Friday, October 12, 2018

नकाब नोचने की पहल

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। भारत ही दुनिया का एकमात्र देश है जहां नारी को पूजा जाता है। नारी के बिना पुरुष अधूरा है। यदि पुरुषों को नारियों का साथ नहीं मिलता तो वे सफलता के कीर्तिमान बनाने के लिए तरसते रह जाते। जुल्म करने वाले से कहीं ज्यादा दोषी होता है जुल्म सहने वाला। इस इक्कीसवीं सदी में नर और नारी एक समान हैं। नारियों को पुरुषों से डरने की कोई जरूरत नहीं। कोई भी पुरुष यदि उन पर अत्याचार करता है तो उन्हें उसके होश ठिकाने लगाने में देरी नहीं करनी चाहिए। चुप्पी से बहुत खतरनाक नतीजें निकलते हैं। दुष्कर्मियों का सच सामने नहीं आने से उनके हौसले बढते चले जाते हैं। इस काम में हर किसी को साथ देना चाहिए। ऐसी और भी कई बडी-बडी बातें जो सुनने और कहने में कितनी अच्छी लगती हैं, लेकिन हकीकत? सडकों, चौराहों, अस्पतालों, स्कूलों, महाविद्यालयों, अखबारों, न्यूज चैनलों के कार्यालयों, राजनीति, फिल्मी क्षेत्रों और बडे-बडे विभिन्न संस्थानों में स्त्रियों की इज्जत पर खतरा हमेशा मंडराता रहता है। प्रवचनकार, फिल्म स्टार, राजनेता, वकील यहां तक कि कुछ जज आदि भी महिलाओं पर टूट पडने को आतुर रहते हैं और बडी-बडी बातें करने वाले तमाशबीन बने रहते हैं।
पिछले दिनों फिल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने यह कहकर खलबली मचा दी कि दस वर्ष पूर्व एक फिल्म की शूटिंग  के दौरान उसका यौन उत्पीडन किया गया। तब भी उसने इस कुकृत्य का खुलकर विरोध किया था, लेकिन अभिनेता के रसूख के चलते उसकी किसी ने नहीं सुनी और अधिकांश लोगों ने यौन उत्पीडक अभिनेता का साथ दिया था। अभिनेत्री ने दस वर्ष बाद फिर से जैसे ही मुंह खोला तो कुछ और अभिनेत्रियों ने भी अपना दर्द बयां करना प्रारंभ कर दिया। तनुश्री के दस वर्ष बाद आरोपों की झडी लगाने से कई लोगों ने सवाल भी उठाए कि अभिनेत्री ने इतने वर्षों तक चुप्पी क्यों साधे रखी। कहीं न कहीं कोई गडबड तो है। अभिनेत्री तनुश्री की कहानी को पंख लगाये मीडिया ने जो दस वर्ष पूर्व उतना तेज नहीं था जब फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने कथित तौर पर उसके साथ छेडछाड की थी। नाना पाटेकर जहां अपने उग्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, वहीं किसानों के प्रति उनकी हमदर्दी ने उन्हें एक नेक इन्सान की ख्याति दिलवायी है। प्राकृतिक आपदा और कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले कई किसानों के परिवारों की आर्थिक सहायता करने वाले नाना पर अभिनेत्री के द्वारा बेखौफ होकर आरोप लगाने के बाद कुछ लोग अभिनेत्री के पक्ष में खडे नजर आए तो अधिकांश की यही प्रतिक्रिया आई कि ऐसा परोपकारी शख्स किसी महिला की इज्जत के साथ खिलवाड नहीं कर सकता। तनुश्री प्रचार की भूखी है इसलिए यह नाटक कर रही है।
सच तो यह है कि तनुश्री ने चोट खायी महिलाओं को चुप्पी तोडने और पापियों के नकाब को नोचने के लिए बिगुल फूंका है। फिल्म निर्माता महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट, जो कभी फिल्मी दुनिया का जाना-माना नाम थी, की भोगी हुई पीडा अधिकांश भारतीयों की मानसिकता की सच्ची तस्वीर पेश कर देती है- 'मैं एक शराबी के साथ रिलेशनशिप में थी। वो मुझे बेतहाशा मारता-पीटता था। मैंने जब अपना दर्द लोगों के समक्ष उजागर किया तो मुझे ही सवालों के कटघरे में खडा कर दिया गया। सच तो यह है कि जब भी महिलाएं अपने साथ होने वाली बेइन्साफी पर मुंह खोलती हैं तो लोग उसे ही शंका की निगाह से देखने लगते हैं। तनुश्री का मामला भी काफी गंभीर है। इसकी सघन जांच होनी चाहिए, लेकिन सवाल यह भी है कि जांच करेगा कौन? माना कि नाना पाटेकर जनसेवा करते हैं इसका मतलब यह तो नहीं कि तनुश्री की आवाज दबा दी जाए। कोई भी नारी बेवजह किसी पर इस तरह से आरोप नहीं लगाती। कभी पत्रकारिता में अपने नाम का परचम लहराने वाले एम.