यह हकीकत है। कई नेता, नेता कहलाने के लायक नहीं हैं। कोई भी अपराध इनसे अछूता नहीं है। गुंडे मवालियों की फौज इनके इर्द-गिर्द खडी नजर आती है। किस्म-किस्म के अराजक तत्व इनके रक्षा कवच हैं। संसद को मंदिर की संज्ञा दी गयी है। इस मंदिर से धीरे-धीरे पुजारी नदारद होते चले जा रहे हैं। अपराधियों का वर्चस्व बढता चला जा रहा है। देश की वर्तमान लोकसभा में १६२ ऐसे सांसद हैं जिनका कहीं न कहीं अपराध और अपराधियों से करीबी नाता रहा है। इन पर दर्ज विभिन्न आपराधिक मामले इनकी कलई खोल देते हैं। लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को कलंकित कर रहे ७६ सांसद तो हद दर्जे के ऐसे गुंडे बदमाश हैं कि बडे-बडे डकैत और हत्यारे भी उनके सामने बौने नजर आते हैं। जिन-जिन राजनीतिक पार्टियों ने इन्हें लोकसभा और राज्यसभा में भेजा है उनके लिए इनका अपराधी होना कोई मायने नहीं रखता। इनकी संपत्ति और काली-पीली दौलत ही इनकी एकमात्र योग्यता है। दलों के मुखिया इनकी तमाम खासियतों से वाकिफ हैं। येन-केन-प्रकारेण चुनाव जीतने की क्षमता रखने वालों को हाथों-हाथ लिया जाता है। उनके सभी गुनाह नजर अंदाज कर दिये जाते हैं। देश की लगभग हर बडी पार्टी यही नीति अपनाती है। थैलीशाहों को संसद और विधानसभाओं में पहुंचाती है। ईमानदार मूकदर्शक बने रह जाते हैं।
इस देश के बेईमान नेताओं और नौकरशाहों ने मुल्क को पतन के कगार पर ले जाकर खडा कर दिया है। जिन जनप्रतिनिधियों पर युवा पीढी को सुधारने का दायित्व था वही अपराधों को बढावा दे रहे हैं। यह सच्चाई क्या कम चौंकाने वाली है कि पंजाब के कई नेता ड्रग माफियाओं के साथ हिस्सेदारी कर युवा पीढी को बर्बाद करने में लगे हैं। सफेदपोशों की नशा के कारोबार में लिप्तता के कारण खाकी वर्दी भी बहती गंगा में हाथ धो रही है। पिछले दिनों पंजाब में जगदीश भोला नामक एक बडा ड्रग तस्कर पकड में आया। यह तस्कर कभी डीएसपी रह चुका है। राष्ट्रद्रोही दाऊद इब्राहिम की तरह दबदबा बनाने और धनवान बनने के लालच में इसने अपनी वर्दी नीलाम कर दी। नशे के खिलडियों को दबोचने के बजाय खुद भी उनका साथी बन गया और देखते ही देखते अरबों-खरबों की माया जुटा ली। अपराधी चाहे कोई भी हो, एक-न-एक दिन पकड में आता ही है। जगदीश भोला ने पुलिसिया शिकंजे में आने के बाद कई रहस्योद्घाटन किये हैं, जो चीख-चीख कर कह रहे हैं कि अगर भारत माता को बचाये रखना है तो नेताओं और नौकरशाहों के शर्मनाक गठजोड को तोडना-फोडना होगा। नहीं तो यह लोग देश को बेच खाएंगे और हम और आप कुछ भी नहीं कर पायेंगे। जगदीश भोला के इन शब्दों को तो कतई नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि वह तो मामूली आदमी है। असली मास्टर माइंड तो नेता हैं जो ड्रग और अन्य अवैध धंधों की कमायी से आज कहां से कहां जा पहुंचे