Thursday, June 18, 2015

नशा... नशा और नशा

इसी देश में एक गांव है, नानीदेवती। मात्र पैंतीस सौ के आसपास की जनसंख्या वाले इस छोटे से गांव में देसी शराब के दस अड्डे थे। सभी अड्डों पर जमकर शराबखोरी होती थी। सुबह, शाम गुलजार रहते थे सभी मयखाने। अपने काम धंधे को छोडकर युवक यहीं जमे रहते थे। कुछ बुजुर्ग भी रसरंजन के लिए पहुंच जाते थे। अपराध भी बढते चले जा रहे थे। पांच साल के भीतर १०० से अधिक युवक शराब की लत के चलते मौत के मुंह में समा गए। युवा बेटों की एक के बाद एक कर मौत के सिलसिले ने मां-बाप को तो रूलाया ही, गांव के चिंतनशील तमाम बुजुर्गों को भी झकझोर कर रख दिया। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा? शराब की लत के शिकार होकर उनके गांव के बच्चे यूं ही अपनी जान गंवाते रहेंगे! शराबखोरी से लगातार हो रही मौतों से शराब कारोबारी भी पूरी तरह से अवगत थे। बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं ने उन्हें कई बार गांव से अपने शराब के अड्डे हटाने की फरियाद की। उनमें इंसानियत होती तो मानते! उनके लिए तो कमायी ही सबकुछ थी। युवकों की बरबादी और बदहाली उनके लिए कोई मायने नहीं रखती थी। माल कमाना ही उनका एकमात्र ईमान धर्म था। जागरूक गांव वालों को समझ में आ गया कि धनलोभियों से किसी भी तरह की उम्मीद रखना व्यर्थ है। लगभग एक महीने पूर्व ग्रामवासी एक साथ एकत्रित हुए। शराब से मुक्ति पाने के लिए विचार-मंथन करने के बाद यही निष्कर्ष निकला कि गांव में शराब पीने पर पर प्रतिबंध लगाये बिना युवकों की मौत पर विराम नहीं लगाया जा सकता। सभी ने शराब को हाथ भी न लगाने की कसम खायी। यह भी तय किया गया कि जो भी व्यक्ति शराब पीता पाया गया उसे पांच हजार से लेकर पचास हजार तक का जुर्माना देना होगा। बुजुर्गों की सीख का युवकों पर भरपूर असर पडा। उनकी आंखें खुल गयीं। अब नानीदेवती गांव शराब से मुक्ति पा चुका है। शराब के सभी अड्डे भी बंद हो चुके हैं।
जावद (नीमच) के रहने वाले बंसीलाल बडोला को बीडी पीने का जबरदस्त शौक था। बचपन में ही उन्होंने यह गंदी आदत पाल ली थी। घरवाले उनकी इस लत से बेहद परेशान थे। साठ साल के बंसीलाल ने अपनी वसीयत में यह लिखवा दिया था कि-'अर्थी में दो बंडल बीडी और माचिस जरूर रख देना, अंतिम सफर बडे मज़े से कटेगा।' यही बंसीलाल एक दिन अचानक किसी संत का प्रवचन सुनने के लिए पहुंच गए। संत धूम्रपान से बचने का संदेश देते हुए बता रहे थे कि तंबाकू, बीडी, सिगरेट के इस्तेमाल से अस्थमा, हृदयघात व पक्षाघात की जानलेवा बीमारियां तो होती हैं, इंसान का जीवन भी नर्क बन जाता है। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी भी तंबाकू की देन है। तंबाकू में करीब चार हजार खतरनाक रसायन होते हैं, जिसमें ७० रसायन कैंसरवाले होते हैं। बंसीलाल पर उनका इतना प्रभाव पडा कि उन्होंने अपनी जेब से बीडी के बंडल और माचिस को निकाला और संत के सामने तोड दिया। कभी बीडी के गुलाम रहे बंसीलाल बीडी से तौबा कर चुके हैं, उन्होंने खुद को भी बीडी-सिगरेट पीनेवालों को सुधारने के अभियान में झोंक दिया है। वे घूम-घूम कर नुक्कड सभाएं करते हैं। धूम्रपान की बुराइयों से लोगों को अवगत कराते हैं और खुद का उदाहरण भी देते हैं। जो लोग धूम्रपान से मुक्ति पाने को तैयार हो जाते हैं उन्हें मंदिर में ले जाकर बीडी सिगरेट कभी भी नहीं पीने की शपथ दिलवाते हैं। बंसीलाल का यह अभियान खूब रंग ला रहा है। सैकडों लोग उनकी सलाह का अनुसरण कर धूम्रपान से दूरी बना चुके हैं। बंसीलाल ने ठान लिया है कि वे जीवनपर्यंत धूम्रपान विरोधी अभियान में लगे रहेंगे। इसलिए उन्होंने अपना टेंट व्यवसाय पूरी तरह से अपने बच्चों के हवाले कर दिया है।
विगत दो दशकों में हमारे देश में शराब की खपत में ५५ से ६० प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है। महानगरों में होने वाली सडक दुर्घटनाओं में शराब के नशे का काफी बडा योगदान रहता है। भारत में सतत घटने वाली बलात्कार की घटनाओं के इजाफे में शराब की बहुत बडी भागीदारी है। मुंबई की एक शराबी महिला को जेल की हवा खानी पडी। यह महिला एक नामी वकील हैं। नाम है जान्हवी गडकर। रिलायंस की टॉप लीगल एग्जीक्यूटिव हैं। नशे ने उनकी जिन्दगी तबाह कर डाली। अच्छे-खासे भविष्य का सत्यानाश हो गया। फिल्म अभिनेता सलमान खान की तरह जान्हवी ने नशे में मदमस्त होकर पांच लोगों को कुचल दिया। दो की मौत हो गयी। अपनी आलीशान ऑडी कार को लिमिट से चार गुना अधिक शराब पीकर चलाने वाली यह मदहोश वकील यातायात के सभी नियमों को भूलकर कार चला रही थी और खूनी दुर्घटना को अंजाम दे बैठीं।
एक जमाना था जब यह माना जाता था कि नशे पर पुरुषों का ही एकाधिकार है। महिलाएं बहुत कम शराब पीती देखी जाती थीं। अब तो अनेक नारियों ने भी शराबखोरी में जैसे बाजी मार ली है। पिछले दिनों मुंबई में ही यातायात पुलिस ने स‹डक पर अंधाधुंध कार दौडाती एक आधुनिक महिला को रोका। महिला ने कार में बैठे-बैठे ही पुलिस वालों पर भद्दी-भद्दी गालियों की बौछार शुरू कर दी। पुरुषों की बेहूदगी के अभ्यस्त पुलिसवाले महिला के मदमस्त व्यवहार से दंग रह गए। ऐसे नजारे अब आम होते चले जा रहे हैं। नशे की लत में अपना तथा परिवार का जीवन नर्क बनाने वालों की असंख्य भयावह दास्तानें हैं। यह सिलसिला यूं ही नहीं थमने वाला। सरकार-वरकार कुछ भी नहीं करने वाली। जब लोग खुद जागेंगे तभी नशे का अंधेरा छंटेगा और उजाला होगा।

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