Thursday, May 7, 2015

ईश्वर की मर्जी...

इंडिया में सत्ताधीश कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र हैं। समय और मौका देखकर अपनी भाषा और तेवर बदलने का भी इन्हें खूब हुनर आता है। खुद को समझदार और जनता को बेवकूफ समझना इनकी फितरत है। मंत्री और नेता जो कहें, वही सही। बाकी सब बकवास और झूठ। पंजाब में प्रकाश सिंह बादल के परिवार की तूती बोलती है। पूरा परिवार राजनीति का मंजा हुआ खिलाडी है। प्रकाश सिंह बादल खुद मुख्यमंत्री हैं और उनके बेटे सुरजीत, उपमुख्यमंत्री। पिता-पुत्र का अच्छाखासा कारोबार है। वैसे राजनीति भी उनके लिए एक धंधा है। उनकी एक परिवहन कंपनी है जिसकी सैकडों बसें चलती हैं। पंजाब के मोगा-बठिंडा हाइवे पर बादल परिवार की एक बस में एक तेरह साल की ल‹डकी और उसकी मां से छेडछाड और बलात्कार करने की धृष्टता की गयी। वहशियों के चंगुल से बचने के लिए मां-बेटी ने चलती बस से छलांग लगा दी। बेटी चल बसी और मां अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही है। बस मालिक पंजाब के राजा हैं इसलिए पुलिस भी कुछ भी नहीं कर पायी। वैसे भी राजा के सामने नौकर की क्या औकात। उसे तो उसकी आज्ञा का पालन करना होता है। वह उसके खिलाफ जा ही नहीं सकता। पंजाब के शिक्षामंत्री सुरजीत सिंह राखडा ने मृतक लडकी के प्रति संवेदना व्यक्त करने और दुराचारियों को फटकारने के बजाय कहा कि यह तो ईश्वर की मर्जी थी। ऊपरवाला जो चाहता है, वही होता है। कोई भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है। दुर्घटना कहीं भी हो सकती है। आप कुदरत की मर्जी के खिलाफ नहीं जा सकते। ऐसे ही उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी बलात्कारियों के प्रति नरमी दर्शाते हुए बयान दिया था कि लडकों से गलती हो जाती है। यानी बलात्कार कोई गंभीर अपराध नहीं है। यह तो बस हो जाता है। जैसे लोग दूसरी गलतियां करते हैं वैसे ही लडके वासना के वशीभूत होकर लडकियों पर बलात्कार करने की भूल कर गुजरते हैं। इसमें उनका कोई दोष नहीं होता। उनकी इस गलती को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। १६ दिसंबर २०१२ की काली रात जब दिल्ली में पैरामेडिकल की छात्रा चलती बस में दुराचारियों की वासना की शिकार हुई थी तब भी कुछ साधु-संतों और नेताओं ने छात्रा को कठघरे में खडा किया था। लडकी से बलात्कार करने वालों में एक नाबालिग था और बाकी भी ज्यादा उम्र के नहीं थे। उन पर नेताजी जैसों को कुछ ज्यादा ही दया आयी थी।
पूरे देश में कई हफ्तों तक यही मामला छाया रहा। जब भी कहीं बलात्कार होता है तो लोगों के मन में निर्भया बलात्कार कांड की याद ताजा हो उठती है। लेकिन इससे हासिल क्या? कुछ भी तो नहीं। मुंबई, दिल्ली, गुडगांव, बेंगलुरु में मोमबत्तियां लेकर जुलूस निकाले गये। गुस्सा दिखाया गया। कुछ भी तो नहीं बदला। निर्भया कांड के बलात्कारियों को फौरन फांसी पर लटकाने की मांग भी धरी की धरी रह गयी। वे आज भी बडे मजे से जेल में