Thursday, October 27, 2022

अय्याश ‘पिताजी’ की हिंसक बाबागिरी

    यौन शोषण, बलात्कार और हत्याओं के जुर्म में जेल में कैद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को ऐन दिवाली से पहले फिर से पैरोल के नाम पर पूरे 40 दिन की छुट्टी मिल गई। कभी बीमार मां से मिलने तो कभी उसकी किसी और मांग और इच्छा का सम्मान करते हुए बड़ी आसानी से उसे जेल से अस्थायी रिहाई मिलती चली जा रही है। लोग भी हैरान हैं कि जिस अय्याश को यौन शोषण, बलात्कार और दो हत्याएं करने के अक्षम्य अपराध में कुल मिलाकर 60 साल की सज़ा दी चुकी है, वह किसकी मेहरबानी और आशीर्वाद पर जब देखो तब खुली हवा में मौजमस्ती करने का मदमस्त उपहार पा जाता है। विश्वासघाती, बलात्कारी, हत्यारा राम रहीम इस बार भी जब जेल की कोठरी से बाहर आया तो उसके कट्टर श्रद्धालुओं, नेताओं और समाज के भिन्न-भिन्न रंगधारी चेहरों ने खुशी से झूमते हुए महकते फूलों के बड़े-बड़े हारों और गुलदस्तों से स्वागत किया, जैसे वह कोई महान आत्मा हो, जिसका सदियों के इंतजार के बाद आसमान से धरा पर आगमन हुआ हो। जेल से लौटे राम रहीम के दर्शन करने पहुंची भीड़ में शामिल एक महिला से पत्रकार ने पूछा कि जिस धूर्त को नारियों के देह शोषण के चलते सज़ा हो चुकी है, जो हद दर्जे का अनाचारी है, आप उससे मिलने के लिए क्यों आई हैं? आप जैसी पढ़ी-लिखी औरतों को तो ऐसे असंतों से घृणा करते हुए कोसों दूर रहना चाहिए! सजी-धजी उस नारी ने बड़े गर्व के साथ कहा कि वे हमारे देवता हैं, पथ प्रदर्शक हैं, वे गलत हो ही नहीं सकते। कुछ झूठों के आरोपों को हम क्यों सच मान लें? आज के कलयुगी जमाने में तो संत-महात्माओं पर कीचड़ उछालने के षडयंत्रों को कुछ शैतानों ने अपना पेशा बना लिया है। हमारे ‘पिताजी’ तो एकदम 24 कैरेट का सोना हैं। आपको उनके चेहरे की चमक दिखायी नहीं देती, जो आज भी पहले की तरह बनी हुई है?
    ‘‘आप जगजाहिर सच को भूल रही हैं। मैं ही आपको याद दिलाए देता हूं आपके इन तथाकथित ‘पिताजी’ को 2002 के बलात्कार के एक केस में दोषी ठहराए जाने के बाद अगस्त 2017 में पंचकुला में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बीस साल की कड़ी कैद की सज़ा सुनाई थी। उसके बाद 2019 में सच्चे, निर्भीक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की निर्मम हत्या के मामले मेें तीन अन्य लोगों के साथ इन्हें भी दोषी माना गया था। 2021 में सीबीआई की ही एक विशेष अदालत ने इस कुकर्मी को 2002 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की क्रूर राक्षसी तरीके से की गई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। कुल मिलाकर 60 साल जेल की कोठरी में रहना है इसे। क्या आप अदालत के फैसलों को भी हवा-हवाई मानती हैं?’’
    ‘‘दुनिया की किसी भी कोर्ट-कचहरी से ज्यादा हमें तो बस अपने ‘पिताजी’ पर ही पक्का यकीन है। हमारे ‘पिताजी’ की वर्षों की तपस्या और मेहनत से बनी छवि को कोई भी साज़िश खत्म नहीं कर सकती। फिर हकीकत तो आपके सामने भी है...। उनके ऑनलाइन सत्संग में हाजिरी लगाने के लिए अपार भीड़ का तांता लगा है। यह सारा का सारा हुजूम क्या बेवकूफ और पागल है? और हां यह भी तो आपने देखा और सुना होगा कि अपने देश में निर्दोष आदमी को भी फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता है।’’ सजायाफ्ता राम रहीम के पक्ष में बोलने के लिए कमर कसकर आई महिला और भी कुछ कहना चाहती थी, लेकिन पत्रकार ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी।
