Thursday, September 14, 2017

आस्था के सौदागर

राजनीति और धर्म के बाजार में वर्षों से खोटे सिक्के धडल्ले से चल रहे हैं। इनके बारे में पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई प्रभावी कदम उठाने की कोशिश ही नहीं की गई। पथभ्रष्ट नेताओं को तो लगभग पूरी तरह से बख्श दिया गया है। वे हर तरह की मनमानी करने को स्वतंत्र हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी हम और आप हैं जो आंख मूंदकर इस छलिया बिरादरी का अंधानुकरण करते हैं। डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत का धूर्त और कपटी चेहरा सामने आने के बाद अखिल भारतीय अखाडा परिषद ने १४ फर्जी और ढोंगी बाबा की जो सूची जारी की है उसमें गुरमीत के अलावा जो नाम शामिल हैं उनमें से कुछ जेल में हैं तो कुछ का डंका अभी भी गूंज रहा है। हमारे यहां धर्मांध लोगों को कितना भी सचेत किया जाए, लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पडता। आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व जब प्रवचनकार आसाराम के कुकर्मों का पिटारा खुला था तो होना तो यह चाहिए था कि लोग कपटी बाबाओं से दूरी बना लेते। बाबा भी खुद में सुधार लाते, लेकिन न तो अंधभक्तों के दिमाग के ताले खुले और न ही फर्जी बाबाओं ने आसाराम की गिरफ्तारी से कोई सबक सीखा। उन्होंने तो यही मान लिया था कि आसाराम बदकिस्मत था जो पकड में आ गया। वे बहुत सतर्क होकर अपना काम करते हैं इसलिए उनकी पोल कभी भी नहीं खुलेगी। उनकी शिकार महिलाएं कभी भी उनके खिलाफ मुंह नहीं खोलेंगी। आसाराम को जेल में ठूंसे जाने के बाद कई धूर्त बाबाओं के कुकर्मों का भांडाफोड हुआ, लेकिन ढोंगी बाबाओं के अंधभक्तों की तंद्रा नहीं टूटी। यही वजह है कि रामपाल और गुरमीत जैसे कपटियों का धर्म का धंधा सरपट दौडता रहा। कहावत है कि 'पाप का घडा एक न एक दिन फूटता ही है। पिछले वर्ष रामपाल को जेल भेजे जाने पर उसके अनुयायियों ने जमकर अपनी गुंडागर्दी का तमाशा दिखाया था। उनपर काबू पाने के लिए पुलिस की भी सांसें फूल गयी थीं। रामपाल भक्तों के धन की बदौलत राजसी जीवन जीने के साथ-साथ नारियों की अस्मत लूटता था। गुरमीत ने तो जैसे सभी अय्याश पाखंडियों को मात दे दी। उसके भक्तों की संख्या करोडों में बतायी जाती है। अपने ही भक्तों के साथ विश्वासघात करने वाला गुरमीत तो बहुत बडा जालसाज और अपराधियों का सरगना निकला। उसके अपराधों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। उसको अदालत के द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद जो हिंसा हुई उसमें ४० लोगों ने अपनी जान दे दी और सैक‹डो घायल हुए। यह सब उस अंधभक्ति के कारण हुआ जो धूर्त साधुओं की पूंजी है। नाबालिग लडकी के यौन शोषण के आरोप में २०१४ से जेल में बंद आसाराम के चेलों ने भी उसे जेल में डाले जाने पर कम तमाशेबाजी नहीं की थी। जिस तरह से गुंडे-बदमाश और पेशेवर हत्यारे अपने खिलाफ खडे होने वाले गवाहों को धमकाते-चमकाते हैं वैसा ही धतकर्म आसाराम और उसके खरीदे हुए गुंडों ने किया। कुछ गवाहों की तो हत्या तक करवा दी गयी। एक जमाना था जब आसाराम के यहां मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और बडे-बडे नेताओं का भी जमावडा लगा रहता था। इसी जमावडे ने आसाराम की 'साख' में खूब इजाफा किया था और उसके अनुयायियों की संख्या बढती चली गई थी। तब भी उस पर कई संगीन आरोप लगते थे, लेकिन उनपर ध्यान नहीं दिया जाता था। गुरमीत और रामपाल जैसे नकाबपोश देहभोगियों ने भी जी-भरकर आसाराम का अनुसरण किया और चंद वर्षों में अरबों-खरबों का साम्राज्य खडा कर लिया। दरअसल इन लोगों की सोच साधु-संतों वाली है ही नहीं। यह धन और सम्पत्ति के जन्मजात भूखे हैं। येन-केन-प्रकारेण धन बटोरना