Thursday, December 13, 2012

इंसानियत को निगलती हैवानियत

ये कैसा मंज़र है जहां मानव मानवता खोता चला जा रहा है और इंसानियत हैवानियत में तब्दील होती चली जा रही है। कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब बलात्कार और हत्या की खबर पढने और सुनने को न मिलती हो। कई खबरें तो भुलाये नहीं भूलतीं। जब-तब साकार हो उठती हैं। उनसे पीछा छुडा पाना मुश्किल हो जाता है। कुछ महीने पहले गुवाहटी की मेनरोड पर एक युवती के साथ की गयी छेडखानी की घटना ने पूरे देश को चौंका कर रख दिया था। वह युवती अपने दोस्तों के साथ पब से निकली थी कि बदमाशों ने उसे घेर लिया और बेहद अभद्र तरीके से पेश आने लगे। जिस तरह से शर्मनाक कृत्य की विडियो क्लिप बनायी गयी और पूरे देश में फैलायी गयी उससे यह तथ्य भी पुख्ता हुआ कि देश के हर प्रदेश में ऐसे गुंडे-बदमाशों का वर्चस्व है जो किसी की भी बहन-बेटी की इज्जत पर डाका डाल सकते हैं। इस हैवानियत के खेल में एक पत्रकार भी शामिल था जिसने पत्रकारिता के पेशे की गरिमा को रौंदते हुए खुद ही अपने घटिया चरित्र का पर्दाफाश किया था। हमारे समाज में ऐसे सफेदपोश भरे पडे हैं। कुछ के मुखौटे यदा-कदा उतर जाते हैं और बाकी बेखौफ होकर अपना काम करते रहते हैं। जब सच्चाई सामने आती है तो लोग हतप्रभ रह जाते हैं। ऐसे तमाशों का स्कूलों और कालेजों में भी छात्राएं अपने शिक्षकों और संचालकों की अंधी वासना का शिकार होती रहती हैं।
खुद के तथा अपने परिवार के तथाकथित रूतबे और सम्मान की खातिर बहू-बेटियों की बलि लेने का दुष्चक्र भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरियाणा और उत्तरप्रदेश में आनर किलिं‍ग यानी इज्जत के लिए कत्ल कर देना तो जैसे आम बात है। ग्राम पंचायतें भी कातिलों का साथ देती नजर आती हैं। अब तो पश्चिम बंगाल में भी ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जाने लगा है। बीते सप्ताह राजधानी कोलकाता में हैवानियत का नंगा नाच देखकर लोग कांप उठे। एक भाई ने अपनी बहन का सिर इसलिए कलम कर दिया क्योंकि वह अपने मनचाहे साथी के साथ रहने की जिद अख्तियार कर चुकी थी। विदेशों से भारत आने वाली युवतियों को अपनी वासना का शिकार बनाने वालों ने भी देश को बदनाम करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। मुंबई, दिल्ली, जयपुर, पुणे आदि में विदेशी महिलाओं को लूटने और उनके साथ दुष्कर्म करने की खबरें यही दर्शाती हैं कि कभी मेहमान नवाजी के लिए विख्यात रहा देश तीव्रगति से कुख्याति की ओर बढ रहा है।
दरअसल इस शर्मनाक मंज़र के लिए कहीं न कहीं हम और आप भी जिम्मेदार हैं जो सही वक्त पर खलनायकों का पुरजोर विरोध करना छोड अपने आंखें बंद कर लेने और मुंह पर ताले जड लेने में ही अपनी भलाई समझते हैं। गुवाहटी में भी ऐसा ही हुआ था जब अकेली लडकी पर बीस-पच्चीस गुंडे लगभग बलात्कार करने पर उतारू थे। तब अगर भीड ने मर्दानगी दिखायी होती तो बेबस युवती शर्मसार होने से बच जाती। सरेआम बेखौफ होकर अंजाम दी गयी घटना को लेकर पूरे देश में जबरदस्त हो-हल्ला मचा था। अगर मीडिया शांत रहता तो मामला रफा-दफा भी हो जाता। पुलिस वालों की नीयत साफ नहीं थी। बडी मुश्किल से सोलह आरोपियों को सलाखों के पीछे डाला गया। असम देश का एक ऐसा प्रदेश है जहां महिलाओं के उत्पीडन की खबरें दूसरे प्रदेशों की तुलना में कहीं कम सुनने और पढने में मिलती हैं। पब से निकली एक शरीफ लडकी को 'कालगर्ल' समझकर उस पर झपट पडने वाले सोलह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।  इंसानियत को दागदार करके रख देने वाले इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया। इसलिए साल भर के अंदर फ़ैसला भी आ गया है। आरोप पत्र में १६ नाम थे। सजा ११ को मिली है। मात्र दो साल कैद और दो हजार रुपये का जुर्माना। दुष्कर्म की विडियो क्लिप बनाने वाला पत्रकार साक्ष्य के अभाव में पाक-साफ करार दे दिया गया है। जो बेबस युवती वहशियों के वासनाभरे दंश झेलकर देश और दुनिया में बदनाम हुई उसे इस फैसले ने निश्चय ही उतनी राहत नहीं दी जितनी कि उम्मीद थी। हमारे यहां खाकी वर्दी और गवाहों के बिकने तथा मुकरने के कारण हत्यारे भी बरी हो जाते हैं। भ्रष्टतम नेताओं, सरकारी खनिज के लुटेरों और तमाम जगजाहिर अराजक तत्वों पर कोई आंच नहीं आ पाती। वे ठहाके लगाते रहते हैं और कानून हाथ मलता रह जाता है। दुराचारियों के बलवान हो जाने के कारण इंसान तो इंसान भगवान भी शैतान बन जाते हैं। हां डाक्टर को धरती का भगवान ही तो कहा जाता है। पर इनके यहां भी नारियां सुरक्षित नहीं हैं। यहां भी उनकी इज्जत लूट ली जाती है। ऐसी लूटपाट की ढोरों खबरें विभिन्न न्यूज चैनलों और अखबारों की शोभा बढाती रहती हैं। अपने ही देश में एक शहर है, जिसे खरगोन के नाम से जाना जाता है। बीते सप्ताह इसी शहर में एक नाबालिग लडकी बलात्कारियों की हवस का शिकार हो गयी। पुलिस वाले मेडिकल परीक्षण के लिए उसे अस्पताल ले गये। डाक्टर ने पुलिसवालों को कक्ष से बाहर कर पूछताछ और परीक्षण की आड में लडकी से अश्लील हरकत कर 'भगवान' के नाम पर भी बट्टा लगा डाला। लडकी की आबरू पर सेंध लगाने वाला डाक्टर होश में नहीं था। उसे सलाखों के पीछे भेज तो दिया गया है, लेकिन लगता नहीं कि उसे कोई कडी सज़ा मिलेगी, क्योंकि...?

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