Thursday, May 14, 2015

कौन जीता, कौन हारा?

फिर एक चमत्कार हो गया। जयललिता बरी हो गयीं। उनके सभी पाप धुल गये। वे फिर गाजे-बाजे के साथ राजनीति में अपने तेवर दिखायेंगी। उनके प्रशंसकों के लिए यह तोहफा दिवाली से कम नहीं। जमकर फटाके फोडे गये। नाच-गाना हुआ। बेंगलुरु की विशेष अदालत ने जे. जयललिता को २०१४ में आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में चार साल की जेल और १०० करोड रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। तब लोगों को तसल्ली हुई थी कि अमीर-गरीब, नेता-अभिनेता, दबंग-कमजोर कानून की नजर में सब बराबर हैं। देर है, अंधेर नहीं। महारानी को मजबूरन मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागनी पडी थी। विधानसभा सदस्यता रद्द होने का गम भी झेलना पडा था। उनके चाहने वाले माथा पीट-पीटकर रोये थे। बसें और रेलगाडियों के सामने कूद कर जान देने की कोशिशें हुई थीं। छह तो इस दुनिया से कूच भी कर गये थे। दस-बारह को हार्ट-अटैक आया था। चमक-धमक वाले नेताओं के प्रशंसक बडे भावुक तथा अंधभक्त होते हैं। राजनीति में पदार्पण करने से पूर्व जयललिता कई फिल्मों में नायिका की भूमिका निभा चुकी हैं। राजनीति में भी लटके-झटके दिखाने में अग्रणी रही हैं। १९९१ में मुख्यमंत्री बनने के बाद नायिका ने अपनी तीन करोड रुपये की संपत्ति घोषित की थी। यानी तब उनके पास इतनी ही माया थी, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यकाल के खत्म होते-होते तक वे ६६ करोड ६० लाख की मालकिन बन चुकी थीं। मज़े की बात यह भी है कि जयललिता ने मुख्यमंत्री बनने के बाद घोषणा की थी कि वे सरकारी धन लेने और खर्च करने के पक्ष में नहीं हैं, इसलिए उन्होंने मात्र एक रुपये मासिक वेतन लेने का निर्णय लिया है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मात्र एक रुपये महीने की पगार लेने वाली जयललिता की आर्थिक तरक्की का रहस्य वाकई समझ से परे था। यकीनन यह चमत्कार राजनीति में ही संभव है। आय से ज्यादा संपत्ति का यह मामला १८ साल पुराना है। नायिका के घर और फार्म हाउस में मारे गये छापे में ८२ किलोग्राम सोना, १० हजार साडियों के अलावा इतनी अधिक तरह-तरह की चप्पलें बरामद हुई थीं कि जिनसे लेडिस चप्पलों की एक अच्छी-खासी दुकान खोली जा सकती थी। चेन्नई, हैदराबाद में फार्म हाउस, तामिलनाडु में करोडों की कृषि भूमि और नीलगिरी में चाय बागान के खुलासे ने भी आयकर अधिकारियों को बेहद चौंकाया था। सब कुछ आइने की तरह साफ था। भ्रष्टाचार के महानतम कीर्तिमान रचे गये। निचली अदालत में वर्षों तक मामला चलता रहा। जब पिछले वर्ष फैसला आया तो जयललिता के पैरों तले की जमीन खिसक गयी। राजनीति के धुरंधरों और उनके विरोधियों ने मान लिया था कि अब तो अम्मा गयी काम से। हो गया उनका खेल खत्म, लेकिन अम्मा जैसे राजनीतिबाज आसानी से हार नहीं मानते। उनकी अथाह दौलत और अपार पहुंच उन्हें हारने नहीं देती। फिल्म स्टार सलमान खान के मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ। वर्ष २००२ में 'हिट एंड रन' मामले में मुंबई की सेशन कोर्ट द्वारा दबंग खान को पांच साल की सजा सुनाये जाने के फौरन बाद हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगा कर जो जल्दबाजी और रहमदिली दिखायी वह सजग देशवासियों को रास नहीं आयी। सवाल उठे कि क्या कानून इतना अंधा है? यह भी पता चल गया कि त्वरित न्याय भी मिल सकता है। पैसा फेंको और तमाशा देखो। वो लोग बेवकूफ हैं जो हमेशा चीखते-चिल्लाते रहते हैं कि इस देश की अदालतों के फैसले आने में वर्षों लग जाते हैं। दरअसल उन्हें न्याय पाने का असली तरीका ही नहीं आता। कानून को अपनी उंगलियों पर नचाने के दांव पेंच जानने वाले किसी विद्वान ने अदालतों को साधने का नुस्खा बताया है : जिस तरह से कोई मालदार मरीज जल्द से जल्द ठीक होने के लिए नामी-गिरामी डॉक्टर की शरण में जाता है और अच्छी-खासी रकम चुका कर मौत के मुंह से भी बाहर आ जाता है ठीक वैसे ही किसी महंगे धुरंधर वकील के पास जाकर कानून के बडे से बडे फंदे से राहत और मुक्ति पायी जा सकती है। इस देश में ऐसे वकीलों की कमी नहीं है जो लाखों की फीस लेते हैं और चुटकी बजाते ही निचली अदालतों के फैसलों को पलटवाने की कला को अंजाम देने का अद्भुत हुनर दिखाते हैं। डॉक्टरी की तरह वकालत भी अनुभव और समझदारी वाला पेशा है। जिस तरह से गरीब आदमी आलीशान अस्पतालों के महंगे डॉक्टरों के पास नहीं जा पाता वैसे ही नामी-गिरामी, धुरंधर काले कोटधारी उसकी पहुंच से कोसों दूर होते हैं। यही वजह है कि बेचारा गरीब हर बार कानूनी दांवपेंच के खिलाडियों और बीमारी से हार जाता है। यह सिलसिला तब तक चलते रहने वाला है जब तक गरीब येन-केन-प्रकारेण अमीर नहीं हो जाता। मुश्किल तो यह भी है कि इस देश का मेहनतकश आम आदमी तुरत-फुरत मालामाल होने के गुर नहीं जानता। वह तो ईमानदारी से अपना खून-पसीना बहाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड कर संतुष्ट हो जाता है। यह सच भी हैरान-परेशान कर देता है कि जब जयललिता और सलमान खान जैसों को सजा होती है तो उनके प्रशंसक हाय-तौबा मचाने लगते हैं। उनके रोने-धोने से यही लगता है कि इन्हें अदालत ने सजा देकर कोई गलत काम कर दिया है। जिस तरह से पूर्व अभिनेत्री को जेल भेजे जाने पर उनके कट्टर प्रशंसक मरने-मारने पर उतर आये थे, वैसा ही कुछ सलमान को सजा सुनाये जाने पर देखा गया। अभिनेता के एक फैन ने आत्महत्या तक की कोशिश कर सुर्खियां बटोर लीं। उस प्रशंसक को अपने हीरो के जेल जाने से खुद का नुकसान होता दिखायी दे रहा था। वह बालीवुड में पटकथा लेखक बनना चाहता था। उसने सलमान को कुछ कहानियां भी भेजी थीं। अगर सलमान पांच साल के लिए अंदर हो जाते तो उसके सपने धरे के धरे रह जाते, इसलिए उसने जहर पीकर आत्महत्या करने की नौटंकी की। अभिनेता अपने ऐसे प्रशंसक को तो भूलने से रहे। फैन यानी अंधभक्तों की बदौलत ही तो सलमान और जया जैसों की छाती चौडी रहती है।

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