Thursday, September 28, 2017

इस हिंसा और बर्बरता के क्या हैं मायने?

क्या जमाना है। कोई कानून तोड रहा हो, माहौल बिगाड रहा हो, बेहूदा हरकतें कर रहा हो, वातावरण को दूषित कर रहा है... तो भी आप उसे रोक नहीं सकते। सामने वाला आपको अपना शत्रु मानने लगता है उसके सिर पर खून सवार हो जाता है। कल दिल्ली में एक वकील सार्वजनिक स्थल पर सिगरेट के धुएं के छल्ले उडा रहा था। उसकी इस हरकत को फोटोग्राफी के दो छात्र देख रहे थे। उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बडी शालीनता के साथ वकील को सरेआम सिगरेट न पीने का अनुरोध किया। छात्र तो सर... सर कर बात कर रहे थे, लेकिन वकील तू... तडाक और गाली-गलौच पर उतर आया। छात्र शालीनता का दामन थाम अपनी बाइक पर सवार होकर जाने लगे तो वकील ने अपनी कार बाइक पर च‹ढा दी। एक छात्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। वकील शराब के नशे में धुत था और सिगरेट के छल्ले बनाकर आने-जाने वाली महिलाओं के मुंह पर मार रहा था। लोग तमाशबीन बने देख रहे थे। किसी ने भी उसे फटकारने की हिम्मत नहीं की। दो सजग छात्रों ने पहल की तो एक छात्र को जान से हाथ धोना पड गया। यह हमारे समाज का वो डरावना चेहरा है जो डराता है और चिंतन-मनन को विवश करता है कि आखिर लोगों में इतना गुस्सा क्यों है और वे कानून से खौफ क्यों नहीं खाते?
मध्यप्रदेश के अशोक नगर में एक पिता ने पत्नी और गांव वालों के तानों से तंग आकर अपनी दो बेटियों को बेतवा पुल के नदी में फेंककर मार डाला। हत्यारे पिता का कहना था कि मुझसे बार-बार कहा जाता था कि तेरी तीन-तीन बेटियां हैं। तेरी पत्नी फिर गर्भवती हो गई है। उस पर तुम कामधंधा तो करते नहीं हो फिर ऐसे में बच्चों की परवरिश कैसे करोगे। उनका पेट कैसे भरोगे...?
कमलेश अहिरवार नामक यह दरिंदा अपनी छह वर्षीय बेटी रक्षा और तीन वर्षीय बेटी पूनम को इलाज के बहाने ले गया और जब दो दिन बाद वह अकेला घर लौटा तो पत्नी ने बेटियों के बारे में पूछा। उसने नजर चुराते हुए बताया कि चौराहे पर सुलाकर कहीं चला गया था। जब वापस आया तो बेटियां वहां से गायब थीं। पत्नी, पति के जवाब को सुनकर हैरत में पड गई। यह कैसा बाप है जिसे अपनी बेटियों का गायब होना किसी मामूली से सामान के गुम हो जाने जैसा लग रहा है! पति चुपचाप कमरे में जाकर चादर ओढकर बेफिक्र सो गया। पत्नी के तो होश ही उड चुके थे। उसने पति को फटकारा और फौरन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने दबाव डालने लगी, लेकिन वह टालमटोल करने लगा। पत्नी ने अपने रिश्तेदारों के साथ जाकर थाने में बेटियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई तो बेटियों की हत्या का यह शर्मनाक, भयावह सच सामने आया। इस तरह से मेरठ में एक जल्लाद बाप ने अपनी दुधमुंही बेटी को गला घोटकर मार डाला और शव को सूखे तालाब में दबाकर बेफिक्र हो गया। हुआ यूं कि राजेश कुमार नामक युवक का अपनी दूसरी पत्नी से झगडा हुआ। पत्नी गुस्से में घर से निकल गई। इसके कुछ मिनटों के बाद बच्ची रोने लगी। राजेश गुस्से में आग बबूला हो गया और उसने अपनी मासूम बच्ची का गला दबाकर मार डाला। गांव के लोग सुबह सैर को निकले तो उनकी नजर सूखे तालाब में मिट्टी हटाकर कुछ नोचने की कोशिश करते कुत्तों पर पडी तो उनका माथा ठनका। कुत्तों को वहां से हटाया गया तभी सात माह की बच्ची का शव नजर आया।
दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में एक शख्स को पडोसी के नाबालिग बेटे को शराब न पीने की नसीहत देना भारी पड गया। वह शख्स जब अपने घर जा रहा था तो रास्ते में उसे अपने पडोसी का लडका अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब पीते नजर आया। उसने पडोसी धर्म निभाते हुए लडके को कहा कि वह अक्सर उसे यहां दोस्तों के साथ शराबखोरी करते देखता है, आज तो वह उसके पिता को उसकी शिकायत करके ही रहेगा। वह नाबालिग फौरन अपने घर गया और पिता को बुला लाया पिता-पुत्र ने रॉड से हमला कर नसीहत देनेवाले शख्स को इतना पीटा कि उसे अस्पताल ले जाना पडा। बडी मुश्किल से उसकी जान बच पायी।
खून के रिश्तों को डसती निष्ठुरता की खबरें हिलाकर रख देती हैं। कुछ महीने पूर्व एक बेटे की बेरहमी की खबर ने काफी सुर्खियां पायी थीं। बेटा विदेश में रहता था और मां अकेली दिल्ली में। उम्रदराज मां के नाम दिल्ली में करोडों की सम्पत्ति थी। इकलौते बेटे के सात समन्दर पार रहने के कारण मां की देखरेख करने वाला कोई नहीं था। एक दिन बेटा विदेश से लौटा। मां को संपूर्ण सम्पत्ति बेचकर अपने साथ विदेश चलने के लिए राजी कर लिया। किसी भी मां के लिए बेटे के साथ से बढकर और कुछ नहीं होता। वह राजीखुशी तैयार हो गई। बेटे ने आनन-फानन में संपत्ति का सौदा कर करोडों रुपये अपनी अटैची में रखे और मां को साथ लेकर हवाई अड्डे पहुंच गया। मां की खुशी का पार नहीं था। अपने बेटे, पोते-पोतियों के साथ शेष जीवन बिताने का उसका वर्षों का सपना पूरा होने जा रहा था। "मां तुम यहां पर बैठों मैं एक जरूरी काम निपटाकर आता हूँ।"  बेटे ने बडी आत्मीयता के साथ मां को आश्वस्त किया और चला गया। घडी की सुई खिसकने लगी। मां राह देखती रही। दोपहर से रात हो गयी, लेकिन बेटे का कोई अता-पता नहीं था। उसने हवाई अड्डे के अधिकारियों को अपनी चिन्ता से अवगत कराया। खोजबीन की गई तो पता चला कि बेटा तो घंटो पहले विदेश फुर्र हो चुका है। अकेली मां रोती-बिलखती रही। यह खबर देश के तमाम अखबारों में छपी। लोगों ने नालायक बेटे को जी-भरकर कोसा। दूसरे दिन की सुबह अपनी ही औलाद के हाथों ठगी गई मां की हार्टअटैक से मौत हो गई।
दिल्ली के निकट स्थित नोएडा में बीते सप्ताह एक और अहसानफरामोश बेटा अपनी उम्रदराज मां को जिला अस्पताल के इमरजेंसी में इलाज के बहाने छोडकर चलता बना। उसने अस्पताल को अपना मोबाइल नंबर भी गलत दिया था। बुजुर्ग मां अपनी गंभीर बीमारी को भूल बार-बार बेटे का नाम लेकर रोती रही। बेटे ने मां को पूरी तैयारी के साथ अस्पताल में लाकर छोडा था। उसने मां के पूरे कपडे और अन्य जरूरी सामान एक बडे अटैची में भरे थे। डॉक्टर ने जब इलाज शुरू किया तो वह दवाई लेने के बहाने से अस्पताल से जो गया कि डॉक्टर भी इंतजार करते रहे और मां के तो रो-रो कर आंसू ही सूख गए।

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