सुरक्षित जीवन जी रहे हैं। दरअसल जब भी किसी ब‹डे शहर में बलात्कार होता है तो खूब हो-हल्ला मचता है। पीडिता के प्रति सहानुभूति दिखाने वालों का तांता लग जाता है। न्यूज चैनलों और अखबारों में बस एक ही खबर छायी रहती है। तमाशेबाजी चलती रहती है। मुख्यमंत्री की जिस बस में नाबालिग से बलात्कार करने की कोशिश की नीचता की गयी उसमे और भी कई सवारियां थीं। लेकिन किसी ने भी बदमाशों को रोकने-टोकने और उनका डटकर मुकाबला करने की पहल नहीं की। सभी तमाशा देखते रहे। लडकी और उसकी मां को अपनी अस्मत बचाने के लिए दौडती बस से छलांग लगाने पर विवश होना पडा। पुलिस हर जगह तो हाजिर नहीं रह सकती। जब लोग अपना दायित्व नहीं निभायेंगे और कायरी दिखायेंगे तो फिर नारियों की इज्जत के लुटने के सिलसिले खत्म होने वाले नहीं हैं। यह तय है कि कितनी भी मोमबत्तियां जला लीजिए। गुस्से की मशालें हाथों में उठा लीजिए अंधेरा दूर नहीं हो सकता। अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो सकते। दरअसल, बलात्कारियों को ताकतवर बनाने के दोषी वो सब तमाशबीन हैं जो पहले तो मूक बने रहते हैं और बाद में चीखते चिल्लाते हैं। इन्हीं की कायरता के चलते भरी स‹डकों, चलती बसों, गाडियों और सार्वजनिक स्थलों में भी बलात्कार होते रहते हैं।
दिल्ली के फतेहपुर बेरी गांव में स्थित नगर निगम के एक स्कूल के पीटी टीचर में इतनी हिम्मत कहां से आ गयी कि उसने अपने ही स्कूल की छात्राओं की अस्मत लूटने की जुर्रत कर दी? एक नराधम एक्सरसाइज कराने के बहाने छात्राओं का बेखौफ यौन शोषण करता रहा और स्कूल के बाकी लोग अनजान रहे! एक दिन जब एक छात्रा ने स्कूल जाने से इंकार कर दिया तो उसके अभिभावकों ने वजह पूछी। छात्रा ने झिझकते हुए शिक्षक की करतूत का खुलासा करते हुए बताया कि पीटी टीचर एक महीने से जान से मारने की धमकी देकर उसकी इज्जत के साथ खिलवाड कर रहा था। स्कूल तो स्कूल अब तो मंदिरों में भी दुष्कर्म होने लगे हैं। मंदिर में अपने पति के साथ पूजा करने आयी एक महिला, पुजारी की छेडछाड से इतनी आहत हुई कि उसने उसकी चप्पलों से पिटायी कर डाली। इसी तरह से दिल्ली के ही एक मंदिर का पुजारी तीस वर्षीया युवती को बदनाम करने की धमकी उसके साथ महीनों दुष्कर्म करता रहा। तो यह हालात हैं उस देश के जहां नारी को पूजने के ढिंढोरे पीटे जाते हैं! निर्भया कांड के बाद लगा था कि देश में बलात्कारों का सिलसिला थमेगा। लेकिन सच हम सबके सामने है। अब एक सवाल जो बडी बेसब्री से जवाब मांग रहा है। सोचिए कि यदि कहीं मंत्री जी और नेता जी की बहन-बेटी या किसी करीबी रिश्तेदार महिला के साथ बलात्कारी अपनी मनमानी कर गुजरते हैं तो क्या तब भी वे यह कहने की हिम्मत दिखायेंगे कि यह कोई बडी बात नहीं है। यह तो ऊपरवाले की मर्जी है। वह जो चाहता था, वही हुआ। नादान लडकों से बलात्कार जैसी छोटी-मोटी भूल हो जाती है। इन्होंने भी कर दी। माफ कर दो बच्चों को...।

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