ही इनका मूल उद्देश्य है। दुनिया को तो यह मोहमाया से दूर रहने, भौतिक सुखों के त्यागने की शिक्षा देते हैं, लेकिन खुद चौबीस घण्टे भोग विलास में डूबे रहते हैं। गुरमीत ने बिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय में तलाशी में कई रहस्योद्घाटन हुए। गुरमीत कितना अय्याश था और साध्वियों का कहां-कहां यौन शोषण करता था इसका पता तो इस सच से चलता है कि वह जिस गुफा में रहता-सोता था उससे जुडा एक गुप्त रास्ता था जो सीधे साध्वी निवास पर खुलता था। इसी साध्वी निवास में विभिन्न महिलाएं रखी जाती थीं जिन्हें वह अपनी अंधी वासना का शिकार बनाता था। डेरा छोड चुके कुछ लोगों ने बताया कि डेरा प्रमुख गुरमीत और उसके कुछ करीबियों के अलावा गुफा में घुसने की किसी को भी इजाजत नहीं थी। खुद को संत कहने वाले 'भगवान के दूत' के यहां एके-४७, विस्फोटकों एवं पटाखों की फैक्टरी का मिलना आखिर क्या दर्शाता है? गौरतलब है कि गुरमीत को महिलाओं से मालिश करवाने की लत थी। इसीलिए वह अपनी मुंहबोली बेटी हनीप्रित को अपने साथ जेल में रखना चाहता था। जेल में गुरमीत के स्वास्थ्य की जांच करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि वह 'सेक्स एडिक्ट' है। इसी वजह से जेल में वह बेचैन रहता है। गुरमीत के एक पूर्व सेवक का दावा है कि गुरमीत नियमित सेक्स टॉनिक लेता था। उसके लिए आस्ट्रेलिया और कई देशों से यौन क्षमता बढाने वाला पेय मंगाया जाता था। इतना ही नहीं कुछ लोगों का यह भी दावा है कि वह सुंदरियों के साथ-साथ सुरा का भी गुलाम था। हजारों अनुयायियों को इसकी जानकारी थी फिर भी उनका गुरमीत से पता नहीं मोहभंग क्यों नहीं हुआ? अपने दुखों को दूर करने और सुकून की चाहत में आश्रमों और डेरों में पहुंचने वाली भीड में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जिन पर बाबाओं को बहुत भरोसा होता है। यह भरोसा काफी जांचने-परखने के बाद बलवती होता है। यह भक्त भी बहती गंगा में हाथ धोने के मौके तलाशते रहते हैं। अपने 'भगवान' के ऊपर जाने या जेल में जाने के बाद यह उनकी धन-सम्पत्ति पर कब्जा करने की साजिशों में लीन हो जाते हैं। एक थे आशुतोष महाराज जिनका २९ जनवरी २०१४ को देहावसान हो गया था। लेकिन उनके कुछ करीबी चालाक भक्तों ने यह प्रचारित कर दिया कि महाराज तो गहरी नींद में लीन हैं। जैसे ही उनकी नींद खुलेगी वे अपने भक्तों के बीच खडे नज़र आएंगे। तीन साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है और महाराज का शव डीप फ्रीजर में रखा हुआ है। अंधभक्त उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब महाराज अपनी चेतना में लौट आएंगे। महाराज का बेटा अपने पिता की देह का अंतिम संस्कार करना चाहता है, लेकिन महाराज के आश्रम पर कब्जा जमा चुके 'दबंग' चेहरे उन्हें इसकी इजाजत देने को तैयार नहीं हैं। महाराज की अरबों-खरबों की जो सम्पत्ति है उस पर भी उन्होंने अपना कब्जा जमा लिया है। आसाराम के जेल में जाने के बाद इंदौर, नागपुर, अहमदाबाद, सूरत आदि शहरों में उनके जो आश्रम थे और धन सम्पत्ति थी उस पर कुछ विश्वस्त भक्तों ने कब्जा जमा लिया है। कई भक्तों ने बडी-बडी इमारतें खडी कर ली हैं और महंगी आलीशान गाडियों में घूमने लगे हैं। इंदौर के एक 'गुटखाछाप' भक्त ने तो बडी 'दबंगता' के साथ देश के विभिन्न महानगरों से एक दैनिक अखबार का प्रकाशन प्रारंभ कर 'दुनिया' को अपना जलवा दिखा दिया है। ऐसे खुशकिस्मत और प्रतिभावान लोग अब यही चाहते हैं कि आसाराम जेल में ही पडा-पडा मर-खप जाए। गुरमीत उर्फ राम रहीम के नजदीकी अनुयायियों की भी नजर उसके डेरों, जमीनों और तमाम धन-दौलत पर है जो उसने लोगों को बेवकूफ बनाकर जुटायी है।

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