Thursday, June 20, 2013

क्यों बढ रहे हैं तेजाबी हमले?

किसी खूबसूरत युवती के सपनों को तेजाब से राख कर देने वाले निर्मम खिलाडि‍यों को क्या कभी यह भय भी सताता होगा कि कोई उनकी बहन-बेटी का भी ऐसा ही हश्र हो सकता है? इस सवाल का जवाब यही हो सकता है कि वहशी और हैवान प्रवृत्ति के लोग इंसान होते ही कहां हैं जो इतनी दूर की सोच पाएं। ऐसे लोग तो वक्त आने पर अपनी बेटी-बहू को भी वासना का शिकार बनाने से नहीं चूकते। जब कभी असफलता हाथ लगती है तो हत्यारा बनने में भी संकोच नहीं करते। ऐसी न जाने कितनी खबरें दिन-प्रतिदिन पढने और सुनने में आती हैं। पिछले कुछ वर्षों में एकतरफा प्यार में पगलाये प्रेमियों के तेजाबी वार से बरबाद होने वाली महिलाओं का आंकडा बेतहाशा बढा है। स्कूल-कॉलेज में पढने वाली पचासों लडकियां हर वर्ष क्रूर तेजाबी हाथों का शिकार होती चली आ रही हैं। बलात्कार की घटनाओं की तरह ही युवतियों पर तेजाब फेंककर उनका रंगरूप बिगाडकर रख देने की वारदातें यही दर्शाती हैं कि अपराधियों को कानून और पुलिस का खौफ बिलकुल नहीं है।
दिल्ली की प्रीति पर २ मई की सुबह मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर किसी ने तेजाब उंडेल दिया। प्रीति का चयन मुंबई के मिलिट्री अस्पताल में नर्स के पद पर हुआ था। २३ वर्षीय प्रीति की उम्रभर मरीजों की सेवा करने की तमन्ना थी। उसकी इस चाहत पर तब पानी फिर गया जब एक नकाबपोश ने भीडभाड वाले स्टेशन पर उसे तेजाब से नहला डाला। प्रीति एक महीने तक अस्पताल में मौत से जूझती रही। वह खुद पर तेजाब की बौछार करने वाले हैवान का चेहरा नहीं देख सकी। भीड की आंखों से भी वह पलक झपकते ही ओझल हो गया। कोई उसे देख और पहचान भी कैसे पाता क्योंकि उसने अपना चेहरा कैप और रूमाल से ढका हुआ था। प्रीति की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। फिर भी उसकी ऐसी दुर्गति कर दी गयी! आखिरकार उसे मौत को गले लगाना पडा। ऐसी मौत मरने वाली अधिकांश युवतियां निर्दोष ही होती हैं। दरअसल उनकी असली दुश्मन होती है उनकी खूबसूरती। वे जिन सडक छाप मजनूओं को दुत्कारती तथा नजरअंदाज करती हैं वही अक्सर उनके रूप और यौवन के शत्रु बन जाते हैं, और चाकू-छुरी-पिस्तौल से लेकर तेजाब तक का इस्तेमाल कर अपनी हैवानियत का भयावह तमाशा दिखाते हैं। वैसे हर बार ऐसे नपुंसक आक्रमणों की वजह एकतरफा प्यार नहीं होता। करीबी रिश्तेदार और यार-दोस्त भी जब कमीनगी पर उतर आते हैं तो तेजाब के आतंकी हथियार से हंसती-खेलती ज़िं‍दगियां बरबाद करके रख देते हैं। महाराष्ट्र की सरकार ने प्रीति के परिजनों को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने में जरा भी देरी नहीं लगायी। हो सकता है कि प्रीति पर तेजाब डालने वाला पकडा भी जाए पर एक हंसती-खेलती युवती को बेवजह अपनी जान गंवानी पडी, उसकी पीडा तो उसके परिवार को ताउम्र झेलनी ही पडेगी। उन्हें हमेशा यह गम सतायेगा कि उन्होंने बेटी को पढाया-लिखाया और नर्स बनाया पर किसी बेनाम हत्यारे ने उसके प्राण ले लिये। कोई भी तेजाबी हमला अपार शारीरिक और मानसिक पीडा देता है। जो महिला ऐसे जानलेवा हमले की शिकार होती है उसकी पूरी जिं‍दगी ही नर्क में तब्दील हो जाती है। आजमगढ की बीस वर्षीय लतिका पर उसके चचेरे भाई ने तेजाब डालकर अपने गुस्से की आग को तो ठंडा कर लिया पर बहन को कभी न खत्म होनेवाला दर्द दे दिया। तेजाब ने लतिका की एक आंख छीन ली। उसके घर वाले उसे आइना दिखाने से बचते रहे पर जब एक दिन अस्पताल के बाथरूम में उसने अपना झुलसा चेहरा देखा तो वह बेहोश होकर गिर पडी। गाजियाबाद की शायना के साथ एक लडके ने बदतमीजी की। उसने आव देखा न ताव सडक पर ही लडके की पिटायी कर दी। लडकी से मार खाने के बाद लडके की मर्दानगी को इतनी चोट पहुंची कि उसने एक दिन मौका पाकर शायना पर तेजाब से हमला कर दिया। शायना के दोनों कान, चेहरा, आंखें और हाथ-पैर बुरी तरह से जल गए।
२ अप्रैल २०१३ की शाम उत्तरप्रदेश में पांच लडकियों पर पिचकारी से तेजाब फेंका गया। बाइक पर सवार जिन दो युवकों ने इस दरिंदगी को अंजाम दिया उन्होंने रूमाल से अपना चेहरा बांध रखा था। अचानक हुए इस तेजाबी हमले के बाद लडकियां चीखती-पुकारती रहीं पर उनकी मदद करना किसी ने भी जरूरी नहीं समझा। एक रिक्शेवाले को हाथ-पैर जोडकर वे जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचीं। सभी लडकियों के चेहरे बुरी तरह झुलस गये। दो लडकियों के चेहरे ने अपनी असली पहचान ही खो दी। एक की आंख की रोशनी हमेशा-हमेशा के लिए जाती रही।
झारखंड के धनबाद की रहने वाली सोनाली पिछले दस वर्षों से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती है। कभी खूबसूरती की मिसाल रही २७ वर्षीय इस युवती को निरंतर नारकीय जीवन जीना पड रहा है। उसका कसूर यही था कि उसने उस पर छींटाकशी करने वाले लडकों को डांटा और फटकारा था। उन लडकों ने रात के ढाई बजे तब उस पर तेजाब डाल दिया जब वह अपने परिवार के साथ घर की छत पर सोयी थी। तब सोनाली मात्र सत्तरह वर्ष की थी। तेजाब से उसका चेहरा तो बिगडा ही, उसकी आंखों की रोशनी भी छीन ली। सोनाली का परिवार कानूनी लडाई लडते-लडते लगभग बरबाद हो गया। आरोपियों को जिला कोर्ट ने ९ साल की सजा सुनायी लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें बडी आसानी से जमानत मिल गयी। दरअसल एसिड या तेजाब से जुडे हमलों पर हमारे देश में कोई सख्त कानून है ही नहीं। पहले तो दोषी पकड में नहीं आते, अगर कहीं आ भी जाएं तो बडी आसानी से छूट जाते हैं। तेजाब खरीदने के लिए जेब भी ज्यादा ढीली नहीं करनी पडती। बडी आसानी से यह खूनी हथियार जहां-तहां उपलब्ध हो जाता है।

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