Thursday, December 1, 2016

डायरी का पन्ना

पिता के द्वारा बेटी के साथ बर्बरता और दुराचार की हर खबर व्यथित कर देती है। आज तो हद ही हो गई। एक ही दिन में मानवता को कलंकित करती कई खबरों से रूबरू होना पडा। मन विचलित हो गया। नोएडा के नामी स्कूल में पढने वाली एक छात्रा ने अपने प्रधानाचार्य को रोते हुए बताया कि उसके पिता बीते दो साल से उसके साथ दुष्कर्म करते चले आ रहे हैं। उसकी मां की मौत हो चुकी है। उसके विरोध का पिता पर कोई असर नहीं होता। वे रोज रात को शराब के नशे में धुत होकर आते हैं और हर मर्यादा भूल जाते हैं। एक बेटी के द्वारा उजागर किये इस शर्मनाक सच ने प्रधानाचार्य के पैरों तले की जमीन खिसका दी। उन्होंने तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवायी और वासना के गुलाम पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। पानीपत में एक १७ वर्षीय बेटी ने अपने पिता के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवायी कि उसके पिता पिछले डेढ साल से उसका तथा उसकी छोटी बहन का यौन शोषण करता चला आ रहा है। छोटी बहन की उम्र मात्र बारह वर्ष है। मेडिकल रिपोर्ट में दोनों बहनों के साथ बलात्कार किये जाने की पुष्टि हुई। राजधानी दिल्ली में अपनी बारह वर्षीय बेटी पर बलात्कार का कहर ढाने वाले एक शैतान पिता को गिरफ्तार किया गया है। पिता शराबी है और मां दूसरों के घरों में झाडू-पोंछा कर परिवार चलाती है। वह एक शाम को जब घर लौटी तो बेटी का रो-रो कर बुरा हाल था। उसने मां को पिता की दरिंदगी के बारे में बताया। मां ने अपने भाई को खबर दी और दोनों ने यही निर्णय लिया कि ऐसे अधर्मी पिता को हर हालत में सज़ा दिलवायी ही जानी चाहिए। नागपुर में भी एक वहशी पिता ने अपनी मनमानी कर पिता के नाम को कलंकित कर दिया। ५६ वर्षीय रामू नामक पिता की दो पुत्रियां और एक पुत्र है। वह अक्खड शराबी है। पत्नी और बच्चों की हाडतोड मेहनत की बदौलत घर चलता है। छह महीने पूर्व रामू की १६ वर्षीय भतीजी उसके यहां रहने के लिए आई थी। उसके माता-पिता का देहांत हो चुका है। किशोरी छठवीं तक पढी है। गांव में छिछोरे किस्म के लडके छेडछाड करते थे इसलिए वह भयभीत रहती थी। उसे बेहद असुरक्षा का अहसास होता था। इसलिए वह अपने बडे पिता के यहां रहने के लिए आ गई। एक दिन जब पत्नी और बच्चे कहीं बाहर गए हुए थे तब रामू ने उसे अपनी हवस का शिकार बना डाला। किशोरी ने जब अपनी चाची और सौतेली बहनों को अपने साथ हुए दुष्कर्म की जानकारी दी तो उन्होंने उसे परिवार की इज्जत की खातिर मुंह बंद रखने की नसीहत दे डाली। रामू का हौसला बुलंद हो गया। उसने फिर से नीच हरकत को अंजाम देने की कोशिश की तो किशोरी सीधे थाने पहुंच गयी और वहां पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को वह सब कुछ बता दिया जिसे घर वाले छुपा कर अपनी इज्जत बचाये रखना चाहते थे। संतरानगरी नागपुर में ही एक पिता ने अपनी १४ वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया तो बेटी ने उसका मुंह नोंच लिया। यह लडकी सातवीं कक्षा में अध्यन्नरत है। पिता की उम्र है ५६ वर्ष। एक दिन अकेले में पिता की अपनी बेटी पर ही नीयत खराब हो गई और उसने उसे निर्वस्त्र कर डाला। बेटी ने बचाव के लिए शोर मचाया, लेकिन कोई बचाने के लिए नहीं आया। आखिरकार बेटी ने शैतान पिता के चंगुल से बचने के लिए हाथ-पैर चलाने शुरू कर दिये। नाखूनों से उसका मुंह नोंचने के बाद वहां से भागते हुए वह पुलिस की शरण में पहुंच गयी। तब उसके शरीर पर एकमात्र तौलिया लिपटा हुआ था। बेटियों को