Thursday, February 9, 2023

तेल देखो, तेल की धार देखो

    प्रवचनकार आसाराम का एक जमाने में गजब का नाम और दबदबा था। उसके प्रवचन सुनने के लिए लाखों की भीड़ जुटा करती थी। नेता, मंत्री, अभिनेता, समाजसेवक, धर्म प्रेमी... सभी उसके दरबार में नतमस्तक होने के लिए उत्सुक रहते थे। उसके प्रवचनों में मनुष्य को धैर्यवान तथा चरित्रवान बने रहने की सीखें दी जाती थीं। दूसरों की मां-बहनों का आदर-सम्मान करने का पाठ पढ़ाया जाता था। उनके बोलने, मटकने और नाचने-कूदने का अंदाज लोगों को लुभाता था। इसलिए दूर-दूर से भीड़ खिंची चली आती थी। नेता, अभिनेता, पत्रकार, संपादक, अखबार तथा न्यूज चैनल वाले उसके लिए आदरसूचक शब्दावली का इस्तेमाल कर गर्वित हुआ करते थे। तब देश और दुनिया के लाखों भक्तों के प्रिय रहे आसाराम को अभी हाल ही में बलात्कार के एक और केस में उम्रकैद की सजा होने पर उसके कट्टर अनुयायियों को भले ही एक और झटका लगा हो, लेकिन देश के लाखों आम लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा। यह वही लोग हैं, जिन्हें यह ढोंगी इंसान नहीं भगवान लगता था। अपने कुकर्मों के कारण लोगों के मन और दिमाग से उतर चुका यह यौनाचारी किसी भी तरह की सहानुभूति का अधिकारी नहीं, क्योंकि इसने करोड़ों सीधे सच्चे अपने ही भक्तों, शिष्य-शिष्याओं की पवित्र आस्था और असीम भरोसे का कत्ल करने का अक्षम्य अपराध किया है। 

    इस व्याभिचारी के कारण देश के सच्चे साधु-संतों को भी शंका की निगाह से देखा जाने लगा है। 2018 में जोधपुर की अदालत में जिस 16 साल की नाबालिग लड़की की अस्मत लूटने की वजह से इसे उम्रकैद की सजा सुनायी गई थी, वह तथा उसका पूरा परिवार इस दुराचारी का अंधभक्त था। वासना के इस खिलाड़ी ने उनकी बेटी को रोग मुक्त करने का भरोसा दिलाया था और अपनी कुटिया के एकांत में जंगली जानवर की तरह टूट पड़ा था। लड़की के माता-पिता को जब अपने भगवान के शैतान होने की सच्चाई का पता चला तो एकबारगी तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ था। इस शर्मनाक घिनौने सच की तह तक पहुंचने के लिए उन्होंने उससे गहन पूछताछ की थी। उसके बाद ही उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 

    अभी गुजरात के गांधीनगर की एक अदालत ने जिस महिला से बलात्कार करने के कारण इस बलात्कारी को उम्रकैद की सजा सुनायी है, वह भी इसकी परम आस्थावान शिष्या थी। उसने कभी कल्पना नहीं की होगी कि जिसे वह देवता मानती है, वह तो आदतन दुराचारी है। आसाराम के देशभर में फैले आश्रमों तथा प्रवचन कार्यक्रमों के मंचों पर एक से एक दिग्गज हाजिरी लगाते थे, इसलिए तो उसे यह भ्रम था कि कानून उसकी मुट्ठी में है। वह कितने भी दुराचार करता रहे, कोई उस पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं करेगा। इन अहंकार भरी मदमस्ती में वह लगातार अपने आश्रमों में एक तरफ भोग विलास करता रहा, तो दूसरी तरफ विभिन्न मंचों पर मायावी-प्रभावी प्रवचनों का जाल फेंक कर अपने भक्तों की संख्या बढ़ाता रहा। जब उसकी गिरफ्तारी हुई तो कई अंध भक्त उसके समर्थन में सड़कों पर उतर आये। उन्होंने जहां-तहां हंगामा बरपा किया कि हमारे पूज्यनीय बापू निर्दोष हैं। उन्हें किसी साजिश के चलते फंसाया गया है। वे किसी की बहन, बेटी और बहू पर गलत निगाह डाल ही नहीं सकते। 