हैं। पंजाब में जितने भी नशे के बडे कारोबारी हैं वे नेताओं के यहां थैलियां पहुंचाते हैं। उनकी जनसभाओं के खर्चे उठाते हैं। चुनावी मौसम में उन्हें जिताने के लिए धन के साथ-साथ गुंडे-बदमाश भी उपलब्ध कराते हैं। यह सबको पता है कि आज की तारीख में पंजाब नशे का अवैध कारोबार करने वालों की जन्नत बन चुका है। बीस हजार करोड के पार जा पहुंचे इस नशीले कारोबार से जहां युवा पीढी बर्बाद हो रही है वहीं कई मंत्री, सांसद, विधायक और अफसर मालामाल हो रहे हैं। यह लिखना, कहना और सोचना भी गलत है कि सिर्फ पंजाब में ही ऐसी गडबड है जो पूरे देश के लिए तबाही का सबब बन रही है।
हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में भी राजनीति और अपराध एक दूसरे के हमजोली हैं। कहीं कम, कहीं ज्यादा। कहीं दबे-छिपे तो कहीं खुलेआम। गुजरात में दारूबंदी है, लेकिन यहां पीने वालों के लिए इसकी कोई कमी नहीं है। नेताओं और दारू माफियाओं के वर्षों से चले आ रहे इस गठबंधन को 'ईमानदार' और 'ब्रम्हचारी' मुख्यमंत्री ने भी तोडने और नेस्तनाबूत करने की कोई कोशिश नहीं की। महाराष्ट्र की मायानगरी मुंबई तो तरह-तरह के आतंकी माफियाओं की जैसे कर्मस्थली ही है। इनके फलने-फूलने और टिके रहने में कई नेताओं के साथ और आशीर्वाद की अहम भूमिका रही है। मुंबई में खूनी धमाके कर पूरे देश को दहलाने वाले खूंखार आतंकवादी दाऊद इब्राहिम को अगर कुछ राजनेताओं और पुलिसवालों की शह नहीं मिली होती तो वह अपराधजगत में उभर ही नहीं पाता। मुंबई तो मुंबई है। महाराष्ट्र के पुणे, नागपुर और अन्य कई शहरों में भी दाऊद इब्राहिम के अनुगामी बदमाशों का आतंक देखते बनता है। यह बदमाश कई रूपो-प्रतिरूपों के साथ सक्रिय हैं। कोई भू-माफिया है तो कोई दारू किंग है। किसी ने सरकारी ठेकों तो किसी ने शिक्षा की दुकानों के जरिए लूटमार मचा रखी है। हर किसी के माथे पर किसी-न-किसी राजनीतिक पार्टी का बिल्ला चमकता नजर आता है। अपने-अपने इलाके में भाईगिरी करने वाले हर बडे-छोटे महारथी पर भी किसी-न-किसी नेता का हाथ दिखता है। इस हाथ की कीमत भी चुकायी जाती है। अगर आप इन्हें नहीं जानते-पहचानते हैं तो वक्त रहते सचेत और सावधान हो जाएं। देश में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। जिन प्रत्याशियों के इर्द-गिर्द आपको ऐसे लुटेरों और गुंडे-बदमाशों का हुजूम नजर आए तो उन्हें किसी भी हालत में अपना कीमती वोट देने की भूल न करें। ऐसे प्रत्याशी आम जनता के भले के लिए चुनाव नहीं लडते। चुनाव जीतने से पहले यह खुद को सत्यवादी हरिशचंद्र दर्शाते हैं और पता नहीं कितने मुखौटे अपने चेहरे पर सजाते हैं। चुनाव जीतने के बाद सिर्फ और सिर्फ अपना तथा अपने वालों का ही घर भरते हुए डकैत बन जाते हैं। कोई भी इनका बाल भी बांका नहीं कर पाता। इसलिए सावधान!
