Thursday, August 4, 2022

शराबी की खराबी

    पूरे गुजरात और बिहार में शराबबंदी है। महाराष्ट्र के वर्धा जिला और गड़चिरोली में भी कहने को तो शराब पीने पर सख्त पाबंदी है, लेकिन जिन्हें पीनी होती है वे कैसे भी जुगाड़ कर अपनी आदत और शौक को पूरा कर रहे हैं। इस चक्कर में मौतें हो रही हैं। बसे-बसाये घर बरबाद हो रहे हैं और कलह-क्लेश भी बना हुआ है। बिहार में तो शराब बंदी लागू हुए अभी चंद वर्ष ही हुए हैं, लेकिन गुजरात में तो 60 साल से ऊपर हो चुके हैं। जिस तरह से महाराष्ट्र के वर्धा को महात्मा गांधी की कर्मभूमि होने के कारण शराबबंदी के लिए चुना गया वैसी ही दलील गुजरात के लिए दी गयी। पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने और भारत को आजादी दिलवाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसी प्रदेश के शहर पोरबंदर में जन्म लिया था। अभी हाल ही में बापू के जन्म स्थल गुजरात में जहरीली देशी शराब पीने-पिलाने से 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 150 लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इनमें से कुछ तो उम्र भर के लिए दृष्टिहीन हो गये। नकली शराब मौत के साथ-साथ कई जानलेवा रोगों की सौगात दे देती है। हर पीने वाले को पता है कि ये नशा बेहद खतरनाक है, जानलेवा है लेकिन फिर भी पियक्कड़ों की अक्ल ठिकाने नहीं आती। नकली शराब बनाने वाले भी जानते हैं कि वे गुनाह कर रहे हैं, लेकिन मोटी कमायी के लालच में अंधे बने रहते हैं। विषैली शराब पीने के कारण जब-जब मौतें होती हैं तब-तब देशभर में शोर-शराबा होता है। शासन और प्रशासन पर उंगलियां उठायी जाती हैं। जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने और सवाल उठाने वालों में वे नेता भी बड़े दमखम के साथ शामिल होते हैं, जिनके साथ के दम पर शराब माफिया बड़ी तेजी से पनपते हैं और उनका कोई बाल भी बाकां नहीं कर पाता। नशीली और विषैली शराब पीकर मरते कौन हैं? यकीनन रईस तो नहीं मरते। नेता, अभिनेता, मंत्री-संत्री भी इससे बचे रहते हैं। जिनकी महंगी अंग्रेजी शराब खरीदने की हैसियत नहीं, वही देशी शराब को गले लगाते हैं और जब तक कुछ नहीं होता मस्त रहते हैं। इसके सेवन के बाद मौत होने पर उनके बाल-बच्चे, माता-पिता, पत्नी, बहन और अन्य रिश्तेदार मातम मनाते हैं और अपनी किस्मत को कोसते रह जाते हैं। पत्रकार हूं, इसलिए मेरी शुरू से ही खबरों के पीछे भागने की आदत है। गुजरात में जहरीली शराब पीने के बाद हुई दर्दनाक मौतों के कुछ दिन बाद यह खबर पढ़ने में आयी, ‘मद्य निषेध’ की नीति वाले गुजरात में शराब तस्करी का गोरखधंधा उद्योग की तरह चल रहा है। बोटाद-अहमदाबाद में 65 लोगों की मौत के बाद जहरीली शराब त्रासदी की जांच में ये खुलासा हुआ है कि दारूबंदी के प्रदेश में शराब तस्करी का एक मजबूत व्यवस्थित तंत्र है। इसमें शराब के आयात, वितरण, बिक्री, वसूली और भुगतान में बैंक सहित आंगढिया पेढी के नेटवर्क का इस्तेमाल होता है। इस जानलेवा जहरीले धंधे को चलाने वालों का नेटवर्क इतना फुलप्रूफ है कि आपूर्ति और पैसे की उगाही में गलती की गुंजाइश  ही नहीं है। शराब की तस्करी में लगे बड़े खिलाड़ी शायद ही कभी पकड़ में आते हैं। अरबों-खरबों की नगदी और जमीन, जायदाद के मालिक बन चुके कुछ नाम बहुत बलवान हैं। ये गोवा से शराब वाया