    अभ्यस्त देहभोगी की शिकार हुई नारियों के परिजनों पर तरह-तरह के दबाव डाले गये। उन्हें डराया और धमकाया गया। कुछ की हत्या करने की कोशिश तो कुछ को मौत के मुंह में भी सुलाया गया। मुंह बंद रखने के लिए करोड़ों रुपये के प्रलोभन दिये गए। इस नकाबपोश नराधम को कभी कोई अपराधबोध भी नहीं हुआ! अगर हुआ होता तो भावी परिणाम के बारे में जरूर सोचता। अपनी वर्षों की तपस्या के बाद बनायी साख पर घोर कलंक नहीं लगने देता। इसमें नारी देह की अथाह भूख के साथ अपार धन की प्रबल लालसा भी भरी हुई थी। नारी जिस्मों पर गिद्ध की तरह झपट पड़ने वाले इस शैतान ने मर-मर कर अंधाधुंध पैसा कमाया, लेकिन वो भी इसके काम नहीं आया। चोर का माल चांडाल खा गये। स्वयंभू बाबा, ढोंगी धूर्त और पाखंडी प्रवचनकार आसाराम का बस चलता तो सारे जहान की धन-दौलत अपनी झोली में समेट लेता। आसाराम में चतुर और घाघ कारोबारी के सभी गुण-दुर्गुण विद्यमान रहे हैं। उसका जिस शहर में भी प्रवचन तथा तथाकथित सत्संग का कार्यक्रम होता था, वहां पर भव्य मंच और विशालतम पंडाल अहमदाबाद से लाकर खड़ा किया जाता था। आसाराम अपने नाम का डंका बजवाने के लिए अपनी तस्वीरों वाले बड़े-बड़े बैनर, पोस्टर, स्टीकर, कैलेंडर अपने ही कारखाने में बनवाता था। च्यवनप्राश, यौन उत्तेजक दवाओं, चूर्ण, चाय, साबुन, बिस्किट, पेन, आडियो-वीडियो कैसेट, घड़ियों, चाबी के छल्लों आदि को खपाने के लिए अपना पूरा प्रचार तंत्र लगा देता था। खुद को महान संत दर्शाने के लिए ‘ऋषि प्रसाद’, ‘दरवेश दर्शन’, -लोक कल्याण सेतु’ आदि पत्र-पत्रिकाओं को लाखों की संख्या में छपवा और बिकवा कर रातों-रात करोड़ों की कमायी कर लेता था। दरअसल, आसाराम आम भोले-भाले लोगों को अंधविश्वासी बनाने और उनकी हर कमजोरी का फायदा उठाने की सभी धूर्त कलाओं में जन्मजात पारंगत रहा है। इस असंत ने चंद वर्षों में अरबों-खरबों की दौलत जुटायी। दुष्ट सौदागर आसाराम के पास जब धन को अपने पास रखने की जगह नहीं बची तो उसने विभिन्न नगरों-महानगरों में रहने वाले अपने खास शिष्यों के द्वारा उस धन को ब्याज पर चलवाना प्रारंभ कर दिया। उसके यह चेले-चपाटे उस रकम को मोटे ब्याज पर चलाकर खुद भी मालामाल होते रहे और अपने ‘लालची आका’ की तिजोरी का भी वजन बढ़ाते रहे। कुकर्मी आसाराम और उसके बेटे नारायण के जेल में जाने के बाद उस सारी की सारी काली धन दौलत पर उन्हीं चेले-चपाटों का हमेशा-हमेशा के लिए कब्जा हो गया। उम्रकैद के बाद तो उन्हें पक्का यकीन हो गया है कि उनके पास अमानत के तौर पर रखवायी गयी अपार माया को अब कोई भी वापस नहीं मांगने वाला। दोनों यौन रोगी जेल में ही मर-खप जाने वाले हैं। दिल्ली, पुणे, इन्दौर, अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, नागपुर, पानीपत, कटनी जैसे नगरों-महानगरों में रहने वाले जिन चेलों के पास आसाराम एंड कंपनी की काली दौलत जमा थी वे अंदर ही अंदर बहुत खुश हैं। वे भी यही चाहते हैं कि बाप-बेटा कैद में ही परलोक सिधार जाएं। अपने ‘बापू’ के धन से इन्होंने बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर ली हैं। विशाल फार्म हाऊस के साथ कारों की कतारें भी लग गई हैं। इनकी शान-शौकत देखते बनती है। ‘चोर का माल खाए चांडाल’ कहावत को चरितार्थ कर दिखाने की इनकी हिम्मत, ‘प्रताप’ और मक्कारी का लोहा शहरवासी भी मानने लगे हैं।

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