Thursday, July 20, 2017

लोगों को बेवकूफ मत समझो

लालू का हाईस्कूल फेल बेटा तेजस्वी यादव बिहार का उपमुख्यमंत्री है। उस पर बाकायदा भ्रष्टाचार का केस दर्ज हो चुका है, लेकिन वह कुर्सी को छोडने को तैयार नहीं है। इस धूर्त का कहना है कि उसे राजनीतिक रंजिश के चलते फंसाया गया है। वह तो सीधा-सादा नेता है जिसकी मंशा जनता की सेवा करना है। लेकिन कुछ शत्रु नहीं चाहते कि मैं बिहार के दबे-कुचले, गरीबों के काम आऊं। दरअसल, यह शत्रु हमारे पूरे खानदान को राजनीति के मैदान से हटा देना चाहते हैं। इसलिए इन्होंने किसी को भी नहीं बख्शा। मेरे पिता, मेरी माता, मेरी बहन और जीजा तक इनके निशाने पर हैं। दुश्मन लाख साजिशें कर लें, लेकिन हमारा बाल भी बांका नहीं होने वाला। बिहार की जनता हमारे साथ है। उसी ने हम दोनों भाइयों को वोट देकर विधायक और मंत्री बनने का सौभाग्य प्रदान किया है। बाल्यकाल से ही करोडों रुपये की भ्रष्टाचार की सम्पत्ति के मालिक बन चुका तेजस्वी मानता है कि बिहारवासी उसे कल भी भरोसे के काबिल समझते थे और आज भी उनका भरोसा टूटा नहीं है।
भोली-भाली अंधभक्त जनता को अंधेरे में रखने की चालाकी और अवसरवादिता तो उसे विरासत में मिली है। खुद को हर भ्रष्टाचार से अनभिज्ञ दर्शाने के लिए उसने कवियों वाला भावुकता का जो मुखौटा लगाया उसे नुचने में देरी नहीं लगी। यह सोशल मीडिया का जमाना है। तेजस्वी ने लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए अपने ट्विटर और फेसबुक पर यह कवितानुमा पंक्तियां पोस्ट कीं-
"जनता के अधीन, विकास में लीन, न सम्मान का मोह, न अपमान का भय, जनहित सर्वोपरि, गरीब हमारा मुकुटमणि।"
तेजस्वी का यह जाल पूरी तरह से नाकाम रहा। लोगों की सहानुभूति की बजाए आलोचनाओं की झडी लग गयी। एक यूजर ने लिखा कि २५ साल में आपके पिता लालू प्रसाद की सम्पत्ति २००० करोड के पार चली गई। हैरानी इस पर नहीं है, हैरानी तो इस बात पर है कि आज भी वो अपने आपको गरीब आदमी बुलाते हैं। सुना है कि लालू की दोनों मिसाइलों तेज १ और तेज २ के फ्यूज कंडक्टर सीबीआई ने निकाल दिए हैं। एक अन्य सजग युवकों ने तेजस्वी के गालों पर तमाचा जडते हुए लिखा, 'पटना में मां मरिछिया देवी कॉम्पलेक्स में २६ फ्लैट और गरीब। यहां बिहार का गरीब रिक्शा चला रहा है, लंच में ५ रुपये के बिस्किट खा पैसे बचा रहा है, अपने परिवार के लिए और ये लालू प्रसाद बीस साल पहले नमक सत्तू खाता था, आज फार्म हाऊसों, बंगलों, मॉल, पेट्रोल पम्प और जमीनों के ढेर पर बैठा है।'
२६ साल की उम्र में २६ अवैध सम्पतियों के मालिक बने तेजस्वी को यदि मजबूरन गद्दी छोडनी पडी तो उसके पिता लालू ने अपनी एक और बेटी को इस पद पर विराजमान करवाने की तैयारी कर ली है। लालू की बडी बेटी मीसा भारती जिसे राज्यसभा का सांसद बनाया जा चुका है, उसके भ्रष्टाचार की कमायी की भी पोल खुल रही है। लालू के लिए बिहार की सत्ता घर की खेती है। जब वे चारा घोटाले के चलते जेल गए थे तब उन्होंने अपना मुख्यमंत्री पद अपनी अनपढ पत्नी राबडी को सौंप दिया था। इनके लिए राजनीति और सत्ता ऐसा खानदानी धंधा है जिसे सिर्फ परिवार के सदस्यों के द्वारा ही चलाया जाता है। इसी के बदौलत ही तो दो हजार करोड से ऊपर का साम्राज्य खडा किया गया है। इनके काले कारोबार पर जब भी आवाजें उठती हैं तो बार-बार यही सफाई आती है कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। यह नहीं बताया जाता कि इतनी धन-दौलत आखिर कहां से आई? सोशल मीडिया पर तेजस्वी के द्वारा गरीब जनता को अपना 'मुकुटमणि' बताना यह भी बताता है कि बिहार की राजनीति में इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। उसने शातिर नेताओं वाली सभी कलाएं सीख ली हैं।
