसे अस्पताल हैं जहां मोटी फीस झटकने के बाद भी अनाडी डॉक्टर मरीजों की जान ले लेते हैं और उनका बाल भी बांका नहीं हो पाता। बडे-बडे शहरों और महानगरों में ऐसे-ऐसे आलीशान अस्पताल खुल गये हैं जहां आम आदमी घुसने से भी घबराता और कतराता है। इलाज का तो सवाल ही नहीं उठता। धन्नासेठों की पूंजी से खुले फाइव स्टार और सेवन स्टार अस्पतालों में अधिकतर उन्हीं मरीजों की भीड होती है जिनकी जेबें लबालब भरी होती हैं और लाख-पचास हजार तो वे छोटी-मोटी शारीरिक जांच के नाम पर ही अर्पित करने की हैसियत रखते हैं।डॉक्टरों के साथ-साथ अधिकांश इंजिनियरों के भी यही हाल हैं। जनसेवा और देश सेवा से उनका कोई वास्ता नहीं है। सबको अंधाधुंध कमायी की पडी है और इसके लिए वे कोई भी समझौता करने को तैयार हैं। मंत्री नेता और इंजिनियर पुल बनाते हैं और कुछ ही साल में उनका जो हश्र होता है उसे हम और आप देखते रह जाते हैं। आधे से ज्यादा रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाती है। मीडिया चीखता चिल्लाता है पर किसी को कोई फर्क नहीं पडता। कई बार तो ऐसा भी लगता है मीडिया भी इस सारे खेल में शामिल है। देश की विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में पैसा बोलता है और पैसा ही चलता है यह तो खबर पुरानी है। अब जो नयी खबर आयी है वह उन माता-पिता को बेहद परेशान कर देने वाली है जो अपनी बेटियों को डॉक्टर बनाने का सपना संजोये रहते हैं। जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढाई कर रही युवतियों को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए देहभोगियों के बिस्तर की शोभा बनने को विवश किया जाता रहा है। यह कोई ऐसी-वैसी खबर नहीं है जिसे पढ कर यूं ही भुला दिया जाए। डॉक्टर बन देश और समाज की सेवा करने का सपना देखने वाली युवतियों को यौन शोषण का शिकार होना पडे तो इससे बडी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। जिन युवतियों को भविष्य में समाज को रोगमुक्त करना है उन्हीं को हमारे और आपके बीच रहने वाले भेडि‍ये देह से ज्यादा कुछ नहीं समझते। इसलिए वे उन्हें 'रोगी' बनाकर रख देना चाहते हैं। उनकी मंशा है कि सारी नारी बिरादरी देह के चक्र में उलझ कर रह जाए। उनके लिए वेश्याओं और मेडिकल छात्राओं में कोई फर्क नहीं। युवक-युवतियों को डॉक्टर बनाने वाले देश भर में और भी सैकडों मेडिकल कॉलेज हैं। संयोग से अभी भंडाफोड एक ही कॉलेज का हुआ है और जो सच्चाई बाहर आयी है वह तो यही बता रही है कि पास होने के लिए जहां युवकों को धन देना पडता है वहीं छात्राओं को भोगियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की पीडा से गुजरना पडता है। यह शर्मनाक हकीकत पर्दे में ही सिमटी रह जाती अगर एक मेडिकल छात्रा ने मुंह न खोला होता। ध्यान रहे कि मुंह तभी खुलता है जब बर्दाश्त करने की ताकत खत्म हो जाती है। कोई भी भारतीय लडकी इस तरह के आरोप लगाने से पहले हजार बार सोचती है क्योंकि वह जानती है कि हमारा समाज किस मिट्टी का बना हुआ है। यहां तो बलात्कार की शिकार हुई लडकियों को ही शंका की निगाह से देखा जाता है। यह कितनी शर्म की बात है कि भावी लेडी डॉक्टरों को शरीर नुचवाने के लिए मजबूर करने वालों में पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शामिल हैं। पुरुषों में कॉलेज के उपकुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, छात्र नेता और विभिन्न दलालों के नाम हैं तो महिलाएं भी पढी-लिखी और इज्जतदार घरानों से ताल्लुक रखती हैं। लगता है पढे-लिखे और इज्जतदार लोगों को भी ऐसे धतकर्म रास आने लगे हैं। हैरान और परेशान कर देने वाली बात तो यह भी है कि एक नामी मेडिकल कॉलेज में पास करवाने के बदले अस्मत लूटने का दुष्चक्र वर्षों तक चलता रहता है और प्रशासन की आंख तभी खुलती है जब एक युवती अपनी इज्जत को दावपर लगाकर शोर मचाती है कि मेडिकल कॉलेज नरपशुओं के चंगुल में फंस चुका है। यह नरपशु इतने वहशी और कमीने हैं कि इन्हें अपनी बेटी और पोती की उम्र की लडकियों के साथ बिस्तरबाजी करने में शर्म नहीं आती। ऐसा तो हो नहीं सकता कि कॉलेज के सभी शिक्षक देहखोर हों। बुरों के बीच कहीं न कहीं अच्छे लोग भी होते हैं पर इन अच्छों की अच्छाई तब बेहद आहत करती है जब वे जानबूझकर आंखें मूंदे रहते हैं। इस हैरतअंगेज तथ्य को भी कैसे नजर अंदाज कर दें कि जैसे ही भावी लेडी डॉक्टरों की लाज लूटने का मामला सामने आया तो समाज के कुछ ठेकेदार जिसमें मंत्री और नेता शामिल हैं, अस्मत के लुटेरों को बचाने के लिए अपनी आवाजें बुलंद करने लगे। जिनसे हम समाज की गंदगी दूर करने की उम्मीद रखते हैं वही खुद कितने गंदे और ओछे हैं उसका खुलासा भी हो गया है। सच तो यह है कि अगर इन देह शोषकों पर नेताओं और मंत्रियों की कृपा दृष्टि न होती तो वे इतनी घिनौनी हरकत को अंजाम ही नहीं दे पाते। इस तरह के नालायक और पथभ्रष्ट जनप्रतिनिधि भी तो हम और आप ही चुनते हैं ऐसे में अगर यह कहा जाए कि यह सब हमारी ही करनी का फल है तो किसी को बुरा नहीं मानना चाहिए।जब मैं यह पंक्तियां लिख रहा था तब मेरे सामने महिला दिवस के रंग में रंगे ढेरों अखबार पडे थे। दिमाग में बार-बार यह सवाल सिर उठाता रहा कि जिस देश में शिक्षा के मंदिरों में युवतियों को अपनी अस्मत अर्पित करने को विवश कर दिया जाता हो वहां पर चंद महिलाओं की विकास गाथा के गीत गाने के आखिर क्या मायने हो सकते हैं? असली सच तो यह है कि देश की बेटियों की इज्जत लुट रही है और सजा देने वाले हाथ बंधे हुए हैं...।

2 comments:

  1. pashu khatmhote ja rahe hai, isliye nar-pashu vikasit ho rahe hai. mahila divas aayegaa aur chalaa jayegaa. aadami k bheetar ka manushy zindaa rahe, is dishaa men sochaa jaye. kul mila kar chintan samayik hai. badhai.

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  2. chhattisgarh se to ek niji school ke sanchalk achank gayab ho gaye hai 22000 se jyada bchho ke bhvisya par sankat ke badal chha gaye hai....sarkar bhi abhi tak soi hai....

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