Thursday, July 21, 2022

कुत्तों से सावधान!

    पंजाब में एक युवा विख्यात गायक की उनके दुश्मनों ने गोलियों से भून कर हत्या कर दी। गमगीन माता-पिता, रिश्तेदारों के साथ-साथ उनके लाखों प्रशसकों ने आंसू बहाए और कई दिन तक शोक मनाया। जनप्रिय गायक को बड़ी निर्दयता से इस दुनिया से विदा कर दिये जाने से उनके पालतू कुत्ते ने भी अपनी सुध-बुध खो दी। उसने भी कई दिन तक खाना नहीं खाया। भूखा-प्यासा बस उस कुर्सी के इर्द-गिर्द मंडराता रहा जहां गायक बैठकर नये-नये गीत रचता और गाता था। कोरोना काल में जब अचानक हमारे मित्र अवध प्रकाश की मौत हुई तो उनके प्रिय पालतू कुत्ते ने मातम मनाने के मामले में इंसानों को मात दे दी थी। इंसानों की इस दुनिया में कुत्तों को इंसानों का सबसे वफादार साथी माना जाता है। कुत्तों की समझदारी और स्वामी भक्ति की कई ऐसी दास्तानें हैं जो उनके प्रति प्रेम की भावना जगाती और उपजाती हैं।
    एक जमाना था जब स्कूलों के आठवीं-दसवीं के छात्रों को गाय, हाथी, शेर हिरण आदि पर निबंध लिखने को कहा जाता था। इस नये दौर में उन्हें अपने घर के प्यारे-दुलारे कुत्ते पर अपने विचार व्यक्त करने को कहा जाता है। छात्र-छात्राएं भी बड़े ज्ञानी की तरह अपने पालतू डॉगी की शान में बहुत कुछ लिखने में देरी नहीं लगाते। जैसे...हमारा डॉगी तोे सारी दुनिया से निराला है। उसका सफेद रंग, चमकती आंखें और लोटपोट होने का तरीका हमारा ही नहीं, मेहमानों का भी दिल जीत लेता है। डैडी-मम्मी, दीदी और मैं अक्सर शाम को  उसे सैर कराने को निकलते हैं तो उसे देखने के लिए कई लोगों के कदम रुक जाते हैं। हमारा डॉगी मेरी ही तरह फुटबॉल खेलना पसंद करता है। जब हम शुरू-शुरू में उसे अपने घर लाये थे तब वह काफी कमजोर था, लेकिन हमने उसे मांस-मटन खिला-खिलाकर अत्यंत बलशाली बना दिया है। गली के आवारा कुत्ते भी अब उससे खौफ खाते हैं। वह जब सड़क पर चलता है तो वे उसके लिए रास्ता छोड़ देते हैं। हमारा दुलारा डॉगी किसी भी अनजान आदमी को घर में आते देख शेर की तरह गुर्राने लगता है। इसकी पहचानने और सूंघने की अपार क्षमता का जवाब नहीं। उसी के कारण हम सुरक्षा और बेफिक्री की नींद सोते हैं।’’
    अमेरिका के शोधकर्ताओं ने अपने विशेष सर्वे में पाया है कि जिन गली-मोहल्लों में ज्यादा कुत्ते होते हैं वहां अपराधी पैर रखने से घबराते हैं। डकैतियों तथा चोरियों में काफी कमी आ जाती है। ऐसे रहवासी इलाकों को सुरक्षित  माना जाता है जहां कुत्तों को पालने वालों की तादाद ज्यादा होती है। इसलिए कहा गया है कि अगर आप सुरक्षित पड़ोस चाहते हैं और किसी भी तरह की लूटपाट से बचना चाहते हैं तो ऐसा इलाका चुनें जहां बहुत सारे लोगों ने कुत्ते पाल रखे हों। यह भी सच है कि अमेरिका और भारत में बहुत फर्क है। कोई भी भुक्तभोगी बता देगा कि अपने यहां तो गली-मोहल्लों में सुबह-शाम आवारा घूमने वाले कुत्ते और उनके पिल्ले लोगों का जीना हाराम कर देते हैं। कब कोई पगलाया कुत्ता किसी बच्चे, बूढ़े और युवा को काट खाए और उसे इंजेक्शन लगवाने की नौबत आ जाए... कुछ कहा नहीं जा सकता। अबोध बच्चे-बच्चियों को आवारा कुत्ते के द्वारा घर में घुसकर नोच-नोच कर खा जाने की खबरें अक्सर हमारा दिल दहलाती रहती हैं। कई देशी और विदेशी नस्ल के ऐसे कुत्ते हैं जो शेर और चीते से भी खतरनाक हैं। जर्मन शेफर्ड ब्रीड के कुत्ते पुलिस के लिए बड़े काम के होते हैं। इनमें अपराधियों की गंध की शिनाख्त करने की अपार क्षमता होती है।  