Thursday, October 21, 2021

क्या इन्हें हार पहनाएं?

    उनका कहना है कि ‘सकारात्मक’ खबरें छापो। नकारात्मक खबरें पाठकों को बेचैन कर देती हैं। उनकी मानसिक सेहत पर बुरा असर डालती हैं। वे चिंता और भय से ग्रस्त हो जाते हैं। किसी अबोध बच्ची पर बलात्कार की खबर पढ़ते ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। उनके सामने अपनी बेटी का चेहरा घूमने लगता है। उसकी सलामती के लिए दुआएं मांगने लगते हैं। उन्हें आतंकवादियों, हत्यारों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाना भी अच्छा नहीं लगता। यह लोग बुद्धिजीवी हैं। इनकी बुद्धि रॉकेट से भी तेज दौड़ती है। अपनी इसी बुद्धि के दम पर तरह-तरह के गुल खिलाते चले आ रहे हैं। फांसी के खिलाफ यह जागरुकता लाना चाहते हैं। इन्हें अफजल गुरू और कसाब को फांसी के फंदे पर लटकाया जाना घोर राक्षसी कृत्य लगा था। इन्होंने याकूब को फांसी की सज़ा सुनाये जाने पर सड़कों पर जुलूस निकाले थे। ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाये थे। इनकी जुबान ने सरकार, कानून और अदालत के खिलाफ ज़हर उगला था। इनके हिसाब से याकूब को फांसी की सजा सुनाकर घोर अन्याय किया गया था। इंसानियत की गर्दन काट कर रख दी गई थी। उससे सहानुभूति दर्शाने वालों ने आधी रात को न्यायालय पर दस्तक देने की पहल की थी और देश की महानतम अदालत ने अपने दरवाजे खोलकर देशद्रोही, हत्यारे के पक्ष में रखे गये एक-एक शब्द को बड़े ध्यान से सुना और समझा था। भारत माता के सीने को छलनी करने वाले माफिया सरगना खूंखार हत्यारे दाऊद इब्राहिम के साथी याकूब के पक्ष में ताल ठोकने वालों ने बार-बार यह हल्ला मचाया था कि उसे मुसलमान होने की सज़ा मिल रही है। कोई हिंदू होता तो माफ कर दिया जाता।
    12 मार्च, 1993 के उस दिन को आप भी नहीं भूले होंगे, जब मुंबई में बम ब्लास्ट कर 257 निर्दोषों की जान तथा 700 से अधिक लोगों को बुरी तरह से लहूलुहान कर घायल कर दिया गया था। इन घायलों में कुछ इलाज के दौरान चल बसे थे तो कई जिन्दगी भर के लिए अपंग होकर रह गये। एक दर्जन से अधिक जगहों पर बम-बारूद बिछाकर पूरे देश को दहलाने वाले इस खूनी कांड की साजिश में याकूब अब्दुल रजाक मेमन प्रमुखता से शामिल था। पंद्रह वर्ष तक चले मुकदमे में इस नृशंस हत्यारे, राष्ट्र द्रोही को फांसी की सज़ा सुनायी गई थी। जिसे रुकवाने के लिए देश के कुछ नामी वकील, समाजसेवी, नेता, साहित्यकार घायल शेर की तरह पिल पड़े थे। मेमन के यह खास रिश्तेदार बमों से मार दिये गये मृतकों के परिवारों से मिलने का समय नहीं निकाल पाये। घायलों से भी इन शैतानों ने मिलना और उनका हालचाल जानना जरूरी नहीं समझा। इन लुच्चों और टुच्चों को 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के सरगना मोहम्मद अफजल गुरू को 2013 में फांसी पर लटकाये जाने पर भी कानून और सरकार पर बड़ा गुस्सा आया था।
