Thursday, March 22, 2018

अदने से शख्स की विराट सीख

कई लोग प्यार की शुरुआत में तो बहुत उत्साहित रहते हैं। उनके हावभाव उनके वफादार होने के संकेत देते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ जब उनकी मनोकामनाएं पूरी नहीं होतीं तो वे प्यार को बरबाद करके रख देते हैं। ऐसा ही कुछ खूबसूरती को लेकर भी है। इसका आकर्षण किसी को भी बहका सकता है, लेकिन बहकने का वो अर्थ नहीं होता जो इन दिनों देखने में आ रहा है। बडे-बडे लोग जब प्यार की परिभाषा में खरे नहीं उतरते तब किसी अदने से इंसान के द्वारा सच्चे प्यार की परिभाषा गढ देना चौंका कर रख देता है। रेशमा के पति उस्मान का भी यही दावा था कि उसे अपनी पत्नी से बेइंतहा प्यार है। उस्मान ऑटो चलाता था। गरीब परिवार में पली-बढी रेशमा उस्मान को एक ही नजर में भा गई थी। वह उसकी बेइंतहा खूबसूरती पर मर मिटा था तभी तो उसने शादी के लिए हां करने में देरी नहीं लगायी थी। शादी के बाद रेशमा का जब पति से सुहाग की सेज पर पहली बार सामना हुआ तो यह बता दिया गया कि उसे बेटे की मां बनना है। उनके परिवार को बेटी नहीं, बेटा ही चाहिए। पति ने यह मान रखा था कि बेटा या बेटी का होना औरत के अपने हाथ में ही होता है। जो औरतें बेटे नहीं पैदा कर पातीं वे किसी काम की नहीं होतीं। बहरहाल, करीब डेढ वर्ष के बाद रेशमा गर्भवती हुई। रेशमा की खूबसूरती पर मर-मिटने वाले उस्मान के अरमान तब ठंडे पड गए जब रेशमा ने बेटी को जन्म दिया। पहली बार तो पति और परिवार वालों ने किसी तरह से खुद को संभाला, लेकिन रेशमा ने जब एक-एक कर पांच बेटियों को जन्म दे दिया तो पति और घर के सभी सदस्य उसके बैरी बन गए। उसे जानवर से भी बदतर माना जाने लगा। बेतहाशा मारपीट की जाने लगी। रेशमा की बडी बेटी तेरह साल की हो चुकी थी। छठवीं बार जब वह गर्भवती हुई तो पति अस्पताल चलकर गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण के लिए जोर डालने लगा, लेकिन रेशमा तैयार नहीं हुई। पति के लिए यह असहनीय बात थी। उसे बडा गुस्सा आया। वह भागते-भागते बाजार गया और तेजाब खरीद लाया। घर वापस लौटने के बाद पहले तो उसने रेशमा के साथ खूब गाली गलौच की फिर उसके पेट पर तेजाब उंडेल दिया जिससे उसका पेट और नाभी के नीचे का हिस्सा बुरी तरह से झुलस गया। निर्दयी पति और उसके परिवार वाले रेशमा को तडपता देखकर आनंदित होते रहे। वह चीखती-बिलखती रही। कुछ पडोसियों को जब खबर लगी तो उसे अस्पताल पहुंचाया गया। रेशमा के साथ हुए जुल्म की दास्तान अखबारों में छपी। लोगों ने ऐसे अत्याचारी पति और परिवार को कोसा और थू-थू की। रेशमा का कई दिनों तक सघन उपचार चलता रहा और उसने छठी बार बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म के बाद रेशमा ने निर्दयी पति के घर जाने से साफ इनकार कर दिया। आज वह ३५ वर्ष की हो चुकी है। उसे जो जख्म दिये गए हैं वे तो कभी भी नहीं भर सकते। उसे तो पुरुष और शादी के नाम से भय लगने लगा है। उसने कसम खायी है कि वह अपनी पांचों बेटियों और बेटे की परवरिश के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएगी। अपना खून पसीना बहाकर उनका भविष्य संवारेगी। रेशमा की खूबसूरती आज भी पुरुषों को अपनी तरफ आकर्षित करती है, लेकिन अब वह किसी के झांसे में नहीं आना चाहती।
