Thursday, February 16, 2017

अब क्या कहें?

विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रधानाध्यापिकाओं के पद की एक गरिमा होती है। मस्तक खुद-ब-खुद झुक जाते हैं। शिक्षक यानी गुरु को साक्षात भगवान का दर्जा यूं ही नहीं दिया गया है। यही शिक्षक जब अपने पद की गरिमा को मिट्टी में मिलाने पर तुल जाएं तो यह कहने को विवश होना पडता है शिक्षा- मंदिर के भगवान शैतान हो गए हैं। इन्होंने मान-सम्मान पाने का हक खो दिया है। अनपरा (सोनभद्र) स्थित बालिका महाविद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने होमवर्क न पूरा करने पर छात्राओं को स्कर्ट उतारकर पूरे स्कूल में चक्कर काटने का फरमान सुना दिया। गुरु की गरिमा को तहस-नहस करके रख देने वाली इस प्रिंसिपल ने छात्राओं के स्कर्ट उतरवाने के साथ-साथ उन्हें मुर्गा बनाकर सातवें आसमान पर पहुंचे अपने गुस्से का अभद्र प्रदर्शन कर दर्शा दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में अमर्यादित महिलाएं भी प्रवेश कर चुकी हैं। पुरुषों की तरह उन्हें भी शिक्षा के क्षेत्र की अहमियत का ज्ञान नहीं है। दरअसल, वे इस पवित्र क्षेत्र के लायक ही नहीं हैं। छात्राओं ने घर पहुंचकर अपने माता-पिता को प्रिंसिपल की दरिंदगी के बारे में बताया तो वे सन्न रह गए। उन्होंने इस बददिमाग प्रधानाध्यापिका को खूब खरी-खोटी सुनायीं।
इसी तरह से राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर में एक शिक्षक की काली करतूत उजागर हुई। यह शिक्षक ट्यूशन पढने आने वाले बच्चों के साथ कुकर्म कर कमीनगी की सभी हदें पार करने में मशगूल रहता था। छब्बीस वर्षीय रमीज नामक इस हैवान ने ११ बच्चों के साथ कुकर्म की वारदातें कबूली हैं। वह बच्चों को डरा-धमकाकर दूसरे बच्चों से की जाने वाली हरकतों की वीडियो क्लिपिंग तैयार करवाता था। अब तक पांच से पंद्रह साल तक के बच्चों की ७६ क्लिपिंग सामने आ चुकी हैं। बच्चों के परिजन जब पुलिस के पास पहुंचे तो उन्हें डांट-डपटकर भगा दिया गया। स्कूल प्रशासन ने भी मामले को दबाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। बाबुलगांव तहसील के नांदुरा खुर्द स्थित जिला परिषद की प्राथमिक शाला की पांच छात्राएं अपने ही गुरु की अंधी वासना की शिकार हो गर्इं। इस शाला में कक्षा एक से चार तक की कक्षाएं हैं। यहां पर दो शिक्षक कार्यरत थे। हवस का पुजारी शिक्षक रमेश तुमाने मुख्याध्यापक तथा शिक्षक के तौर पर कार्यरत था। तुमाने छात्राओं को फांसने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाता था। छात्राएं जब गणित का गलत जवाब देतीं तो वह उन्हें शाला के एक कमरे में ले जाता और फिर उनसे अश्लील हरकतें करने लगता था। एक पीडित बालिका ने अपनी मां को आपबीती बतायी तो नराधम शिक्षक के दुराचार का पर्दाफाश हो गया। जिन छात्राओं ने भय के कारण पहले अपना मुंह बंद कर रखा था उन्होंने भी अपने साथ की गयी घिनौनी हरकतों का पूरा ब्यौरा पेश कर दिया। अभिभावक और ग्रामवासी गुस्से से इस कदर तिलमिला उठे कि अगर उनको रोका नहीं जाता तो वे अय्याश शिक्षक की हत्या तक कर देते। गुस्से की आग में जलती भीड ने उसे तब तक शाला के कमरे में कैद रखा जब तक पुलिस और तहसीलदार वहां नहीं पहुंचे। उन्होंने बदजात शिक्षक को कडी से कडी सज़ा दिलवाने का आश्वासन दिया। कुकर्मी तुमाने ने तो अपना जुर्म स्वीकार कर लिया... लेकिन गांव के लोगों का रोष और उनके चेहरों पर खिंची तनाव की गहरी लकीरें इतनी आसानी से नहीं मिटने वालीं। अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल भेजते हैं। वे कभी सपने में भी नहीं सोच सकते कि स्कूलों में ऐसे व्याभिचारी लोग हो सकते हैं।
वर्ष २०१६ के मार्च महीने में इसी तरह से राजधानी के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को कक्षा आठवीं में पढने वाली एक छात्रा के साथ छेडछाड करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गुस्साए माता-पिता और स्थानीय लोगों ने प्रिंसिपल की जूतों और चप्पलों से ऐसी पिटायी की थी कि वे बेहोश हो गए थे। सन २०१५ के सितंबर माह में गोवा के एक प्रमुख कॉलेज के प्रिंसिपल की छात्राओं की खूबसूरती पर नीयत डोल गयी। लडकियों को फांसने के लिए प्रिंसिपल ने उन्हे शराब पीने के लिए उकसाया और जब उन पर नशा हावी हो गया तो वह उनके शरीर से खेलने लगा। बाद में छात्र-छात्राओं ने प्रिंसिपल की वो ठुकायी की, कि उन्हें गोवा छोडने को मजबूर होना पडा। दिल्ली की ही एक स्कूल की पैंतीस वर्षीय शिक्षिका अपने सोलह वर्षीय छात्र को पढाते-पढाते उस पर मोहित हो गई। वासना की आग में अपने विवेक को तिलांजलि दे चुकी शिक्षिका ऐन वेलेनटाइन डे की शाम छात्र के साथ भाग खडी हुई। यह स्तब्ध कर देने वाली खबर अखबारों और खबरिया चैनलों में छा गई। शिक्षिका के पति ने माथा पीट लिया। किसी तरह से दोनों को ढूंढ निकाला गया। शिक्षिका छात्र को छोडने को तैयार ही नहीं थी। लोगों के बहुतेरा समझाने-धमकाने के बाद ही उसकी अक्ल ठिकाने आई। स्कूल, कॉलेजों में ऐसी कई घटनाएं होती रहती हैं जिनसे शिक्षा जगत बदनाम होता है। लोग लाख कोसते रहें, लेकिन शिक्षकों के चेहरे पर कोई शिकन नहीं आती। शिक्षा के मंदिरों में शिक्षकों की नियुक्ति करते समय उनके चरित्र की अनदेखी किये जाने का ही यह परिणाम है। दरअसल इस क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार ने अपने पांव पसार लिए हैं इसलिए 'दक्षिणा' की बदौलत बदचलन चेहरों की भी चांदी हो गई है।

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