Thursday, July 10, 2014

कौन सही, कौन गलत?

देश की राजधानी दिल्ली से लगा हुआ है गुडगांव। फिर भी इस शहर की अपनी एक खास पहचान है। पुणे, बेंगलुरू की तर्ज पर फलता-फूलता गुडगांव आधुनिकता के मामले में दिल्ली को पीछे छोडता दिखायी देता है। यहां उन तमाम सुख-सुविधाओं के रास्तों और साधनों की भरमार है जिनके लिए मनोरंजन प्रेमी लालायित रहते हैं। शाम के ढलते ही आलीशान होटलों में शराब और शबाब की मदमस्त महफिलें सजने लगती हैं, जिनका सिलसिला आधी रात के बाद तक चलता रहता है। मायानगरी मुंबई की तर्ज पर रात के आगोश में समाकर रंगरेलियां मनाने की चाहत इस शहर के मस्तीखोरों रईसों को कहां-कहां नहीं भटकाती। डिस्कोथेक और पबो में वासना के समंदर में गोते लगाते लडके-लडकियों के साथ-साथ पता नहीं और भी किन-किनका हुजूम गिरता-पडता और चिपकता रहता है। शराब तथा अन्य नशों की इंतेहा इतनी कि लगभग सबके होश गुम नजर आते हैं। अंदर जोडे बहक रहे होते हैं और बाहर इंतजार करते बेसब्रों की भीड नज़र आती है। अय्याशी के इन मयखानों में जोडों को ही प्रवेश दिया जाता है। जो अकेले होते हैं उनके लिए भी व्यवस्था हो जाती है। पबों के बाहर खूबसूरत युवतियां साथ देने के लिए तैयार रहती हैं। अपनी रातें रंगीन करने वाले उन्हें उनकी कीमत अदा कर अंदर ले जाते हैं और मौजमस्ती की जबरदस्त धमाचौकडी मचाते हैं। यह बिकाऊ लडकियां आसमान से नहीं टपकतीं। इनका किसी एक जाति और धर्म से भी ताल्लुक नहीं होता। डिस्कोथेक और पब के अंधेरे में अनजान बाहों में समा जाना इनका धंधा है। कुछ को शारीरिक मनोरंजन की चाह यहां खींच लाती है तो कुछ को अपनी कोई न कोई मजबूरी। लेकिन हर युवती का हश्र लगभग एक जैसा ही होता है। पतन के गर्त में समाने के साथ-साथ बदनामी हर किसी के हिस्से में आती है। जिसकी शर्मिंदगी उनके चेहरे पर तो दिखायी नहीं देती, लेकिन अंदर ही अंदर घुलने और टूटने का सिलसिला बना रहता है। वासना के दलदल में डूबे नौजवान और अधेड रात गयी, बात गयी की तर्ज पर इस खेल को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। उन्हें तो हर रात नयी खूबसूरती की तलाश रहती है। शराब, बीयर और नये-नये मादक पदार्थों के नशों की धुन में लडखडाए लडकियों के कदम बहकते ही चले जाते हैं। एक ही रात के खेल में बरबादी और तबाही के रास्ते खुल जाते हैं। जिन पर चलना जरूरी और मजबूरी हो जाता है।
तेजी से तरक्की करते गुडगांव की पहाड कॉलोनी के लोगों की चिन्ता और परेशानी काबिलेगौर है। इस कॉलोनी में पिछले २५ वर्षों से देह व्यापार उफान पर है। मोहल्ले के सज्जनों की शिकायत है कि यहां पर एक जाति विशेष की महिलाएं बेखौफ होकर वेश्यावृति करती हैं। उनपर किसी के रोकने-टोकने का कोई असर नहीं प‹डता। इन महिलाओं के विरोध में महापंचायतें भी हुर्इं, लेकिन उनका धंधा जस का तस है। इन वेश्याओं के यहां हर उम्र के ग्राहकों का आना-जाना सतत बना रहता है। घरों में ही शराबखोरी होती है, महफिलें सजती हैं और जिस्म का धंधा होता है। इस गंदे धंधे के कारण शरीफों