Thursday, January 5, 2023

सच्चे कर्मयोगी ... नरेंद्र मोदी

    भारतवर्ष के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदरणीय माताश्री हीरा बेन का शुक्रवार को तड़के साढ़े तीन बजे निधन हो गया। उनके देहावसान पर पूरा देश शोक में डूब गया। उनके सुपुत्र नरेंद्र मोदी तुरंत पुत्रधर्म निभाने में जुट गए। गमगीन बेटे को अपनी आराध्य मां की अर्थी को कंधा देते देख सभी की आंखें बार-बार भीगती रहीं। मां की चिता पंचतत्व में विलीन हो रही थी और अपने असीम दर्द को अपने भीतर समेटे बेटा चुपचाप खड़ा था। दाह संस्कार की लपटें उसे अतीत की तरफ बहाकर ले जाने को आतुर थीं, लेकिन वह अपने वर्तमान के कर्तव्यबोध से बंधा था। वह अपने बड़े भाई को सांत्वना दे रहा था। उसके आंसू पोंछ रहा था। अपनी जान से भी प्रिय अपनी मां की अंत्येष्टि के फौरन बाद बेटा राजधर्म के पथ पर चल पड़ा। देशवासियों ने ऐसा कर्मठ प्रधानमंत्री पहली बार देखा, जिसने अपनी पीड़ा को अपने कर्तव्य पथ के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने वीडियो कॉन्फेंसिंग के माध्यम से पूर्व निर्धारित सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गांधीनगर में अपनी मां की अंतिम संस्कार की तैयारियों में लगे थे, तभी उन्होंने देशवासियों से अपील कर दी थी कि अपने पूर्व निर्धारित किसी भी काम को न रोकें। अपने दायित्व का पालन करना ही हीरा बा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अपील का उन्होंने खुद भी पूरे समर्पण भाव से अमल करते हुए पश्चिम बंगाल में 7,800 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और लोकार्पण किया। इसी दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल की पहली वंदे मातरम ट्रेन को हरी झंडी दिखायी। वे जब कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, तब उनकी जुबान लड़खड़ाने को बेताब थी, लेकिन मुश्किल की हर घड़ी में खुद पर नियंत्रण रखने में दक्ष इस कर्मवीर ने खुद को संभाले रखा और दिखा दिया कि निजी पीड़ा राष्ट्रधर्म के समक्ष कोई मायने नहीं रखती। प्रधानमंत्री के भर्राये स्वर और नम होती आंखों की भाषा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुरंत भांप लिया। वह प्रधानमंत्री की कर्तव्य परायणता के प्रति नतमस्तक होकर रह गईं। उन्होंने मोदी जी की माताश्री हीरा बेन के निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि आपकी मां हमारी भी मां हैं। दु:ख की इस घड़ी में हम सब आपके साथ हैं। आप सीधे मां की अंत्येष्टि से आए हैं। मैं चाहती हूं कि आप अभी आराम करें। 

