Thursday, March 7, 2019

पराक्रम के सबूत?

देश की वायुसेना ने धूर्त पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमले करके उसकी औकात बता दी। पाकिस्तान की सियासत में हडकंप मच गया। पुलवामा का बदला मांग रहे हर भारतवासी का चेहरा खिल उठा। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों ने कहा कि, "शहादत का बदला लेकर सेना ने उन्हें बेइंतहा खुशी दी है।" हमारा प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि पाकिस्तान के होश ठिकाने लगाने के लिए और बडी कार्रवाई करें। चंदौली के शहीद अवधेश यादव की कैंसर पीडित मां मालती देवी के शब्द थे, "जवान बेटे को खोने का दुख सबसे बडा दर्द होता है। मोदी सरकार ने पाकिस्तान की धज्जियां उडाकर मेरे कलेजे को थोडी राहत दी है। अब मैं चैन से मर सकूंगी।" शहीद जवान एच. गुरू की पत्नी कलावती ने भारतीय सैन्य बलों को सलाम करते हुए कहा कि, "यह कार्रवाई शहीद जवानों की आत्मा को शांति देगी। हमें भारतीय सैन्य बलों पर गर्व है।"
आतंकियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के बाद विपक्षी नेताओं ने पहले तो यही ऐलान किया कि हम सरकार और सेना के साथ हैं, लेकिन फिर धीरे-धीरे उनके सुर बदलते चले गये। दरअसल इस परिवर्तन के कई कारण भी थे। एयर स्ट्राइक के बाद संपूर्ण देश में जो माहौल बना उससे राजनीतिक दलों को लगा कि अब तो नरेंद्र मोदी बाजी मार ले जाएंगे। इसलिए २०१६ में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जिस तरह की राजनीति हुई थी और सवालों के तीर दागे गये थे, वैसा ही सिलसिला इस बार भी शुरू होने में देरी नहीं लगी। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि जो बात सेना को नहीं मालूम वह बात अमित शाह को किस प्रकार मालूम पडी। हम जानना चाहते हैं कि उन्होंने २५० लोगों की लाशें कब गिनीं। कभी भारतीय जनता पार्टी में रहकर कांग्रेस की धज्जियां उडाने वाले वर्तमान कांग्रेसी नवजोत सिंह सिद्धू ने तो यह कहकर नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खडा कर दिया, "तीन सौ आतंकी मारे गए, हाँ या ना? तो फिर मकसद क्या था? आप आतंकी मारने गए थे या पेड गिराने? क्या यह चुनावी नौटंकी थी? विदेशी दुश्मन से लडाई की आड में हमारे साथ धोखा हो रहा है। सेना पर सियासत बंद करो। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस सवाल के साथ अपना तीर दागा, "विदेशी मीडिया में आतंकियों के मरने की, कोई खबर क्यों नहीं है। तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा दहाडीं कि हमें सशस्त्र बलों पर पूरा भरोसा है, लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर कतई नहीं जो सैनिकों को बिना किसी योजना के मरने के लिए या किसी उद्देश्य के लिए भेज रहे हैं। दरअसल, इनका एक मात्र ध्येय बस चुनाव जीतना है। इन्होंने शहीद जवानों की बेशकीमती तस्वीरों को अपनी राजनीतिक रैली में टांग कर बेशर्मी के साथ उनका कद छोटा कर दिया।
भाजपा वालों ने भी अपनी पीठ थपथपाने और श्रेय लेने में कम उतावलापन नहीं दिखाया। सेना के पराक्रम का जयघोष करने के बजाय अपना ही बिगुल बजाते हुए विपक्षियों पर हमले करने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे जोशो-खरोश के साथ राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट के पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया तब उन्होंने शहीदों की आड में सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को निशाना बनाया। होना तो यह चाहिए था कि वे केवल शहीदों को नमन, श्रद्धांजलि अर्पित करते, लेकिन उन्होंने तो बोफोर्स तोप सौदे से लेकर उन तमाम हथियार सौदों को लेकर कांग्रेस पर हमले किये जो कांग्रेस राज में हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि सीमा पर लड रहे जवानों के पास हथियार तक नहीं थे। इसके लिए उनकी सरकार ने ही पहल की। कर्नाटक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने तो छाती तानकर भविष्यवाणी कर दी कि, "वायुसेना की कार्रवाई के बाद देश में भाजपा के पक्ष में जो माहौल बना है उससे मेरा दावा है कि कर्नाटक में भाजपा लोकसभा की २२ सीटें जीत जाएगी।"
सत्ता और विपक्ष की राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे। इसी बीच एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ को सामने आकर कहना पडा, "वायुसेना लाशें नहीं गिनती। हमारा काम सिर्फ यह देखना है कि बम निशाने पर गिरा या नहीं। वायुसेना टारगेट पर बम गिराने की योजना बनाती है तो वहां बम गिराती भी है। अगर नुकसान नहीं होता तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई क्यों करता?"
पाकिस्तान के खैबर पख्तून में जिस बालाकोट को वायुसेना ने मटियामेट किया वहां पर तीन से चार मंजिला ऊंची इमारतो की शक्ल में छह बैरक बनी थीं, जहां पर भारत पर हमला करने के नापाक मंसूबे लिए सैकडों जिहादी आतंकी ट्रेनिंग लेते थे। वहां पर ढेर सारे हथियारों का जखीरा भरा पडा था। पुलवामा हमले के सूत्रधार जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बडे ट्रेनिंग सेंटर में आतंक के बाकायदा कोर्स बनाए गए थे। यहां आमतौर पर एक साथ २०० आतंकवादी और उनके ट्रेनर होते थे। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने एलओसी पर स्थित टेरेरिस्ट लॉन्च पैड से बडी संख्या में आतंकियो को यहां शिफ्ट कर दिया था जिससे यह संख्या ३०० से अधिक हो गई थी। इंटेलिजेंस एजेंसियों की इस पुख्ता जानकारी के बाद एक बार में कई आतंकियों का सफाया करने के लिए भारतीय वायुसेना ने बालकोट को चुना। वायुसेना की इस कार्रवाई में न तो पाकिस्तान के रिहाइशी इलाकों में बम बरसाये गये और न ही सैनिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। भारत ने यह संदेश भी दे दिया है कि पाकिस्तान ने यदि फिर कभी पुलवामा जैसी कमीनगी करने की जुर्रत की तो हम और भी ज्यादा आक्रामक कदम उठा सकते हैं।

No comments:

Post a Comment