Thursday, February 23, 2017

मर्यादाहीन महारथी

यह उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों का नज़ारा है। यहां कभी मंदिर-मस्जिद की बात होती थी, अब श्मशान और कब्रिस्तान छाये हैं। मर्यादाओं को तिलांजलि दी जा चुकी है। छींटाकशी और जुमलेबाजी में कोई पीछे नहीं रहना चाहता। छोटे-बडे का भी ख्याल नहीं रहा। येन-केन-प्रकारेण विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए एक-दूसरे को नीचा दिखाने की तो जैसे प्रतिस्पर्धा-सी चल रही है। वाकई यूपी के विधानसभा चुनाव को वर्षों तक याद रखा जाएगा...। राजनीति के मैदान पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का चलन बडा पुराना है, लेकिन इस बार चलाये जा रहे नुकीले जुबानी तीर कभी न भरने वाले जख्म देते प्रतीत हो रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के बारे में यह आम राय बन चुकी है कि वे गजब की धन प्रेमी हैं। दलितों की राजनीति ने उन्हें मालामाल कर दिया है। धन लेकर वे चुनावी टिकट थमाती हैं। उनकी इस कलाकारी ने उनके पूरे परिवार को अपार धनपति बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अब तो इस पार्टी का नाम ही बदल गया है। अब यह बहुजन समाज पार्टी नहीं बल्कि 'बहन जी संपत्ति पार्टी' बनकर रह गई है। मोदी के इस सर्वविदित कथन को सुनते ही बहन जी की बौखलाहट इन शब्दों में सामने आयी: नरेंद्र दामोदरदास मोदी नाम के असली मायने हैं, नेगेटिव दलित मैन। भारत वर्ष के प्रधानमंत्री मोदी दलित विरोधी हैं। वे दलितों के हितों के पक्षधर नहीं हैं। उन्हें दलितों के पक्ष में आवाज उठाने वाले लोग भी रास नहीं आते। बहन जी ने यह भी फरमाया कि उन्होंने दलितों के आर्थिक सहयोग की बदौलत अपनी पार्टी की मजबूत नींव रखी है। प्रधानमंत्री मोदी को बहुजन समाज पार्टी की तरक्की हजम नहीं हो रही है। दलित की बेटी हेलीकॉप्टर में घूमें उन्हें यह अच्छा नहीं लगता। उन्हें यह भी ज्ञात नहीं है कि बसपा एक राजनीतिक दल बाद में है, एक आंदोलन पहले है। बसपा सुप्रीमो यह बताना भी नहीं भूलीं कि उन्होंने दलितों, शोषितों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। मोदी ने तो शादी करने के बाद पत्नी का त्याग कर दिया, लेकिन मैंने तो शादी ही नहीं की। यूपी में ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश के कमजोर तबके के लोग उन्हें देवी मानते हैं, जो उनका उद्धार कर सकती है।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की देश के शालीन राजनेताओं में गिनती की जाती है। इसमें दो मत नहीं कि प्रधानमंत्री को हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने में महारत हासिल है। चुनावी मौसम में लगभग सभी दल और राजनेता जाति-धर्म का ढोल पीटते हैं। पीएम ने फतेहपुर रैली में यह कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। रमजान में अगर बिजली रहती है तो दिवाली में पर भी बिजली रहनी चाहिए। मोदी के इस बयान ने अखिलेश के तन-बदन को झुलसा दिया। उन्होंने फौरन शालीनता की सीमाएं लांघ डालीं। ऐसा लगा कि जैसे वे घोर अभद्रता का दामन थामते-थामते किसी तरह से रूक तो गए, लेकिन उनकी इस प्रतिक्रिया ने उनके अंदर के कुटिल नेता का असली चेहरा दिखा दिया : गुजरात में तो गधों को भी विज्ञापित किया जा रहा है। मैं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से अपील करता हूं कि गुजरात के गधों का प्रचार करना बंद करें। गुजरात वाले टीवी पर गधों का प्रचार कराते हैं और उत्तरप्रदेश में आकर श्मशान और कब्रिस्तान की बात करते हैं। गौरतलब है कि अखिलेश ने गधों के जिस विज्ञापन पर निशाना साधा है वह गुजरात पर्यटन विभाग के द्वारा निर्मित है, जिसमें अभिनेता अमिताभ बच्चन पर्यटकों से आग्रह करते नजर आते हैं कि वे गुजरात के कच्छ स्थित रण में आएं और जंगली गधों के अभ्यारण्य का लुत्फ उठाएं। स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि पांच वर्ष तक उत्तरप्रदेश के शासक की भूमिका निभाने के बाद अखिलेश में भी सत्ता के घोर भूखे नेताओं वाले गुण-अवगुण घर कर चुके हैं। देखकर भी अनदेखा करने की कला में उन्होंने महारत हासिल कर ली है। अमेठी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हैं गायत्री प्रजापति। अखिलेश सरकार के इस मंत्री पर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी पुलिस ने इस महान समाजवादी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। प्रजापति के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने अच्छी-खासी नौटंकी की। उन्होंने तब कहीं जाकर चुनाव प्रचार मंच पर पांव रखा जब प्रजापति वहां से चलते कर दिए गये। ऐसे पहुंचे हुए नेता को समाजवादी पार्टी की टिकट देने के पीछे कारण सुनने में आया है कि वे 'कमाऊ' होने के साथ-साथ चुनाव जीतने की जबर्दस्त क्षमता रखते हैं। प्रजापति ने जब २००२ में पहली बार विधानसभा का चुनाव लडा था तब उसने अपनी कुल संपत्ति ९१ हजार बताई थी। दस वर्ष बाद अमेटी में पर्चा भरते समय २०१२ में अपनी कुल संपत्ति तीन लाख ७१ हजार बताई थी, लेकिन अब उनकी संपत्ति दो लाख १२ हजार करोड की हो चुकी है। इतनी इफरात कमायी तो किसी एक नंबर के धंधे में तो नहीं, काली राजनीति में ही संभव है। बताया यह भी जाता है कि प्रजापति, मुलायम सिंह का दुलारा है। उन्हीं की जिद के चलते ही भ्रष्टाचारी प्रजापति को मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल किया गया था। यह तो हो नहीं सकता कि अखिलेश को पता ही न हो कि उनके मंत्री प्रजापति ने कौन से 'समाजवाद के रास्ते' पर चलकर एकाएक इतनी दौलत जमा कर ली है। इस देश में बडा से बडा बेइमान नेता भी खुद को ईमानदार और परोपकारी ही बताता है। भ्रष्टाचार के कीर्तिमान रचने वाले लालू प्रसाद यादव, ओम प्रकाश चौटाला, तामिलनाडु की मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गई शशिकला जैसे तमाम काले चेहरे खुद को ईमानदार जनसेवक घोषित करते नहीं थकते। उन्हें हमेशा यही लगता रहता है कि जनता बेवकूफ और भुलक्कड है।

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