महाराष्ट्र से गुजरात मंगवाते हैं। इस माल के भंडारण के लिए बाकायदा गोदाम भी बनाये गए हैं। इस पूरे खेल की सत्ताधीशों, समाजसेवकों, छोटे-बड़े नेताओं तथा पुलिस को जानकारी है, लेकिन सभी चंद सिक्कों में अपना ईमान बेचकर बेफिक्र और खुश हैं। एक-एक बड़ा शराब तस्कर लगभग 2 करोड़ रुपये का हफ्ता पुलिस वालों को देता है। जब पकड़ा-धकड़ी का नाटक होता है तो वह अपने छोटे-मोटे नौकरों को आगे कर देता है। कौन नहीं जानता कि कमजोर हर जगह बलि का बकरा बनता है। जानकारों का कहना है कि अकेले गुजरात में ही शराब, तस्करों का प्रतिवर्ष लगभग हजार करोड़ से ऊपर का कारोबार है। इसमें होने वाली कमायी का कुछ हिस्सा नेताओं, मंत्रियों, अफसरों, समाजसेवकों, पत्रकारों, संपादकों तक पहुंचता है। ऊंचे लोगों के जीने के अंदाज बड़े निराले हैं। जहां शराब बंदी है वहां भी मौज-मस्ती की पार्टियां तो चलती ही रहती हैं। बीते हफ्ते गुजरात के वलसाड जिले में स्थित एक गांव में आयोजित एक जन्मदिन की पार्टी मेें शराब के जाम टकराये जा रहे थे। बिलकुल वैसे ही जैसे दिल्ली और मुंबई और अन्य महानगरों की पार्टियों में टकराये जाते हैं। इस शराब पार्टी में एक पुलिस सबइंस्पेक्टर और तीन कांस्टेबल भी पकड़ में आये, जो दारू के नशे में  टुन्न थे। जिन पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है उन्हें तो हमेशा सजग और सतर्क रहना चाहिए। यह जानकार यकीनन धक्का लगता है कि कुछ पायलट भी शराब पीकर हवाई जहाज उड़ाते हैं। यह उनकी गद्दारी भी है और नालायकी भी। नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में जानकारी दी है कि जनवरी, 2022 से जून, 2022 तक कुल 14 ऐसे मामले दर्ज किये गये, जहां उड़ान से पहले ब्रेथ-एनलाइजर (बीए) परीक्षण में पायलटों की रिपोर्ट में उनके नशे में होने की पुष्टि हुई। अब आप ही सोचें कि जब हवाई जहाज उड़ाने वाले पायलट ही नशेड़ी हैं, पीने के आदी हैं तो यात्री कितने सुरिक्षत हैं! अहमदाबाद के वासणा इलाके में रहने वाले एक पिता ने अपने शराबी बेटे को धारदार हथियार से मार डाला। इतना ही नहीं, उसने ग्राइंडर मशीन से बेटे के मृत शरीर के कई छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें अलग-अलग जगह पर फेंक दिया। पिता का कहना है कि शराबी बेटे को पैसे देते-देते मैं थक चुका था। हर रोज घर में शराब पीकर आता और लड़ाई-झगड़े पर तुल जाता। लाख समझाने के बाद भी उसने शराब पीनी नहीं छोड़ी। घर को नर्क बनाकर रख दिया। अंतत: मेरी सहनशीलता भी जवाब दे गई और मैंने उसका खात्मा कर दिया। महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा और आस्था के नाम पर शराबबंदी झेल रहे गुजरात में किस तरह की शराब बंदी है इसका पता तो इस हकीकत से पता चलता है कि सूरत और अहमदाबाद में पीने वालों के घरों तक शराब पहुंचायी जा रही है। ये पियक्कड़ कोई भी कीमत देने का दम रखते हैं। शादी-ब्याह या जन्मदिन की पार्टी में इन्हें सहज ही हर ब्रांड की शराब की बोतलें उपलब्ध हो जाती हैं। गरीबों के लिए 20 रुपये से प्रति पाउच में बिकने और मिलने वाली शराब कितनी को ऊपर पहुंचा चुकी है, इसका आंकड़ा तो सरकार के पास भी नहीं है। चुनावों के समय भी इसी खतरनाक शराब से गांव तथा शहर के गरीब मतदाताओं को खुश किया जाता है।

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