का जीना मुहाल हो गया है। यह कॉलोनी इतनी अधिक बदनाम हो चुकी है कि आसपास के इलाके के लोग इधर ताकने से भी कतराते हैं। दरअसल, इस कॉलोनी के सभी लोगों को शक की नजर से देखा जाता है। अच्छे घरों की बहन, बहू, बेटियों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। यानी गेहूं के साथ-साथ घुन भी पिस रहा है। यहां के युवक-युवतियों के लिए रिश्ते आने भी बंद हो गये हैं। उन पर उम्रभर के लिए कुंआरा रहने का खतरा मंडराने लगा है। गोवा इंडिया का सिंगापुर, पटाया, हांगकांग, थाईलैंड आदि आदि है, जहां पर्यटकों को मनचाहा आनंद और सुकून मिलता है। यहां के समुद्री तटों और दर्शनीय ऐतिहासिक स्थलों को निकट से देखने के लिए देश और विदेश के सैलानी बडी संख्या में आते हैं। यह भी सच है कि गोवा देश के सैलानियों की तुलना में विदेशियों को ज्यादा लुभाता है। यहां के तटों पर विदेशी सुंदरियां लगभग नंग-धडंग देखी जाती हैं। विदेशियों की यही संस्कृति है। इसी से उन्हें आनंद मिलता है। विदेशियों का अनुसरण करने के मामले भारतीय कभी पीछे नहीं रहते। अभी हाल ही में गोवा सरकार के एक मंत्री ने गोवा में होने वाले अपराधों को लेकर चिन्ता व्यक्त की। गोवा विदेशी महिलाओं पर होने वाले  बलात्कारों के मामले में भी खासा चर्चित रहा है। मंत्री ने यहां की आबो-हवा को परखने के बाद कहा कि लडकियों को अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत रहना चाहिए। उन्हें विदेशी नारियों की देखा-देखी बिकनी नहीं पहननी चाहिए। पब में भी उन्हें छोटे कपडे पहनकर जाने से परहेज करना चाहिए। हमारे यहां जब भी ऐसा कोई बयान आता है तो कुछ लोग स्त्री की स्वतंत्रता पर बंदिशें लगाने की साजिश और उनके अधिकारों के हनन का नगाडा बजाने लगते हैं। गहराई में जाने की कोशिश ही नहीं की जाती। बस विरोध करने की आदत और परम्परा निभायी जाती है। हम भी यही मानते हैं कि चरित्र ही सबकुछ होता है। उसका वस्त्रों से कोई लेना-देना नहीं होता। अपने देश में छोटी-छोटी बच्चियों पर भी बलात्कार हो जाते हैं। चीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ताशकंद में लडकियों का मिनी पैंट और मिनी टॉप पहनना आम है। अपने देश में ऐसे पहनावे को लेकर ही हाय-तौबा मची रहती है। किसी को भी इस सच को कबूलने से नहीं कतराना चाहिए कि कुछ भारतीयों की सोच बडी विकृत और घिनौनी है कि जिसके चलते देश में जहां-तहां बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, तेजाबी हमले और ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं सुर्खियां पातीं और दिल को दहलाती रहती हैं। कानून व्यवस्था भी पंगु-सी हो चुकी है। गोवा के मंत्री के बयान से कहीं बहुत ज्यादा खतरनाक बयान तो फरेबी समाजवादी मुलायम सिंह यादव का है जिसमें उन्होंने बलात्कारियों और दुष्कर्मियों का बचाव करते हुए बडी निर्लज्जता से कहा है कि -'लडके हैं उनसे गलती हो जाती है, लेकिन उन्हें फांसी थोडे ही दे दोगे।'

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