    हाल ही में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज में रेव-ड्रग्स पार्टी की मौज-मस्ती में तरबतर नशेड़ियों को पकड़ा तो हिंदू-मुसलमान के गीत गाने वाले चिरपरिचित हंगामेबाज अपनी औकात दिखाना नहीं भूले। नशे में झूमती रईसों की बिगड़ी औलादों में खरबपति फिल्मी कलाकार शाहरुख खान का पुराना नशेड़ी बेटा आर्यन खान भी शामिल था। एनसीबी के अधिकारियों ने पूरी खोज-खबर लेने के बाद नशे की रंगीन पार्टी पर छापेमारी की थी। उनका हिंदू-मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं था। समंदर के अंदर नशे में डगमगाते क्रूज में दबोचे गये चेहरों में हर धर्म के नशेबाज थे। एनसीबी की इस प्रेरक कार्रवाई की हर समझदार भारतवासी ने जी खोलकर तारीफ की, लेकिन इन दूरबीनधारियों को बस आर्यन खान के पकड़े जाने के गम ने गमगीन कर दिया। हाय! फिर एक मुसलमान के साथ घोर अन्याय कर डाला कानून और सरकार ने!! नशे के दलदल में धंसे या धंसने जा रहे अन्य धर्म के युवक-युवतियों से सहानुभूति दिखाने और उनका नाम लेने से ये ऐसे बचते रहे, जैसे वे तो लावारिसों की औलादें हों और आर्यन खान से कोई पुरानी अटूट रिश्तेदारी हो। खास धर्म का तबला बजाने वाले यह कहने से भी नहीं चूके कि एक बच्चे के साथ बड़ी बेइंसाफी हुई है। उसका मासूम खूबसूरत चेहरा उसके बेकसूर होने की गवाही दे रहा है। एनसीबी के निष्ठुर अधिकारी भेदभाव के रास्ते के राही हैं। पकड़ना भी था तो किसी मुस्टंडे को पकड़ते, जो सारी दुनिया देख चुका होता। इस अबोध बच्चे ने अभी देखा ही क्या है! नशा ही तो करता है। कोई कत्ल तो नहीं किया। सच तो यह है कि इस तेईस साल के मासूम बच्चे की देखा-देखी पता नहीं कितने और बच्चे ड्रग्स की जहरीली बोतल में बंद होकर रह गये होंगे इसकी भी तो कल्पना और चिंता की जाए। यह भी सच्चे मन से सोचा जाए कि इनकी इस लत ने न जाने कितना धन ड्रग माफियाओं की तिजोरी में भरा होगा। ड्रग माफिया और आतंकवादी एक दूसरे के प्रतिरूप हैं। देश की युवा पीढ़ी को नशे के दलदल में धकेल कर ये जो धन पाते हैं उसी से तबाही के बम-बारूद खरीदे जाते हैं और याकूब मेमन, अफजल गुरू, कसाब आदि-आदि भारत माता को बार-बार लहूलुहान करने की हिम्मत पाते हैं। हिन्दुस्तान में सर्वज्ञात और छिपे हुए गद्दारों की कमी नहीं है। यह बहुरुपिये राष्ट्र के दुश्मनों का साथ देकर देशद्रोह भी करते हैं और मौका और मौसम देखकर गांधी जयंती पर चरखा कातने भी बैठ जाते हैं। अहिंसा के पुजारी बापू के नाम पर बट्टा लगाने वालों को आप बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं, जो खूंखार आतंकवादियों का अकसर साथ देते नज़र आते हैं। नक्सली तो इनके दिल में बसे हैं। आतंकवादियों के लिए आंसू बहाने और उनके लिए खाद-पानी का इंतजाम करने वालों को जेल नहीं तो कहां भेजा जाए? जेल की हवा ने आर्यन खान की अक्ल ठिकाने लगा दी। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों के समक्ष अपने गुनाह को कबूल करते हुए उसने कहा कि अब कभी भी वह ड्रग्स का चेहरा नहीं देखेगा। कैद के अंधेरे ने उसमें उजाला भर दिया है। अब वह खुद को बदल कर दिखायेगा। वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब लोग उसे गरीबों की मदद करते देखेंगे। जो लोग आज उससे नफरत कर रहे हैं कल वे भी उसके बदले चेहरे को देखकर तारीफें करते नज़र आयेंगे।

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