    उम्रकैद की सजा काट रहे राम रहीम के ऑनलाइन सत्संग में हजारों महिलाओं, युवक, युवतियों, नेताओं, सरकारी अधिकारियों और उद्योगपति, व्यापारियों की कतारें लगी रहीं। हरियाणा के शहर करनाल की मेयर रेणु बाला ‘पिताजी’ के समक्ष नतमस्तक होकर घंटों खड़ी रहीं। उन्होंने उससे अपना आशीर्वाद बनाये रखने की फरियाद की। भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भी सत्संग में पहुंचकर ‘शैतान’ का हौसला बढ़ाया। बलात्कारी के समर्थकों की भीड़ ने बता दिया कि उनके मन में अपने ‘पिताश्री’ के प्रति कितना सम्मान और आस्था है। दरअसल उसके कट्टर अनुयायियों में गरीबों, दलितों और शोषितों की संख्या अच्छी-खासी है, जो उसे मान-सम्मान से ‘पिताजी’ बुलाते हैं। इनके लिए गुरमीत सिंह राम रहीम का इशारा, कोई बात सीधा आदेश होती है, जिसका पालन करना अंधभक्त अपना कर्तव्य और धर्म मानते हैं। अपने अनुयायियों का उद्धार करने और धर्म के नाम पर धोखाधड़ी, लूटमार, बलात्कार करने वाले राम रहीम के झांसे में आने वालों में पढ़े-लिखे लाखों स्त्री-पुरुष हैं, जिनकी श्रद्धा अब भी बरकरार है। इसी का फायदा नेता पहले भी उठाते रहे हैं और अब भी उन्हें काफी उम्मीदें हैं। हरियाणा में एक विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले उसके पैरोल पर जेल से छूटने के पीछे सत्ता और राजनेताओं की भूमिका स्पष्ट नज़र आती है। पूरे देश में उसके 6 करोड़ अनुयायी होने का दावा किया जाता है। पंजाब और हरियाणा में तो उसके अंधभक्त जहां-तहां भरे पड़े हैं, जो सीधे तौर पर लगभग 40-50 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को प्रभावित करते रहे हैं।
    यह तथ्य भी अत्यंत विचारणीय है कि बलात्कार की हर खबर सभ्य समाज में क्रोध की आग जलाती है। हर किसी के रक्त में उबाल आ जाता है। बलात्कारी के खिलाफ मोर्चे, कैंडल मार्च निकाले जाते हैं। यहां तक कि उस दरिंदे को चौराहे पर गोली से उड़ाने, नपुंसक बनाने के पुरजोर स्वर सुनने को मिलते हैं, लेकिन यह नराधम अपने आश्रम में आने वाली युवतियों की अस्मत लूटता रहा। हत्याएं तक कर डालीं, लेकिन देश का तथाकथित जागृत समाज सोया रहा। पत्रकारों ने भी खामोशी का दामन थामे रखा। जिस सजग पत्रकार ने अपने अखबार में उसके काले चिट्ठे को उजागर किया उसकी इसने हत्या करवा दी। लोगों की अंध भक्ति ने ही एक शैतान को भगवान बना दिया। अंधी भीड़ नतमस्तक भी होती रही और धन भी बरसाती रही। देखते ही देखते उसके आलीशान आश्रम बनते चले गए। जहां वह बेखौफ होकर भोग-विलास करता रहा। महंगी से महंगी लग्जरी कारों में खूबसूरत लड़कियों के साथ सैर-सपाटे जारी रहे और करुणा, दया, शांति, क्षमा और भाईचारे के पाठ को ताक पर रखकर हिंसा का शैतानी तांडव मचाता रहा। राम रहीम... इस नाम को सुनने और बोलने में कितनी शांति और पवित्रता बरसती है। ऐसा लगता है इस नाम के शख्स की नस...नस में इंसानियत का अपार वास होगा। आम इंसानों वाली बुराइयों से तो इसका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होगा। विधाता ने इसे मानव और मानवता के कल्याण के लिए इस धरा पर भेजा होगा, लेकिन इस राम रहीम ने तो भक्तों के भरोसे और धारणा की धज्जियां ही उड़ा दीं। फिर भी अंध विश्वासी अभी भी जागने को तैयार नहीं हैं।

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