Thursday, February 18, 2021

नारी से नरमी!

    रोज़ छापे पड रहे हैं। होटलों में, फार्महाऊसों में, झोपड़ियों में और आलीशान फ्लैटों में। नई, पुरानी लडकियां और आंटियां पकडी जा रही हैं। पुलिस भी परेशान है कि इतनी पकडा-धकडी के बाद भी देह का कारोबार कम नहीं हो रहा, बढता ही चला जा रहा है। कल इज्ज़त नगर में स्थित ब्यूटी पार्लर में पुलिस ने छापा डालकर पांच लडकियों को रंगे हाथ पकडा था और आज शहर के राम मार्ग में स्थित सती-सावित्री नामक बिल्डिंग के एक फ्लैट में ऑनलाइन चल रहा देह व्यापार का हाई प्रोफाइल अड्डा पुलिस के हाथ लगा है। क्राइम ब्रांच ने इस देह के ठिकाने पर बडे ही नियोजित तरीके से जाल बिछाकर दो दलालों के चंगुल से तीन युवतियों को 'मुक्त' करवाने में सफलता पायी है।
    पुलिस ने सेक्स रैकेट का पुख्ता पर्दाफाश करने के लिए नकली ग्राहक को भेजा। देह सुख देने के ऐवज में सात हजार रुपये में सौदा पक्का हो गया। युवती जब निर्वस्त्र होकर ग्राहक के साथ कमरे में हमबिस्तर होने की तैयारी में थी तभी छापा मारा गया। तीनों युवतियां हरियाणा के शहर फरीदाबाद की हैं। गिरोह के संचालक ने इंटरनेट पर नौकरी का विज्ञापन दिया था। इसी विज्ञापन को देख, पढकर युवतियों ने संचालक से संपर्क किया। उन्हें हर माह एक लाख रुपये नगद देने के साथ-साथ और भी कई 'राजसी सुविधाएं' देने का आश्वासन दिया गया था। आज जब पांच-सात हजार की नौकरी आसानी से नहीं मिलती तब युवतियों के लिए तो यह छप्परफाड धन कमाने का मौका था। इसलिए वे फौरन दौडी-दौडी चली आईं। सेक्स रैकेट चलाने वाले उन्हें ग्राहकों के पास भेजने लगे। देह सुख पाने के लिए बिल्डर, भूमाफिया, सोने-चांदी तथा कपडा कारोबारी, ऊपरी कमायी करने वाले सरकारी अधिकारी यानी हर किस्म के मालदार अय्याश उनके किराये के फ्लैट में आने लगे। शराब, कबाब के साथ शबाब की महफिलें सजने लगीं। हर युवती को प्रतिदिन पांच, छह वासना के खिलाड़ियों को संतुष्ट करना पडता था।
आपसी रजामंदी का यह धंधा बडे आराम से चल रहा था। इसी बीच किसी ने पुलिस को खबर कर दी कि फ्लैट को देह व्यापार का हाई प्रोफाइल अड्डा बना दिया गया है, जो दिन-रात गुलजार रहता है। पुलिस के छापे के दौरान दो नाबालिग लडके भी पकड में आये। जिन अय्याशों की रिश्वत देने की हैसियत थी उन्हें बाइज्जत घर जाने दिया गया। जो नहीं दे पाये, या उस समय देने की स्थिति में नहीं थे, उन्हें ठोका-पीटा गया। घण्टों जेल में सडाया गया। रिहायशी इलाके में देह का धंधा किये जाने की खबर अखबारों में छपी, जिसमें पकडी गयी युवतियों को हमेशा की तरह 'पीडता' बताया गया। इन पीड़िताओं को महिला सुधार गृह भी भेज दिया गया। पीड़िता का शाब्दिक अर्थ है, जिसने पीडा झेली हो, जिसे पीडा पहुंचायी गई हो, लेकिन यह पीड़िताएं तो खुशी-खुशी धन के लालच में जिस्मफरोशी के धंधे में शामिल थीं फिर वे 'पीडता' कैसे हो गयीं? लाचार और बेसहारा कैसे हो ईं? ऐसी कॉलगर्ल और वेश्याओं के लिए इस 'दया सूचक' शब्द का इस्तेमाल किया जाना अपनी तो समझ से बाहर है! वासना के भूखे मर्दों की प्यास बुझाने के लिए एक लाख रुपया महीना वसूलने वाली युवतियां न तो भोली हो सकती हैं, न ही किसी दबाव में। उन्होंने तो यह पेशा अपनी मर्जी से चुना है। उन पर किसी ने बलात्कार नहीं किया। कोई जुल्म भी नहीं ढाया! कुछ हफ्ते, कुछ दिन सुधारगृह में रहने के बाद ये फिर से अपने धंधे में सक्रिय हो जाएंगी। ये ऐसा ही करती हैं। जब ये