जे. अकबर जो वर्तमान में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री हैं, उनपर भी एक महिला पत्रकार ने आरोप जडा है कि वे हद दर्जे के अय्याश हैं। खूबसूरत महिलाओं को देखते ही अनियंत्रित हो जाते हैं। वह भी उनकी गलत हरकत का शिकार हो चुकी है। यह अकबर ही थे जिन्होंने महिला पत्रकार को शराब पीने और बिस्तर पर चिपक कर बैठने के लिए विवश किया था। वैसे तो अकबर बहुत शालीन किस्म के शख्स दिखते हैं, लेकिन वे अश्लील फोन कॉल्स, मैसेज और असहज टिप्पणियां करने में पारंगत हैं। एक अन्य शुभा राव नाम की महिला ने रहस्योद्घाटन किया है कि वे नौकरी के लिए साक्षात्कार देने गर्इं थीं, जहां पर एम.जे. अकबर ने उसके साथ बहुत गंदी हरकत की।
फिल्मों में नेक प्रेमी, पिता और भाई की भूमिका निभाने वाले आलोक नाथ पर भी विनीत नंदा नामक महिला ने बीस वर्ष पूर्व बलात्कार करने का आरोप लगाकर सफेदपोशों के छिपे सच को उजागर करने का साहस दिखाया है जिसे बहुतेरी स्त्रियां लोकलाज के चलते दबा-छुपा लेती हैं। मेरे प्रिय पाठक मित्रों को याद दिलाना चाहता हूं कि कुछ वर्ष पूर्व इसी फिल्मी नगरी के एक तेजी से उभरते अभिनेता शाइनी आहूजा पर उसकी घरेलू नौकरानी ने बलात्कार का आरोप लगाया था। देशभर के न्यूज चैनलों ने इस खबर को सात-आठ दिन तक घसीटा था। आहूजा की गिरफ्तारी के बाद अदालत ने भी अभिनेता को दोषी करार देकर क‹डी सजा सुनायी थी। आहूजा की इस शर्मनाक कारस्तानी की लगभग हर फिल्म वाले ने भत्र्सना की थी और लगभग हर फिल्म अभिनेत्री ने उसके साथ काम करने से इनकार कर दिया था। एक बात और भी गौर करने लायक है कि तब भी यह कहने वालों की कमी नहीं थी कि अभिनेता को फंसाया गया है। नौकरानी को मोहरा बनाकर अभिनेता के भविष्य को तबाह करने की साजिश की गई है। नौकरानी पर धन के लालच में बलात्कार की कहानी गढने के भी आरोप लगे थे। इसके बाद चार-पांच फिल्मों में लीड रोल कर चुके शाइनी आहूजा को नई फिल्में मिलनी ही बंद हो गई थीं। शरीफ लोग उसकी परछाई से भी नफरत करने लगे थे। अभिनेता का यह बयान भी आया था कि सारा खेल आपसी रजामंदी का था।
यह हमारे यहां का दस्तूर है कि 'ऊंचे लोगों' को चरित्रवान होने का प्रमाणपत्र देने में जरा भी देरी नहीं की जाती। यदि कोई आम आदमी जब ऐसे शर्मनाक कृत्य करता है तो भीड भी उसे सबक सिखाने का ठेका ले लेती है। इसी भीड को नामी-गिरामी हस्तियों के समक्ष नतमस्तक होने की लाइलाज बीमारी लगी हुई है। इस भीड में वो चेहरे भी शामिल हैं जो तब मूकदर्शक बन जाते हैं जब उनसे दहाडने की अपेक्षा की जाती है।
वतन के मीडिया, कानून और अदालतों के कारण भी अच्छे भले इन्सान ताउम्र असमंजस का शिकार रहते हैं। उनका आखिर तक असली सच से साक्षात्कार नहीं हो पाता। अपने खोजी टीवी कार्यक्रमों के जरिए कई अपराधियों को पुलिस की गिरफ्त में लाने वाले न्यूज एंकर सुहैब इलयासी को सन २००० में अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अखबारों और न्यूज चैनल वालों ने उसे पत्नी का हत्यारा घोषित कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने भी २०१७ में सुहैब को उम्र कैद देते हुए कहा था कि उसने न सिर्फ अपनी पत्नी अंजू की हत्या की बल्कि उसे आत्महत्या दिखाने की भी कोशिश की। कई वर्षों तक जेल की सींखचों में कैद रहे सुहैब का बस यही कहना था कि वह हत्यारा नहीं है। उसकी पत्नी ने आत्महत्या की है। पूरे सत्रह वर्ष तक मामला घिसटता रहा और अभी हाल ही में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए इलयासी को पत्नी की हत्या के जुर्म से बरी कर दिया है। जब यह फैसला सुनाया गया तब भी सुहैब जेल में था।

No comments:

Post a Comment