    जिस संयम और धैर्य के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी निजी पीड़ा को दबाते हुए अपने फर्ज़ को प्राथमिकता दी उसे हमेशा याद रखा जाएगा। मां हीरा बेन की 99 वर्ष की जीवन यात्रा भी काफी संघर्षमय रही। अपने बच्चों को पालने-पोसने-पढ़ाने-लिखाने तथा अच्छी तरह से संस्कारित करने के लिए उन्हें लोगों के घरों में बर्तन मांजने और झाडू-पोछा तक भी करना पड़ा। फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बेटे नरेंद्र पर अपनी मां के अटूट परिश्रम और सद्विचारों का इतना अधिक प्रभाव रहा कि उन्होंने सबकुछ छोड़छाड़ कर देश की सेवा करने का संकल्प ले लिया। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से लेकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा के पन्ने-पन्ने से सभी सजग देशवासी अच्छी तरह से वाकिफ हैं। देशवासी इस सच से भी अनजान नहीं हैं कि नरेंद्र मोदी ने कभी भी खुद को परिवार के मोह का कैदी नहीं बनने दिया। उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनके सीएम और पीएम होने का लाभ उठाने की चेष्टा नहीं की, जबकि अमूमन होता यह है कि किसी भी विधायक सांसद के मंत्री बनते ही उनके परिवार वालों की हर रोज दिवाली मनती है। कभी जिनके पास साइकिल नहीं होती है, वे कारों के मालिक बन जाते हैं। मंत्रियो की औलादें और रिश्तेदार मंत्री के सरकारी निवास पर डेरा जमाये रहते हैं। मंत्री भी जश्न मनाने में लीन हो जाते हैं। सरकारी खर्चे पर देश और विदेश के पर्यटन स्थलों पर बार-बार जाते हैं। उन्हें छुट्टी मनाने के दिनों का बेसब्री से इंतजार रहता है। भारत के अधिकांश पूर्व प्रधानमंत्री किसी न किसी बहाने देश के हिल स्टेशनों तथा विदेश यात्राओं पर जाने के लिए विख्यात रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी कोई छुट्टी नहीं ली। हर उत्सव देश के वीर सैनिकों के साथ मनाया।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं देने के बाद रिटायर हो चुके हैं। अब वह अहमदाबाद में वृद्धाश्रम चलाते हुए समाजसेवा कर रहे हैं। किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मेरे और प्रधानमंत्री के बीच एक परदा है। मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, न कि प्रधानमंत्री का। प्रधानमंत्री के लिए वे करोड़ों भारतीयों में से एक हैं। प्रधानमंत्री जी के दूसरे भाई अमृत भाई एक प्राइवेट कंपनी में फिटर के पद से रिटायर होने के बाद अहमदाबाद में अपने चार कमरों के मकान में आम भारतीयों की तरह रह रहे हैं। उनके बेटे यानी नरेंद्र मोदी के भतीजे 47 वर्षीय संजय मोदी, जो कि अपनी लेथमशीन संचालित कर गुजर बसर कर रहे हैं, का कहना है कि उनका पीएम मोदी से बहुत ही कम मिलना-जुलना होता है। उनके बारह साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी यही स्थिति थी। पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे भाई प्रहलाद मोदी अहमदाबाद में एक किराने की दुकान चलाते हुए सहज और सरल तरीके से जीवनयापन कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले प्रहलाद मोदी को इस बात का कतई अहंकार नहीं कि वे देश के प्रधानमंत्री के भाई हैं। नरेंद्र मोदी के सबसे छोटे भाई पंकज सूचना विभाग से रिटायर हुए हैं। वह गांधीनगर में रहते हैं। इन्हीं के साथ ही मां हीरा बेन रहती थीं। मां से जब भी नरेंद्र मोदी मिलने आते तो ही उनकी मुलाकात अपने बड़े भाई से होती थी। माताश्री हीरा बेन ने भी कभी किसी को नहीं जताया कि वह देश के प्रधानमंत्री की मां हैं। एक-दो बार प्रधानमंत्री निवास पर चंद दिन पुत्र के अनुरोध पर रहीं जरूर, लेकिन तुरंत गांधी नगर के अपने छोटे से घर में लौट आईं। उन्होंने हमेशा नरेंद्र मोदी को अपने बेटे की तरह देखा, सीएम या पीएम के रूप में तो कभी भी नहीं। यही सच उनके आदर्श और पवित्र मातृत्व को दर्शाता है। अपने कर्म को ही धर्म मानने वाले नरेंद्र मोदी को बचपन में अपनी मां से जो संस्कार मिले उनसे उन्होंने कभी भी मुंह नहीं मोड़ा। आराम करना तो उन्होंने कभी सीखा ही नहीं। वर्षों से ही उनकी ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत है। इतनी सुबह जागकर वे नियमित ध्यान में बैठते हैं, योग और कसरत करते हैं। इसी से उनकी एकाग्रता, स्फूर्ति, धैर्य और ताजगी बनी रहती है, जो उनके विरोधियों को भी चौंकाती है।

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