ढल जाती हैं, थक जाती हैं तो खुद अपना अड्डा चलाने लगती हैं। नई-नई लडकियों पर आसानी से धन बनाने के काम में शामिल होने के लालच के जाल फेेंकने लगती हैं। इन्हीं के बदौलत देह व्यापार सतत चलता रहता है। इनके अतीत का इतिहास यही बताता है। इनकी सुधरने की नीयत ही नहीं। यह और इन जैसी युवतियां बार-बार पकडी जाती हैं। पुलिस वाले इनके नाम और चेहरों को अच्छी तरह से जानने-पहचानने लगते हैं। अखबारों में भी इनके तथा गिरोहों के सरगनाओं के नाम बार-बार छप-छप कर आम होते रहते हैं।
    पुरानी 'पीड़िताओं' के चमक-दमक वाले जलवों को देखकर नयी-नयी लडकियां भी पुरुषों को अपने मधुर जाल में फांस कर अपना मकसद पूरा कर रही हैं। पुणे की रहने वाली २७ वर्षीय सायली एक निजी कंपनी में अच्छी-खासी पगार पर नौकरी कर रही थी। कोरोना के अवतरित होने के बाद लगे लॉकडाउन में उसकी नौकरी छंटनी में छिन गयी। कुछ दिन तक तो बैंक में जमा धन से गुजारा चलता रहा। जब बैंक बैलेंस जीरो के आसपास पहुंचता दिखायी दिया तो वह घबरा उठी। घर में बूढी मां थी, जो वर्षों से बिस्तर पर थी। उन्हें नियमित दवाएं देनी पडती थीं। समस्या तो थी, लेकिन ऐसी परेशानियां किसके साथ नहीं होतीं। सायली नयी नौकरी पाने या कोई खून-पसीना बहाने वाला कामधंधा करने की बजाय हनीट्रैप के जरिए युवकों को फांसने लगी। इसके लिए रामबाण की तरह उसके काम आया सोशल मीडिया का मंच, जो आजकल आपराधिक प्रवृत्ति के शातिर दिमागों के लिए मोटी कमायी का जरिया बना हुआ है। सायली ने डेटिंग ऐप्प और फेसबुक के ज़रिये अय्याश किस्म के व्यापारियों और नौकरीपेशा युवकों और पुरुषों को फांसकर खूब चांदी काटी। अपनी कातिल अदाओं का जाल फेंक कर किसी को होटल के कमरे में तो किसी को अपने ही फ्लैट में निमंत्रित करती और उसका स्वागत ऐसे शीतपेय से करती, जिसमें बेहोशी की दवा या नींद की गोलियां मिली होतीं। बिस्तर पर मिलते-मिलाते जब शिकार अपनी सुधबुध खो देता और वह उसके कपडे उतार कर अश्लील तस्वीरे व वीडियो बनाती। शातिर युवती शिकार की जेब में उस समय जो भी धन रहता उसे फौरन समेट लेती। उसके गले की चेन और अंगूठी आदि को भी नहीं छोडती। बाद में भी ब्लैकमेल कर रुपये वसूलती रहती। मात्र आठ महीने में उसने लगभग बीस पुरुषों को अपने जाल में फंसा कर अपनी वर्तमान की सभी आर्थिक परेशानियां दूर करने के साथ-साथ भविष्य की खुशहाली का अच्छा-खासा इंतजाम कर लिया। भोली-भाली दिखने वाली इस युवती ने महिलाओं को भी नहीं बख्शा। वह उनसे भी फेसबुक पर दोस्ती कर उनसे सेक्सी बातें करती थी तथा उन्हें अपनी अर्धनग्न तस्वीरें तथा वीडियो शेयर कर उन्हें भी अपनी फोटो तथा वीडियो क्लिप बनाकर भेजने के लिए बार-बार उकसाती थी। बाद में उनकी तस्वीरों और वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी देकर पैसे वसूलती थी।
    प्यार के मायावी जाल में फांसकर ठगने, लूटने का यह रंगीन अपराध करने वाली युवतियों का चेहरा-मोहरा देखकर यह अंदाज लगाना मुश्किल है कि ये ऐसा संगीन अपराध भी कर सकती हैं। खूबसूरती, चालाकी और पुरुषों की आदिम कमजोरी की समझ इनका सबसे बडा हथियार है। इस जहरीले धारदार हथियार से कई कत्ल करने के बाद भी ये युवतियां चाहती हैं कि उन्हें अबोध और बेकसूर माना जाए। वे तो हालात की मारी हैं इसलिए उनके साथ नरमी बरती जाए। उन्होंने तो यह काम किसी मजबूरी के चलते मजबूरन करना पडा है...!

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