Thursday, February 14, 2013

पुलिस का ये भी एक चेहरा

यह पढकर कतई नहीं चौंकिएगा कि अपने देश में पुलिस बेखौफ होकर अपराध करती है और धडल्ले से अपराधी भी पैदा करती है। जिन लोगों का भूले से भी खाकी से वास्ता पडता है, उन्हें इसके असली चाल-चरित्र को जानने-समझने में ज्यादा देरी नहीं लगती। ऐसा भी नहीं है कि सभी पुलिसिये एक ही थैली के चट्टे-बट्टे होते हैं, परंतु इस कहावत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कुछ सडी मछलियां सारे तालाब को इस कदर गंदा और विषैला करके रख देती हैं कि उसकी दमघोटू सडांध लोगों का जीना दूभर कर देती है। खाकी के सागर में तो एक से बढकर एक मगरमच्छ भरे पडे हैं जिनके निगलने की क्षमता की कोई सीमा नहीं है।
कई निर्दोषों का सिर काटकर हत्याएं करने और दहशत फैलाने वाले सिरियल किलर चंद्रकांत झा का बयान पुलिस की बदरंग तस्वीर को बखूब पेश करता है।
चंद्रकांत को फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है। ये नृशंस हत्यारा बिहार का मूल निवासी है। कभी वह बेहद सहज और सरल इंसान था। बेरोजगारी के चलते उसे अपना गांव छोडना पडा। रोजी-रोटी की तलाश उसे दिल्ली ले आयी। उसे यकीन था कि देश की राजधानी उसकी हर समस्या का समाधान कर देगी। उसने फुटपाथ पर सब्जी बेचनी शुरू कर दी। कुछ ही दिन में उसने जान लिया कि फुटपाथ पर धंधा करना बच्चों का खेल नहीं है। यहां पर इलाके के बीट कांस्टेबल की सत्ता चलती है। कमायी हो या न हो पर उसे खुश रखना जरूरी है। दूसरों की तरह चंद्रकांत भी इस दस्तूर को निभाने लगा। पर कई बार ऐसे मौके भी आते जब नहीं के बराबर कमायी होती। चंद्रकांत हफ्ता देने में असमर्थ रहता। खाकी वर्दी वाले का माथा सनक जाता। चंद्रकांत को तरह-तरह से परेशान करने के हथकंडे अपनाने के साथ-साथ झूठे मामले भी दर्ज करवा दिये जाते। ऐसे में कई बार उसे जेल की हवा खानी पडी। बेवजह की जेल यात्राओं ने उसे धीरे-धीरे इतना विद्रोही और गुस्सैल बना दिया कि वह बेकसूरों की हत्याएं करने लगा, जैसे पुलिस वालों से बदला ले रहा हो। हत्यारे चंद्रकांत ने अदालत में स्वीकार किया है कि बेलगाम और भ्रष्ट हो चुकी पुलिस व्यवस्था को चुनौती देने के लिए ही वह खूंखार हत्यारा बनने को मजबूर हुआ। उसने तो मेहनत-मजदूरी कर जीवनयापन का सपना देखा था पर पुलिस ने उसे क्या से क्या बना दिया। चंद्रकांत के इस बयान को अदालत ने काफी गंभीरता से लिया और पुलिस की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यकीनन यह मामला पुलिस के उस चेहरे को सामने लाता है जो लोगों को न्याय दिलाना छोड अपराधी बनाता है।
यकीनन खाकी वर्दी के दुरुपयोग का यह जीता-जागता उदाहरण है। समाज के कमजोर वर्ग को वर्दी की धौंस दिखाना, अवैध वसूली करना, झूठे मामलों में फंसाना यही दर्शाता है कि देश के पुलिस महकमें में बहुत बडे स्तर पर राक्षसी प्रवृति और घोर अराजकता का बोलबाला है। अपराधियों की तो शिनाख्त हो जाती है और वे पकड में भी आ जाते हैं। खाकी वर्दी में छिपे शैतानों का आसानी से पता नहीं चल पाता।
यह कितनी शर्मनाक सच्चाई है कि पुलिस थानों में ही महिलाओं के साथ बलात्कार हो जाता है। कोई वहशी वर्दीधारी सैर-सपाटा करती युवती की अस्मत लूट लेता है। ऐसी न जाने कितनी खबरें मीडिया में सुर्खियां पाती हैं। शोर-शराबा मचाता है पर होता-जाता कुछ नहीं। पिछले महीने धुले में दंगे हुए। दंगाइयों और पुलिस वालों में फर्क कर पाना मुश्किल हो गया। पुलिस वाले दंगाइयों को पकडना छोड खुद लूटपाट करने लगे। छह पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया गया। खाकी का कवच पहन कर अराजकता का तांडव मचाने वालों ने सारे के सारे पुलिस विभाग को कटघरे में खडा कर दिया है। जिस पुलिस पर आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह इतनी भ्रष्ट और लापरवाह कैसे बन गयी है? पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी अपने में ही मस्त रहते हैं। उनकी नाक के नीचे क्या हो रहा है इसकी उन्हें या तो खबर नहीं होती या फिर जानबूझकर नजरअंदाज करने की परंपरा निभाते रहते हैं। ऐसे वरिष्ठ अधिकारी भी हैं जो राजनेताओं और चुनिं‍दे दलालनुमा अखबारियों से मेल-मुलाकात कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं।
बीते वर्ष मध्यप्रदेश से नागपुर आये दो कांग्रेसियों को पुलिस वालों ने ही अपनी 'डकैती' का शिकार बना डाला। वे इस नये शहर में बेखौफ होकर घूम रहे थे कि पुलिस वालों की गिद्ध दृष्टि उनपर पड गयी। उन्हें धमकाया-चमकाया गया और पांच-सात हजार रुपये झटक लिये गये। कोई आमजन होते तो चुपचाप अपने शहर लौट जाते। वे भी अपने शहर के नेता थे। दूसरे शहर में पता नहीं कैसे अपनी जेब ढीली करने को विवश कर दिये गये थे? उन्होंने फौरन शहर के एक बडे कांग्रेस नेता को अपनी आपबीती सुनायी तो वे नेता भी भौचक्के रह गये। उन्होंने फौरन पुलिस के उच्च अधिकारी तक शिकायत पहुंचायी और उनकी रकम वापस दिलवायी। यही है इस देश की पुलिस का वो चेहरा जो आम आदमी को बेहद डराता है और लुट-पिट जाने के बाद भी खामोश रहने को मजबूर करता है। यह भी सच है कि यह भयावह चेहरा देश के लगभग सभी महानगरों, शहरों और कस्बों में अपना आतंक मचाये है और खाकी को कहीं न कहीं यह यकीन है कि कोई भी उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता...।

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