Thursday, February 23, 2023

कलाकारी

    मेले ठेले देश की पहचान हैं। अपनी कहने को आतुर साधु-संतों, प्रवचनकारों, किस्म-किस्म के चर्चित सच्चे-झूठे चेहरों को देखने और सुनने के लिए यहां भीड़ का जुटना-जुटाना बहुत आसान है। जादू-टोना, भूतप्रेत और झाड़फूंक के प्रति विश्वास रखने की घातक भूल और भ्रम से बचने की सीख देते-देते सदियां बीत गईं, लेकिन फिर भी कई लोग अभी भी अंधविश्वासों की मजबूत जंजीरों में बुरी तरह से जकड़े हैं। उनकी भेड़चाल और अंधभक्ति की वजह से इस आधुनिक युग में भी नये-नये तथाकथित चमत्कारी बाबाओं को अपने दरबार सजाने में तनिक भी मेहनत नहीं करनी पड़ती। आसाराम, राम रहीम, रामपाल, नित्यानंद जैसे कई कपटी-ढोंगी असंत अब जेलों में बंद हैं या अपनी पोल खुलने के पश्चात गायब हो गये हैं। पिछले कुछ हफ्तों से बागेश्वर धाम सरकार के नाम से देशभर के मीडिया में छाये धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की नेताओं ने भी कीमत बढ़ा दी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा कमलनाथ आदि की हाथ जोड़कर नतमस्तक खड़े होने की तस्वीरें देखकर अनजान लोग भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को जानने, देखने और सुनने को लालायित हो गए। मात्र 26-27 साल के धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारी दावों की गूंज के बीच कुछ विरोध के स्वर भी उठे, लेकिन उन्हें बड़े सुनियोजित तरीके से दबा और दबवा दिया गया। कुशल प्रवचकार धीरेंद्र शास्त्री ने कम समय में धर्म के बाजार में जिस तरह से अपनी धाक जमायी है, उससे पुराने बाबा और प्रवचकारों को भी अपने मायावी जादू के कारोबार पर संकट के बादल मंडराते नजर आने लगे हैं। फिल्मी नायक के से चेहरे-मोहरे वाला यह युवक लोगों के चेहरे के साथ-साथ वर्तमान हालात की नज़ाकत को भी खूब समझता है। तभी तो उसने विरोधियों का मुंह बंद करने और करवाने के लिए ‘हिंदू राष्ट्र’ का गुब्बारा आकाश में ऐसे उड़ाया कि अनेक लोगों को उसमें अलौकिक चमत्कारी बाबा के साथ-साथ भावी राष्ट्रनेता का भी चेहरा नजर आया है। 

    मंचों पर मुस्कराते हुए सनातन का राग अलापने वाले इस ताजा-ताजा बाबा के प्रति आम लोगों की दीवानगी का हाल यह है कि वे उन्हें अपना संकटमोचक मानने लगे हैं। दरअसल, सभी के दिल-दिमाग में यह बात बिठा दी गई है कि बाबा के पास हर बीमारी का इलाज है। वह शरीर और चेहरा पढ़ने में पारंगत है। अपनी सफलता पर बाबा गद्गद् है। एक से एक बीमार उनके दरबार में पहुंच रहे हैं। भीड़ में बेहाल हो रहे हैं। फिरोजाबाद की रहने वाली नीलम देवी नामक महिला की हाल ही में बागेश्वर धाम में मौत हो गई। लोग हतप्रभ रह गए। नीलम देवी किडनी की बीमारी की शिकार थी। उसके घरवालों ने जहां-तहां जोर-शोर से सुना था धीरेंद्र शास्त्री की दरबार में बिना किसी दवाई के फौरन चमत्कार हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बेचारी नीलम देवी चल बसी। अपनी अर्जी... फरियाद लेकर बागेश्वर धाम पहुंची महिला के भला-चंगा होने की बजाय चल बसने पर सोशल मीडिया पर किस्म-किस्म की बहस छिड़ गई। नीलम देवी के घरवाले बेवकूफ थे, जो उसे बागेश्वर धाम ले गए। अस्पताल ले गए होते तो बच भी जाती। इस मौत पर बाबा को कोसना बेवकूफी है। वे उसे बुलाने के लिए तो नहीं गए थे। यह भी तो सच है कि बाबा का बीमारों को ठीक-ठाक करने का अंधाधुंध प्रचार-प्रसार भी कम कसूरवार नहीं। वैसे भी अंधविश्वासी अपने दिमाग का कम ही इस्तेमाल करते हैं। 

    उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के तिवारीपुर इलाके में हाल ही में यज्ञ का आयोजन किया गया। जुलूस की शान-शोभा बढ़ाने के लिए बड़ी धूमधाम के साथ एक विशाल हाथी को वहां पर लाया गया। कलश यात्रा के लिए महिलाएं जल भरने को जाने को तैयार थीं। तभी कुछ अति उत्साही लोग हाथी से छेड़छाड़ का मज़ा लेने लगे, तो कुछ उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए धक्का-मुक्की पर उतर आए। भीड़ की अनियंत्रित हरकतें देखकर हाथी को गुस्सा आ गया। फिर भी उसके साथ फोटो खिंचवाने वालों की अक्ल पर ताले पड़े रहे। वे अपनी ही ‘भक्ति मस्ती’ में हाथी को छेड़ते रहे। कोई उसकी सूंड को पकड़ता तो कोई उसकी भरी-पूरी काया को। फिर जानवर तो आखिर जानवर ही होता है। उसने अपना उत्पाती रंग दिखा ही दिया, जिसकी वजह से तीन लोगों की मौत हो गई। विशाल हाथी के पैरोंतले कुचले-मसले गए मृतकों में एक बच्चा भी था, जो काफी समय से बीमार था। इस बच्चे की मां उसे हाथी से आशीर्वाद दिलाने के लिए बड़ी श्रद्धा और उम्मीद के साथ अपने मायके आई थी। उसके माता-पिता ने भी उसे हर तरह से आश्वस्त किया था कि बच्चे का अस्पताल में इलाज कराना व्यर्थ है। यज्ञ में लाकर उसका पूजन कराओ तो वह चुटकियां बजाते ही रोगमुक्त हो जाएगा। 

    मध्यप्रदेश के सिहोर जिले में स्थित कुबेरेश्वर धाम में मुफ्त रुद्राक्ष पाने के लिए देशभर से लाखों लोग जमा हो गए। सबसे पहले रुद्राक्ष हासिल करने के लिए मची धक्का-मुक्की में कई लोग चक्कर आने से बेहोश हो गए। महाराष्ट्र के मालेगांव से आई एक पचास वर्षीय महिला सहित चार लोगों की मौत हो गई। कुछ महिलाएं भी लापता हो गईं। कुबेरेश्वर धाम के कर्ताधर्ताओं ने देशभर में प्रचार का डंका बजवाया था कि उनके द्वारा वितरित किए जाने वाले रुद्राक्ष अत्यंत गुणकारी और असरकारी हैं। इस रुद्राक्ष को पानी में डालें और बस उस पानी को पी लें। इससे उनकी हर बीमारी तथा समस्या फुर्र हो जाएगी। यही नहीं भूत बाधा के पुराने से पुराने संकट का भी तुरंत में निवारण हो जाएगा। ऐसे चमत्कारी रुद्राक्ष को किसी भी हाल में हासिल करने के लिए लोग खाना-पीना तक भूल गए। भूखे-प्यासे घण्टों लाइन में लगे रहे। दस लाख लोगों का जमावड़ा कोई म़जाक नहीं होता। उसे संभालने के लिए सुरक्षा के सभी इंतजाम करने होते हैं, लेकिन यह ‘रुद्राक्ष महोत्सव’ तो पूरी तरह से भगवान भरोसे था।

    अपने देश भारत में लोगों की आस्था से खिलवाड़ करने के मामले में कई भगवाधारी विख्यात और कुख्यात रहे हैं। अखबारों तथा न्यूज चैनलों का दायित्व है लोगों को कपटी साधुओं की अंधभक्ति के चंगुल से बचाना, लेकिन मीडिया भी तरह-तरह के खेल करने की उस्तादी दिखाता चला आ रहा है। कुछ वर्ष पूर्व संतरा नगरी नागपुर के एक सबसे पुराने दैनिक अखबार ने अपनी पाठक संख्या और धंधे को बढ़ाने तथा डूबती नैय्या को पार लगाने के लिए शहर में स्थित साईं मंदिर में भभूत के साथ मोतियों का प्रसाद बांटा था। ‘प्रसाद’ के लिए अधिक से अधिक भीड़ पहुंचे इसके लिए कई दिनों तक प्रचारबाजी का भोंपू बजाया जाता रहा था। इन मोतियों को शहर के नेताओं, बिल्डरों, उद्योगपतियों तथा विभिन्न जिन रंगधारी समाजसेवकों तथा कलाकारों ने सपत्निक अभिमंत्रित यानी सिद्ध (!) किया था, उनकी तस्वीरें भी अखबार में प्रकाशित की गई थीं। शहर भर में होर्डिंग्स भी लगाये गए थे। मजे की बात तो यह थी कि, मोतियों की संख्या तो थी मात्र इक्कीस हजार, लेकिन दूर-दूर से लाखों लोगों को निमंत्रित किया गया था। तब भी खूब भगदड़ मची थी। हर किसी को चमत्कारी मोतियों का प्रसाद पाने की जल्दी थी। अखबार मालिकों की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था, लेकिन कई महिलाएं भूखी-प्यासी बच्चों को अपनी गोद में लेकर रोती-बिलखती रहीं थीं। भारी भीड़ को पुलिस ने बड़ी मुश्किल से संभाला था...।

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