Thursday, January 19, 2017

उनकी शिनाख्त होनी ही चाहिए

पहले जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तैनात २९वीं बटालियन के जवान तेज बहादुर यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी पीडा उजागर करते हुए कहा कि जवानों को खराब खाना दिया जा रहा है। जली हुई रोटियां और पानी में डूबी नाममात्र की दाल खिलाकर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है। जब अधिकारियों से इसकी शिकायत की जाती है तो वे अनसुना कर देते हैं। वे इस सच को भूल जाते हैं कि हम जवानों को कैसी कडकती ठंड में विपरीत हालातों में अपनी ड्यूटी निभानी पडती है। यहां हमारी फरियाद को सुनने वाला कोई नहीं है। उसके बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस के एक जवान ने वेतन एवं अन्य तकलीफों पर अपनी पीडा व्यक्त की। उसके बाद तो जैसे एक सिलसिला चल पडा। देश के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर देने वाली वर्दी के असंतोष ने सजग देशवासियों को चिन्तन-मनन करने को विवश कर दिया। आर्मी के लांस नायक वाई.पी. सिंह का जो वीडियो सामने आया, उसमें आरोप लगाया गया कि उनका सीनियर अफसर उनसे गालीगलौज करने के साथ-साथ जूते भी साफ करवाता है। आदेश न मानने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी देता है। बीएसएफ में खराब खाना देने की शिकायत करने वाले जवान तेज बहादुर की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति पर शिकायत वापस लेने का दबाव तथा माफी मांगने को कहा जा रहा है। अर्धसैनिक बल के जवानों को सेना के बराबर वेतन एवं अन्य सुविधाओं की मांग करने वाले जवान जीत सिंह ने अपने वीडियो संदेश में कहा- "मैं कांस्टेबल जीत सिंह सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) का जवान हूं। मैं आप लोगों के जरिए हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तक एक संदेश पहुंचाना चाहता हूं। मेरा कहना यह है कि हम लोग इस देश के अंदर कौन-सी ड्यूटी है, जो नहीं करते। लोकसभा चुनाव, राज्यसभा चुनाव, यहां तक कि छोटे-मोटे ग्राम पंचायत चुनाव में भी काम करते हैं। इसके अलावा वीवीआईपी सिक्योरिटी, संसद भवन, एयरपोर्ट, मंदिर, मस्जिद कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहां सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जवान योगदान न देते हों। सेना और सीआरपीएफ को दिए जाने वाले वेतन और सुविधाओं में काफी फर्क है। अफसोस कि हमारे दु:ख और दर्द को समझने वाला कोई नहीं है।"
कहीं न कहीं यह प्रतीत तो होता ही है कि सेना और अर्द्धसैनिक बलो में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसी शिकायतों और असंतोष का बेवजह जन्म नहीं होता। देश के तमाम सैनिक जान की परवाह न करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। सैनिकों के साथ न तो पक्षघात होना चाहिए और न ही उन्हें किन्हीं दिक्कतों का सामना करने को मजबूर किया जाना चाहिए। उन्हें पौष्टिक भोजन मिलना ही चाहिए। यह उनका हक है। लेकिन यह बहुत ही शर्म की बात है कि सैन्यबल भी भ्रष्टाचार के कीटाणुओं से अछूते नहीं हैं। सैनिकों को खराब और घटिया भोजन उपलब्ध कराने का आरोप लगाने वाले जवान तेज बहादुर ने सेना के अधिकारियों को कठघरे में खडा करते हुए यह भी कहा है कि उनकी भ्रष्टाचारी और भेदभाव की नीति के कारण ही जवानों को पौष्टिक भोजन से वंचित रहना पडता है।
यह तो देश की रक्षा करने वाले सैनिकों और जवानों के जीवन के साथ खिलवाड करने वाला एक ऐसा अपराध है जो यकीनन अक्षम्य है। भ्रष्टाचार के कैंसर ने भारत को अंदर ही अंदर कितना खोखला कर डाला है यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन सरहद पर सैनिकों के साथ होने वाला अन्याय, भ्रष्टाचार और भेदभाव देश के साथ विश्वासघात है। जो सैनिक देश के लिए कुर्बानी देने को सदा तत्पर रहते हैं उनके साथ यह बहुत बडी बेइंसाफी है। अभी तक तो हमने यही सुना और जाना था कि सैनिकों के लिए खरीदे जाने वाले कम्बलों, जूतों और अन्य सामानों में भ्रष्टाचार, हेराफेरी और रिश्वतखोरी चलती है, लेकिन अब यह भी साफ हो गया है कि राशन की खरीदी और वितरण में भी बेइमानी की जाती है। बढ़िया भोजन सामग्री अधिकारियों के यहां और घटिया सामग्री सैनिकों तक पहुंचायी जाती है। सेना के कुछ सीनियर अफसरों के द्वारा यह भी कहा गया कि बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने घटिया खाने के खिलाफ आवाज उठाकर अनुशासन तोडा है। लेकिन यह भी सच है कि जब अन्याय हद से ज्यादा बढ जाता है तो मुंह खोलने को विवश होना ही पडता है। जवानों ने चुप्पी तोडकर देशवासियों की आंखें खोल दी हैं। शुक्रिया सोशल मीडिया का... जिसने जवानों को अपनी तकलीफों और परेशानियों को जगजाहिर करने का अभूतपूर्व हथियार उपलब्ध करवाया है। देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक जवानों की आवाज पहुंच चुकी है।
गौरतलब है कि देश के जवान पहले भी ऐसे गंभीर समस्याओं को उठाते रहे हैं। लेकिन उनकी कभी सुनी नहीं गई। गत वर्ष कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि जवानों को घटिया खान-पान और खाने के सामानों में तय मानकों से कम सामान दिया जा रहा है। यह गोरखधंधा पिछले कई वर्षों से चल रहा है। कैग की रिपोर्ट पर तो किसी का ध्यान नहीं गया, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए धमाका हो गया। जो लोग जवानों को दिए जाने वाले राशन में भ्रष्टाचार करते हैं उन्हें कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें भी नहीं बख्शा जाना चाहिए जो जवानों को अपना गुलाम समझते हैं। राशन, वर्दी और बाकी सामानों में चलने वाली कमीशनखोरी और कमीशनबाजों की शिनाख्त होना जरूरी है। यह काम ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत से ही होता है। सेना में भी भ्रष्टाचारी और बेइमान भरे पडे हैं। इसका यदा-कदा पर्दाफाश होता रहता है। पिछले दिनों भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख ए.पी.त्यागी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली घटना थी। इससे यह तो पता चल ही गया कि ऊंचे पदों पर विराजमान लोग कितने भ्रष्ट हो सकते हैं। इन्हें अपना आदर्श मानने वालों की कहीं कोई कमी नहीं है।

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