Thursday, August 18, 2022

इनका कौन करे इलाज?

    ‘‘यह मेरी बेटी है। उम्र है 16 साल। इसकी कीमत मैंने रखी है, एक लाख रुपये। इससे एक धेला भी कम नहीं लूंगा। पसंद है तो मोल चुकाओ और अभी अपने साथ ले जाकर मन में जो आए वो करो। यह हमेशा अपना मुंह बंद रखेगी।’’ अपनी ही बेटी की बोली लगाते इस नराधम पिता की आत्मा मर चुकी है। इसके लिए बेटी से ज्यादा पैसा कीमती है। हो सकता है कि आपको हैरानी हो, लेकिन यही हकीकत है कि देश के प्रदेश राजस्थान में स्थित उदयपुर व झाड़ोल के बीस से ज्यादा गांवों में आज भी बेटियां बेची जा रही हैं। बेचने वालों में देह के दलाल भी हैं और सगे मां-बाप भी, जिनकी दलालों से भी बदतर भूमिका है। देह के भूखे बड़ी आसानी से 50 हजार से एक-डेढ़ लाख में लड़कियां खरीदकर ले जाते हैं और अपनी वासना की सेज सजाते हैं। यह देश की बदकिस्मती है कि इस शर्मनाक कारोबार में कई नेता भी शामिल हैं, जो एक तरफ विभिन्न मंचों पर ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का राग अलापते हैं, तो दूसरी तरफ बेटियों को बेचने-बिकवाने में संकोच नहीं करते। गुजरात से सटा शहर उदयपुर कोई छोटा-मोटा शहर नहीं है, न ही अंधेरे में डूबा रहता है, जो वहां लगने वाला मासूम बेटियों का बाजार किसी को दिखायी न दे। सबकुछ खुलेआम... बेखौफ हो रहा है। कई बेटियां तो बार-बार बिक रही हैं। झाड़ोल के पारगियापाड़ा के रामलाल ने तीन साल पहले अपनी बड़ी बेटी को दो लाख में किसी रईस को बेचकर खून के रिश्ते को कलंकित किया था। रणजीतपुरा की 15 साल की बेटी की डेढ़ लाख की बोली लगी और उसे गुजरात का एक व्यापारी बड़ी शान से अपने साथ ले गया था। वहीं के एक जागरूक संवेदनशील शिक्षक से यह जुल्म देखा नहीं गया तो वह उस बेटी को व्यापारी की कैद से मुक्त करा लाया, लेकिन लालची नकारा बाप फिर से कोई मोटा ग्राहक ढूंढ़ता फिर रहा है। इसी रेतीले प्रदेश की ही जो 12 बेटिया केरल में बेचने के लिए ले जायी गई थीं उन्हें पुलिस की मदद से जैसे-तैसे वापस लाया गया।
    जिन लोगों की किन्ही वजहों से शादी नहीं हो पाती उन्हें यहां बड़ी आसानी से छोटी-बड़ी लड़की मिल जाती है। पचासों शातिर दलाल हैं, जो बाल तस्करी भी कर रहे हैं और कुंवारों की शादी की तमन्ना पूरी कर माया बटोर रहे हैं। देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गये, लेकिन बेटियां अभी भी गुलाम हैं। उन पर तरह-तरह से जुल्म ढाए जा रहे हैं। उनके बचपन और सपनों को बड़ी बेदर्दी से रौंदा जा रहा है। नारंगी नगर नागपुर में अंधविश्वास ने पूरे परिवार के दिमाग के सोचने-समझने की क्षमता छीन ली। उन्हें इस कदर विवेकशुन्य और अंधा बना दिया कि उन्होंने अपनी ही पांच साल की मासूम अबोध बेटी अनक्षी की जादू-टोने के चक्कर में पीट-पीट कर नृशंस हत्या कर दी। गुरू पूर्णिमा के दिन अनक्षी की तबीयत बिगड़ने पर उसे तांत्रिक शंकर बाण के यहां ले जाया गया। अनक्षी का जन्मदाता सिद्धार्थ चिमणे पढ़ा-लिखा है। यू-ट्यूब चैनल चलाता है। कई लोग उसके पास अपनी समस्याओं को सुलझाने के उपाय जानने आते हैं। मेडिटेशन और भाषण दागने में भी वह निपुण माना जाता है। ऐसे ज्ञानी-ध्यानी पिता की बेटी की जैसे ही तबीयत बिगड़ी तो पूरे परिवार ने टोने-टोटके प्रारंभ कर दिए। तांत्रिक के यह बताने पर कि बच्ची पर बुरी आत्मा का साया है तो पूरा परिवार ही बच्ची का शत्रु हो गया। तांत्रिक ने पहले तो मठ में झाड़-फूंक और पूजा-पाठ की। फिर परिवारवालों को घर में ही टोटके करते रहने की सलाह दी। ढोंगी बाबा के चक्कर में अंधे हो चुके परिवार ने बच्ची को यातनाएं देनी प्रारंभ कर दीं। उसे बेल्ट से मारने के साथ-साथ ज़िस्म पर सुइंया चुभो-चुभोकर पूछा जाता कि बता तेरे शरीर में कौन आया है? नादान भोली-भाली बच्ची क्या जवाब देती? उसके पास तो रोने-बिलखने के सिवा और कोई चारा ही नहीं था। असहनीय पीड़ा से वह कराहती रहती, लेकिन किसी को भी उस पर रहम न आता। इस दौरान उसे न खाने को कुछ दिया गया और ना ही पीने को पानी। लगातार मारपीट से बेहाल भूखी-प्यासी बच्ची ने अंतत: प्राण त्याग दिए। मेडिकल