बचाने के लिए एक ओर केंद्र और प्रदेश की सरकारें अभियान चला रही हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी ही बेटियों के शत्रु बने हुए हैं। इस इक्कीसवीं सदी में भी बेटी होने की सज़ा महिलाओं और नवजात बच्चियों को दी जा रही है। दिल्ली के तिमारपुर में रहने वाले एक शख्स ने अपनी पहली बेटी को अल्ट्रासाउंड से जांच कराकर गर्भ में ही मार डाला। दूसरी बेटी पैदा हुई तो पत्नी का जीना हराम कर दिया। पत्नी ने बेटी को जन्म दिया इसलिए उसने अपने ससुर पर २० लाख का प्लाट देने का दबाव बनाया। जब ससुर ने असमर्थता जतायी तो जालिम और लालची पिता ने सारा का सारा गुस्सा अपनी नवजात पर उतारते हुए उसे जमीन पर पटक दिया। नरपशु का इतने में से भी दिल नहीं भरा। उसने अपने मां-बाप के साथ मिलकर पत्नी को जबरदस्ती जहर पिला दिया।
समझदार, संवेदनशील और परिपक्व माता-पिता सदैव अपनी संतान का भला चाहते हैं। उन्हें लगनी वाली छोटी-सी खरोंच उन्हें बेहद पीडा देती है। बच्चों की शरारतें उनमें नयी ऊर्जा का संचार करती हैं। वे अपने आंखों के सामने बच्चों को बडा होता देखना चाहते हैं। हर बेटी अपने पिता को अपना रक्षक मानती है। पिता की छत्रछाया में उसे अपार सुरक्षा की अनुभूति होती है। दुनिया की हर बेटी को यकीन होता है कि पिता के होते दुनिया की कोई काली छाया उसे छू तक नहीं सकती। बेटियां भी बेटों से कमतर नहीं हैं इसका जीता-जागता उदाहरण नागपुर की एक सडक पर देखने को मिला। छोटी उम्र में बडा काम उसका नाम है पारो। उम्र है महज दस वर्ष, लेकिन खेलने कूदने की उम्र में छह मीटर की ऊंचाई पर लटकी रस्सी पर चलकर जब वह हैरतअंगेज करतब दिखाती है तो देखने वालों के दिल की धडकन बढ जाती है। यकीनन यह हैरतअंगेज करतब दिखाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। लेकिन फिर भी यह बच्ची दिन में कई बार जान हथेली पर रखकर तमाशा दिखाती है और अपने पूरे परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाती है। तमाशा दिखाने से पहले सडक पर दोनों तरफ मोटी लकडी के सहारे रस्सी बांधी जाती है। करीब चार मीटर लम्बी व आठ-दस फीट ऊंची इस रस्सी पर पारो बडे सधे पांव से चलती है। तमाशे को और रोमांचक बनाने के लिए वह साइकिल रिंग रखकर पानी भरा लौटा सिर पर रखती है इसके बाद वह जब रस्सी पर चलती है तो देखने वाले स्तब्ध रह जाते हैं और तालियां गूंजने लगती हैं। पारो के पिता को ब्लड कैंसर है। अपनी इस बीमारी का उन्हें साल भर पहले पता चला। पहले वे ही रस्सी पर करतब दिखाते थे। जब उनकी तबीयत ज्यादा बिगडने लगी तो उन्होंने पारो को यह हुनर सिखाया। पिता जानते हैं कि वे कुछ ही दिन के मेहमान हैं। बेटी अपने पिता को स्वस्थ देखना चाहती है, इसलिए बिना थके दिन भर रस्सी पर चलकर इतना कमा लेना चाहती है, जिससे पिता की बीमारी का इलाज भी होता रहे और माता-पिता को दूसरों का मुंह न ताकना पडे। बेटियों को दुनिया में आने से रोकने और उनके साथ दुराचार करने वाले पिताओं की शर्मनाक खबरें वाकई चिन्ता में डाल देती हैं। ऐसे वहशियों के कारण ही पिता की श्रद्धेय छवि कलंकित हो रही है। पिता के अस्तित्व, कर्तव्य और अहमियत की जीवंत तस्वीर पेश करती अज्ञात कवि की यह पंक्तियां यकीनन काबिलेगौर हैं :
"पिता रोटी है
कपडा है, मकान है,
पिता नन्हे से परिंदे का आसमान है।
पिता है तो घर में प्रतिपल राग है,
पिता से मां की चूडी,
बिंदी सुहाग है,
पिता है तो
बच्चों के सारे सपने हैं
पिता है तो... बाजार के
सारे खिलौने अपने हैं...।"

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