खूबसूरत चेहरे के दिवाने एक मनचले के तेजाबी दंश झेलने वाली लक्ष्मी को आज भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि जो लोग किसी के चेहरे को पसंद करते हैं उसके इनकार को बर्दाश्त क्यों नहीं कर पाते! यह कहां का प्यार है जो एकतरफा राह पर दौडता है और जो मेरी नहीं हुई उसे किसी और की नहीं होने देने के लिए तेजाब से नहला दिया जाता है। लक्ष्मी का कहना है कि दुनिया वैसी ही है जैसे पहले थी। कुछ भी नहीं बदला है। अब तो मैंने देखने का नजरिया ही बदल दिया है।
बडे-बडे लोग भी खूबसूरती को लेकर ओछे और शर्मनाक बयान देने से बाज नहीं आते। कर्नाटक के पूर्व डीजीपी एच.पी. सांगलियान ने कहीं पर निर्भया की मां को देख लिया। वही निर्भया जिसके साथ देश की राजधानी में चलती बस में सामूहिक बलात्कार कर मरने के लिए सडक पर फेंक दिया गया था। अधिकारी ने मर्दाने अंदाज में कहा कि निर्भया के मां की खूबसूरती को देखकर ही अंदाजा हो जाता है कि निर्भया कितनी हसीन रही होगी। यानी ऐसी खूबसूरती पर तो किसी का भी दिल मचल सकता है। खूबसूरत थी तभी तो बदमाशों की निगाह में आ गई और दुराचार की शिकार हो गई।
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री ने भी खूबसूरती को अपने अंदाज से निशाने पर लिया। हुआ यूं कि मंत्री के विधायकों की बैठक से बाहर आने के दौरान महिला रिपोर्टर ने मीटिंग में लिये गए फैसलों की जानकारी मांगी तो मंत्री ने कोई जवाब देने की बजाय कहा, आप बहुत अच्छी लग रही हैं। अगले दो सवालों पर भी मंत्री ने रिपोर्टर का मुंह बंद करने की कोशिश की : आपका चश्मा आपकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहा है। मंत्री महिला पत्रकार से खुलकर तो कह नहीं सकते कि तुम पहले खुद को संभालो। तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम जैसी हसीन युवतियों को फांसने के लिए शिकारी जहां-तहां घूमते रहते हैं। देश में दिन-रात न जाने कितनी खूबसूरत युवतियां बलात्कार का शिकार होती रहती हैं। इसलिए मेरा कहा मानो... यह पत्रकारिता और सवाल पूछना छोड घर में जाकर बैठ जाओ। तुम सिर्फ वहीं सुरक्षित रहोगी।
२४ फरवरी २०१८ को खूबसूरत अभिनेत्री श्रीदेवी की दुबई में मृत्यु हो गई। श्रीदेवी के जीवंत अभिनय और बेमिसाल खूबसूरती के करोडों चाहने वालों में एक हैं गांव तकिया के रहने वाले गंगाराम। गंगाराम दिन-रात श्रीदेवी की फिल्मों के गाने सुनते और उनकी कोई भी फिल्म देखना नहीं भुलते थे। कुछ फिल्में तो उन्होंने दस-दस बार भी देखीं। उन्होंने श्रीदेवी को अपनी जीवन संगिनी बनाने का सपना देखा था जिसके पूरे होने का सवाल ही नहीं उठता था। फिर भी वे श्रीदेवी की दिवानगी से कभी मुक्त नहीं हो पाए। श्रीदेवी की मौत की खबर सुनते ही गंगाराम गहरे सदमे में डूब गए और खुद को घर के कमरे में कैद कर लिया। श्रीदेवी के अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने अपना सर मुंडवाया और तस्वीर के सामने पुतला बनाकर जल अर्पित करने के साथ अगरबत्ती और फूलों से उनका पूजन किया। ध्यान रहे कि आमतौर पर मृतक की आत्मा की शांति के लिए मृतक के परिजन ही यह संस्कार करते हैं। गंगाराम श्रीदेवी को अपनी जान से ज्यादा चाहते थे। तभी तो उन्होंने सर्वप्रिय अभिनेत्री के नाम से १०१ आम के पेडों का बगीचा लगाने के साथ-साथ प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया है ताकि रोज उनकी पूजा कर सकें। सच्चे प्यार और समर्पण की बेमिसाल परिभाषा पेश करने वाले गंगाराम एक कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं।

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