अस्पताल में जब पांच वर्षीय गुड़िया उर्फ अनक्षी को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया, तब वहां पर भीड़ लगी थी। नजदीकी तथा दूर के रिश्तेदार भी वहां मौजूद थे। हर कोई हतप्रभ था। इस इक्कीसवीं सदी में ऐसी क्रुर अंधी श्रद्धा... तांत्रिक पर घोर विश्वास! ऐसा कोई नहीं था, जिसकी आंखें न भीगी हों और उसे गुस्सा भी न आया हो। मासूम बच्ची को ऐसी वहशी निर्दयता के साथ पीटा गया था, जिससे उसकी चमड़ी छिल गई थी। शरीर पर किसी नुकीली वस्तु तथा आग से दागने के गहरे निशान स्पष्ट दिखायी दे रहे थे। गुड़िया के हत्यारों को मगरमच्छी आंसू बहाते देख सभी को बड़ा गुस्सा आ रहा था। उनका तो मन हो रहा था कि इन शैतानों... हैवानों को पीट-पीट कर अधमरा कर दें, लेकिन यदि वे खून-खराबे पर उतर आते तो बेटी के हत्यारों और उनमें क्या फर्क रह जाता। यही आत्मनियंत्रण और इंसानी सोच ही तो अभी तक रिश्तों तथा मानवता को पूरी तरह से मरने से बचाये हुए है।
    बच्चियों और महिलाओं पर जुल्म ढाने में तथाकथित साधु-महात्मा भी कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। नकली संतों, प्रवचनकारों ने हाल के वर्षों में अपनी साख को खोने का कीर्तिमान रचा है। नामों को गिनाने का कोई फायदा नहीं। सभी सजग भारतीय उन्हें जानते हैं। अफसोस तो इस बात का है कि धोखे पर धोखे खाने के बाद भी लोग सतर्क नहीं हो रहे हैं। अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि दिल-दिमाग से बाहर निकल ही नहीं पा रही हैं। खासकर महिलाएं तो कपटी और धूर्त नकली साधुओं के चंगुल में बार-बार बड़ी आसानी से फंस रही हैं। अभी हाल ही में साधु बाबा की शक्ल में एक भेड़िये वैराग्यनंद गिरी उर्फ मिर्ची बाबा को पुलिस ने दबोचा है। रायसेन की एक महिला शादी के चार साल होने के बाद भी संतानहीन थी। पति और सास ने ताने मारने शुरू कर दिये थे कि कैसी औरत हो, जो अभी तक एक बच्चे को जन्म नहीं दे सकी। दिल में तीर-सी चुभने वाली बातें सुनते-सुनते वह तंग आ चुकी थी। हर पल तनाव उसे दबोचे रहता था। इसी दौरान मोहल्ले की किसी औरत ने उसे बताया कि, भोपाल में मिर्ची बाबा नाम के एक पहुंचे हुए योगी रहते हैं, जिनकी दवाई से बांझ औरत को भी बच्चा हो जाता है। हताश और निराश इंसान को जब कोई पक्का भरोसा दिलाता है, तो वह मौका गंवाना नहीं चाहता। ज्यादा विचार किए एक दिन वह महिला मिर्ची वाले बाबा के दरबार में जा पहुंची। बाबा ने उस खूबसूरत महिला को अपने बगल में बैठाकर बच्चा होने का विश्वास दिलाते हुए कोई दवा खिलाई। जिसे खाने के कुछ पलों के बाद महिला का माथा चकराने लगा। शातिर शिकारी बड़ी आसानी से महिला से दुष्कर्म करने में सफल हो गया। जब महिला को होश आया तो बाबा ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा, घबराओ नहीं। मेरी दवा कभी भी असरहीन नहीं होती। अब तुम घर जाओ। हां, बीच-बीच में आकर मिलती रहना। तुम्हारे यहां जरूर अत्यंत खूबसूरत गोल-मटोल बच्चा पैदा होगा, जिसे देखकर तुम्हें अपनी किस्मत पर नाज होगा। हां, तब तुम हमें मिठाई खिलाना भी नहीं भूलना। महिला बाबा के दरबार में तो चुपचाप उसकी सुनती रही, लेकिन बाहर निकलने के बाद उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। नि:संतान महिला पर बलात्कार करने वाला अय्याश कुसंत पुलिस से बचने के लिए यहां-वहां भागता रहा, लेकिन अंतत: पकड़ में आ ही गया है। झांसे और प्रलोभन के जाल फेंकने में अभ्यस्त वैराग्यनंद गिरी राजनेताओं का भी अत्यंत प्रिय रहा है। वह उनको चुनाव में विजयी होने का ही आशीर्वाद नहीं देता, बल्कि उसके लिए पूजा-पाठ और कर्म-कांड भी करता रहा ह। वैसे ही जैसे महिलाएं उसके जाल में फंसती रही हैं वैसे ही कई नेता भी उसके मायावी जाल से नहीं बच पाये। इसने कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह की जीत के लिए कभी मिर्ची से हवन-पूजन कर खूब प्रचार तथा चर्चाएं बटोरी थीं, लेकिन दिग्विजय सिंह की लोकसभा चुनाव में जो शर्मनाक हार और दुर्गति हुई वो सबको पता है।

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