इस देश के बेईमान नेताओं और नौकरशाहों ने मुल्क को पतन के कगार पर ले जाकर खडा कर दिया है। जिन जनप्रतिनिधियों पर युवा पीढी को सुधारने का दायित्व था वही अपराधों को बढावा दे रहे हैं। यह सच्चाई क्या कम चौंकाने वाली है कि पंजाब के कई नेता ड्रग माफियाओं के साथ हिस्सेदारी कर युवा पीढी को बर्बाद करने में लगे हैं। सफेदपोशों की नशा के कारोबार में लिप्तता के कारण खाकी वर्दी भी बहती गंगा में हाथ धो रही है। पिछले दिनों पंजाब में जगदीश भोला नामक एक बडा ड्रग तस्कर पकड में आया। यह तस्कर कभी डीएसपी रह चुका है। राष्ट्रद्रोही दाऊद इब्राहिम की तरह दबदबा बनाने और धनवान बनने के लालच में इसने अपनी वर्दी नीलाम कर दी। नशे के खिलडियों को दबोचने के बजाय खुद भी उनका साथी बन गया और देखते ही देखते अरबों-खरबों की माया जुटा ली। अपराधी चाहे कोई भी हो, एक-न-एक दिन पकड में आता ही है। जगदीश भोला ने पुलिसिया शिकंजे में आने के बाद कई रहस्योद्घाटन किये हैं, जो चीख-चीख कर कह रहे हैं कि अगर भारत माता को बचाये रखना है तो नेताओं और नौकरशाहों के शर्मनाक गठजोड को तोडना-फोडना होगा। नहीं तो यह लोग देश को बेच खाएंगे और हम और आप कुछ भी नहीं कर पायेंगे। जगदीश भोला के इन शब्दों को तो कतई नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि वह तो मामूली आदमी है। असली मास्टर माइंड तो नेता हैं जो ड्रग और अन्य अवैध धंधों की कमायी से आज कहां से कहां जा पहुंचे हैं। पंजाब में जितने भी नशे के बडे कारोबारी हैं वे नेताओं के यहां थैलियां पहुंचाते हैं। उनकी जनसभाओं के खर्चे उठाते हैं। चुनावी मौसम में उन्हें जिताने के लिए धन के साथ-साथ गुंडे-बदमाश भी उपलब्ध कराते हैं। यह सबको पता है कि आज की तारीख में पंजाब नशे का अवैध कारोबार करने वालों की जन्नत बन चुका है। बीस हजार करोड के पार जा पहुंचे इस नशीले कारोबार से जहां युवा पीढी बर्बाद हो रही है वहीं कई मंत्री, सांसद, विधायक और अफसर मालामाल हो रहे हैं। यह लिखना, कहना और सोचना भी गलत है कि सिर्फ पंजाब में ही ऐसी गडबड है जो पूरे देश के लिए तबाही का सबब बन रही है।
हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में भी राजनीति और अपराध एक दूसरे के हमजोली हैं। कहीं कम, कहीं ज्यादा। कहीं दबे-छिपे तो कहीं खुलेआम। गुजरात में दारूबंदी है, लेकिन यहां पीने वालों के लिए इसकी कोई कमी नहीं है। नेताओं और दारू माफियाओं के वर्षों से चले आ रहे इस गठबंधन को 'ईमानदार' और 'ब्रम्हचारी' मुख्यमंत्री ने भी तोडने और नेस्तनाबूत करने की कोई कोशिश नहीं की। महाराष्ट्र की मायानगरी मुंबई तो तरह-तरह के आतंकी माफियाओं की जैसे कर्मस्थली ही है। इनके फलने-फूलने और टिके रहने में कई नेताओं के साथ और आशीर्वाद की अहम भूमिका रही है। मुंबई में खूनी धमाके कर पूरे देश को दहलाने वाले खूंखार आतंकवादी दाऊद इब्राहिम को अगर कुछ राजनेताओं और पुलिसवालों की शह नहीं मिली होती तो वह अपराधजगत में उभर ही नहीं पाता। मुंबई तो मुंबई है। महाराष्ट्र के पुणे, नागपुर और अन्य कई शहरों में भी दाऊद इब्राहिम के अनुगामी बदमाशों का आतंक देखते बनता है। यह बदमाश कई रूपो-प्रतिरूपों के साथ सक्रिय हैं। कोई भू-माफिया है तो कोई दारू किंग है। किसी ने सरकारी ठेकों तो किसी ने शिक्षा की दुकानों के जरिए लूटमार मचा रखी है। हर किसी के माथे पर किसी-न-किसी राजनीतिक पार्टी का बिल्ला चमकता नजर आता है। अपने-अपने इलाके में भाईगिरी करने वाले हर बडे-छोटे महारथी पर भी किसी-न-किसी नेता का हाथ दिखता है। इस हाथ की कीमत भी चुकायी जाती है। अगर आप इन्हें नहीं जानते-पहचानते हैं तो वक्त रहते सचेत और सावधान हो जाएं। देश में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। जिन प्रत्याशियों के इर्द-गिर्द आपको ऐसे लुटेरों और गुंडे-बदमाशों का हुजूम नजर आए तो उन्हें किसी भी हालत में अपना कीमती वोट देने की भूल न करें। ऐसे प्रत्याशी आम जनता के भले के लिए चुनाव नहीं लडते। चुनाव जीतने से पहले यह खुद को सत्यवादी हरिशचंद्र दर्शाते हैं और पता नहीं कितने मुखौटे अपने चेहरे पर सजाते हैं। चुनाव जीतने के बाद सिर्फ और सिर्फ अपना तथा अपने वालों का ही घर भरते हुए डकैत बन जाते हैं। कोई भी इनका बाल भी बांका नहीं कर पाता। इसलिए सावधान!
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