डाबरमैन पिन्सचर भी पुलिस के लिए खासा उपयोगी माना जाता है। इसकी खासियत है कि अजनबियों को देखते ही भड़क जाता है और मालिक पर नज़र पड़ते ही शांत हो जाता है। पिटबुल कुत्ते को बहुत खतरनाक माना जाता है। इसका वजन आमतौर पर 16 से 30 किलो के बीच होता है। दुनिया के कई देशों में इस नस्ल के कुत्ते को पालना मना है। गुस्सा आने पर ये किसी को नहीं छोड़ते। भले ही मालिक ही क्यों न हो। बीते वर्ष जयपुर में पिटबुल डॉग ने एक 11 साल के बच्चे के जिस्म को नोच-नोच कर बुरी तरह से जख्मी कर दिया था। इस वर्ष यानी 12 जुलाई, 2022 को एक पिटबुल ने तो कू्ररता की हर सीमा लांघते हुए देश और दुनिया में दहशत फैला दी। लखनऊ की अस्सी वर्षीय रिटायर टीचर सुशीला त्रिपाठी को अपने पिटबुल पर बहुत भरोसा था। वह उसे किसी इंसानी बच्चे जैसा मासूम मानते हुए उस पर अपना सारा स्नेह उंड़ेलती थीं। उनके बेटे ने घर की सुरक्षा के लिए दो कुत्तों को पाला था। जिसमें एक लैब्राडोर तो दूसरा वही पिटबुल डॉग, जिसे उस दिन उम्रदराज सुशीला बड़े भरोसे तथा इत्मीनान के साथ अपने ही घर की छत पर टहला रहीं थीं। इसी दौरान अचानक पिटबुल के गले की चैन खुल गई और उसने भूखे शेर की तरह उसने अपनी मालकिन पर हमला कर दिया। अत्यंत बलशाली बौखलाए कुत्ते ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए उन्हें जमीन पर गिराने में देरी नहीं लगायी और फिर उनके शरीर को नोचने-खाने लगा। सुशीला की चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी ईपने-अपने घरों से बाहर आए तो उन्होंने देखा कि उनकी पड़ोसन खून से लथपथ जमीन पर गिरी पड़ी हैं और कुत्ता उनके शरीर के मांस को नोच-नोचकर खा रहा है। कुत्ते के चंगुल से बचाने के लिए बरसाए लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ और बड़े मज़े से इंसानी मांस खाता रहा। इतना ही नहीं उसने कमजोर मालकिन के लहुलूहान शरीर को खींचा और अंदर ले गया। खूंखार हो चुके पालतू डॉग ने उनकी अंतड़ी बाहर तक निकाल दी। शरीर के खून का कतरा-कतरा बह जाने के कारण अतत: मालकिन ने दम तोड़ दिया।
    घरों में किस नस्ल के कुत्ते पालने चाहिए इसकी जानकारी भी जानकर सुझाते रहते हैं। घर की रखवाली के लिए किन कुत्तों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए इसका पता बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है। लैब्राडोर, बुलडॉग और डाबरमैन जैसे कुछ कुत्ते हैं जिन्हें वफादार माना जाता है। नये वातावरण में भी ये आसानी से ढल जाते हैं, लेकिन कई शौकीनों तथा रईसों ने जब से बिना किसी जानकारी के महंगे से महंगे कुत्ते पालने प्रारंभ कर दिये हैं तब से स्थिति बिगड़ी है। लोग तो बुलमास्टिफ जैसे कुत्ते को भी घर ले आते हैं। पचास से साठ किलो के पिटबुल जैसे दिखने वाले ये कुत्ते ट्रेनिंग के बाद ही घरों में लाये जाने चाहिए, लेकिन लोग कहां मानते हैं। वे तो बड़ी शान से अपने-अपने घरों के बड़े-बड़े ‘महाराजा’ गेट पर ‘‘कुत्ते से सावधान’’ का बोर्ड टंगवा कर अपनी छाती ताने रहते हैं। उनका हिंसक कुत्ता बाहर वालों को तो डराता ही है। फिर किसी दिन अचानक जब वह आपा खो देता है तो घर वालों पर भी झपटा मार ही देता है और जान भी ले लेता है जहां इंसानों का भरोसा नहीं वहां जानवरों से पता नहीं क्यों ज्यादा वफादारी की उम्मीद लगा ली जाती है। कुत्ता पालने की नासमझी में उन खूंखार कुत्तों को भी जंजीर से बांधकर रखा जाता है, जो बंधन तो बिलकुल पसंद नहीं करते, लेकिन ऊंचे लोग सोचते हैं कि जब हम इसे मांस-मटन खिला रहे हैं, अपने ही कमरे के खास बिस्तर पर सुलाकर अपने बच्चों की तरह दुलार-पुचकार रहे हैं तो वह हमेशा हमारा ही बना रहेगा, लेकिन ऐसा सदा होता नहीं है...।

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