 सोशल मीडिया पर बडे लोगों के द्वारा अपनी व्यथा कहने और किसी न किसी तरह से छाये रहना रोजमर्रा की बात हो गई है। पिछले हफ्ते फिल्मी दुनिया के दिग्गज चेहरे अमिताभ बच्चन और प्रख्यात कवि कुमार विश्वास की शाब्दिक लडाई ने भी देशवासियों का खासा मनोरंजन किया। दरअसल, कुमार विश्वास ने पुराने हिंदी कवियों की याद में 'तर्पण' नामक श्रृंखला शुरू की जिसका सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार किया गया। इस श्रृखंला में बाबा नागार्जुन, दिनकर, निराला, बच्चन, महादेवी, दुष्यंत, भवानी प्रसाद मिश्र के साथ अन्य कवियों की कविताओं का समावेश है। इसी श्रृंखला के चौथे वीडियो में राजनीति के रंग में रचे-बसे कवि विश्वास ने अमिताभ के दिवंगत पिता हरिवंशराय बच्चन की कविता का वीडियो शेयर किया। यू-ट्यूब पर इस कविता को देश के लाखों लोगों ने पढा और सराहा। लेकिन उम्रदराज अमिनेता को विश्वास का यह कृत्य पसंद नहीं आया। उन्होंने कवि को २४ घण्टे के अंदर यह विडियो डीलीट करने के साथ वीडियो से हुई कमाई का हिसाब देने की मांग कर डाली। कवि को तो तारीफ पाने की उम्मीद थी, लेकिन यहां उलटा हो गया। उन्होंने ट्वीट के जरिए बौखलाए अभिनेता को जवाब दिया कि अन्य कवियों के परिवारों ने तो मुझे (तर्पण के लिए) बधाइयां और शुभकामनाएं दीं और आपने नोटिस भेज दिया! मैं इस वीडियो को डिलीट करने के साथ-साथ इससे हुई ३२ रुपये की कमाई को भी आपको भेज रहा हूं। वैसे यह तथ्य भी काबिलेगौर है कि कई विद्वानों का मानना है कि अच्छी रचनाएं बिना किसी बंदिश के लोगों के सामने आनी चाहिएं। चतुर अभिनेता के विरोध में राजनीति भी छिपी नजर आती है। कवि विश्वास आम आदमी पार्टी के नेता भी हैं। यह पार्टी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आग उगलती रहती है। अमिताभ 'जिधर दम उधर हम' की नीति पर चलते आये हैं। वक्त के हिसाब से पाला बदलने में उन्हें महारत हासिल है। आज की तारीख में वे नहीं चाहते कि कहीं भी यह संदेश जाए कि वे मोदी का विरोध करने वाले शख्स के प्रति नर्म दिल हैं। अमिताभ ने कुमार को नोटिस भेज कर अपनी खिल्ली ही उडवायी है। ऐसा तो हो नहीं सकता कि उन्हें पता ही न हो कि उनके पिताश्री की विभिन्न कविताएं सोशल मीडिया में छायी रहती हैं। कुछ लोग तो दूसरों की कविताओं पर भी हरिवंशराय बच्चन का नाम जड देते हैं और फेसबुक पर डाल देते हैं। हैरानी की बात है कि इसके पहले तो कभी सदी के तथाकथित महानायक को कॉपीराइट के हनन का विचार नहीं आया?
तथाकथित नामी-गिरामी चेहरों की ऐसी तमाशेबाजी सतत चलती रहती है और लोगों का मनोरंजन भी होता रहता है इनको पसंद और नापसंद करने वालों की अपनी-अपनी भीड है जो तालियां भी पीटती है और कीचड भी उछालती रहती है। इस सारे खेल-तमाशे के चलते ज्यादातर अच्छी सकारात्मक प्रेरणादायक खबरें प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के द्वारा नजरअंदाज कर दी जाती हैं। उत्तराखंड स्थित रुद्रप्रयाग के कलेक्टर मंगेश घिल्डियाल पिछले दिनों रूटीन चेक के लिए राजकीय गर्ल्स इंटर कॉलेज पहुंचे तो उन्हें पता चला कि कॉलेज में साइंस का कोई टीचर ही नहीं है। उनके लिए यह काफी गंभीर बात थी। कोई और होता तो इसे नजरअंदाज कर चलता बनता, लेकिन उन्होंने इसका भी समाधान निकालने की ठान ली। घर पहुंचकर अपनी पत्नी ऊषा को इस समस्या के बारे में अवगत कराया। ऊषा ने पंतनगर यूनिवर्सिटी से प्लॉट पैथलॉजी में पीएचडी किया है। वे समझ गर्इं कि पति महोदय क्या चाहते हैं। अगले ही दिन वे कॉलेज पहुंची और छात्राओं को अवैतनिक पढाने में जुट गर्इं। युवा कलेक्टर मंगेश अपनी अलग छाप छोडने के लिए जाने जाते हैं। जहां भी पदस्थ होते हैं। वहां के लोगों का दिल जीत लेते हैं। मई में जब उनका बागेश्वर जिले से स्थानांतरण हो रहा था, तो वहां के लोग विरोध में सडकों पर उतर आए थे। उनकी पत्नी भी बिना किसी प्रचार के जनसेवा करने में यकीन रखती हैं।

No comments:

Post a Comment