Thursday, March 23, 2023

यह क्या है सरकार?

     आजकल के युवा प्यार के भंवर में फंसने की जल्दी में हैं। प्यार, मोहब्बत ही क्यों, हर काम को फर्राटे से करने में उन्हें जिस रोमांच का स्वाद मिलता है, उससे वे वंचित नहीं होना चाहते। आज के अधिकांश लड़के-लड़कियों को परिणाम की भी चिंता नहीं रहती। जो होगा देखा जाएगा की मानसिकता के इस जमाने में करे कोई और भरे कोई की पुरातन कहावत बड़ी तीव्रता से चरितार्थ होती दिख रही है। सरकारें और स्वयंभू पंचायतें अपनी मनमानी कर रही हैं। जेबों से बलवान ऊंची पहुंच वालों का जबरदस्त बोलबाला है। असहायों और गरीबों की कोई सुनने को तैयार नहीं। गजब की मनमानी का दौर है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले उधा अहिरवार के जवान बेटे को एक सजातीय लड़की से प्यार हो गया। जब उन्हें लगा कि परिवार और समाज उनके प्यार को स्वीकार करने की बजाय अवरोध खड़े करने से नहीं चूकने वाला तो दोनों घर-गांव छोड़ भाग गये। लड़की के माता-पिता को लगा कि किसी ने दिन-दहाड़े उनकी प्रतिष्ठा को रौंदते हुए उनकी भोली-भाली बेटी को बरगलाने की अक्षम्य दुष्टता की है। पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवाने की बजाय उन्होंने गांव की दबंगों की पंचायत का दरवाजा खटखटाया। पंचायत के शूरवीर कर्ता-धर्ता तुरंत काम में लग गये। उन्होंने लड़के के पिता उधा अहिरवार को तुरंत फरमान सुनाया कि वह कहीं से भी दोनों को ढूंढ़ कर लाए नहीं तो उसकी तथा उसकी पत्नी की ऐसी-तैसी करने में देरी नहीं की जाएगी। उन्हें ऐसा दंड दिया जाएगा, जिससे उनकी कई पीढ़ियां शर्म और दर्द से कराहती रहेंगी। लड़के के माता-पिता ने हाथ जोड़कर कहा कि उनका जवान बेटा अपनी मनमर्जी का मालिक है। उसके क्रियाकलापों की उन्हें कभी कोई जानकारी नहीं रहती। ऐसे में वे दोनों को कहां से पकड़कर लाएं? भगौड़े लड़के को पंचायत के समक्ष हाजिर करने में असमर्थता जताने पर पंचों के गुस्से का पारा बेकाबू हो गया। लड़की के परिजनों ने वृद्ध माता-पिता को अंधाधुंध पीटना प्रारंभ कर दिया। पंचों के हिटलरी आदेश पर लड़के के पिता के हाथ-पैर में कसकर रस्सी बांधने के पश्चात नीम के पेड़ से बांध दिया गया, ताकि सभी जान जाएं कि किसी संपन्न परिवार की लड़की को भगाने पर लड़के के गरीब माता-पिता की कैसी दुर्गति हो सकती है। दो दिन तक उन्हें जानवरों की तरह मारा-पीटा जाता रहा। पत्नी रोती-बिलखती रही। अपने हाथों से पति को खाना भी खिलाती रही। इसी दौरान किसी जागरूक सज्जन इंसान ने पुलिस को फोन लगाकर पूरा माजरा बताया, लेकिन वह नहीं आई। कई घंटों की मारपीट तथा जंजीरों में बंधे रहने के कारण उधा अहिरवार अधमरी हालत में जा पहुंचे। बड़ी मुश्किल से जंजीरों से मुक्त करवा पत्नी पति को घर ला पाई। कुछ देर के बाद उसे शौच के लिए बाहर जाना पड़ा। उसके जाते ही उधा ने आत्महत्या कर ली। बंधक बनाकर मारपीट का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की नींद टूटी। काश! वह तब जाग जाती जब जाति पंचायत बेटे की करनी की खौफनाक सज़ा पिता को देने पर तुली थी, लेकिन अपने देश में ऐसे किसी चमत्कार की आशा रसूखदार तो रख सकते हैं, लेकिन दलित, शोषित और गरीब तो बिलकुल नहीं। 

    अपनी गुंडागर्दी और मनमानी चलाने वाली खाप पंचायतों तथा जाति पंचायतों को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका है, लेकिन फिर भी उनकी तानाशाही की खबरें मीडिया में सुर्खियां पाते हुए चौंकाती रहती हैं। उत्तर भारत में तो ये पंचायतें जाति, गोत्र और परिवार की इज्जत के नाम पर लड़के-लड़कियों के लिए भय तथा आतंक का प्रयाय बनी हुई हैं। प्यार, मोहब्बत एक ऐसी पवित्र भावना है, जिसका गरीबी, अमीरी, जाति धर्म और गोत्र से कोई लेना-देना नहीं होता। यह तो बस हो जाता है। इसलिए अंधा भी कहलाता है, लेकिन वो अंधे क्यों बन जाते हैं, जो मासूम प्रेमी-प्रेमिका के आड़े आते हैं! उन्हें कहीं दूर भाग जाने को विवश करते हैं? इन पंचायतों में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता। पुरुष ही सभी फैसले लेते हैं। इसी तरह से इन पंचायतों में दलितों के लिए भी कोई जगह नहीं। अगर कहीं होती भी है तो उनकी सुनी नहीं जाती। जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर चलने वाली इन पंचायतों की तानाशाही ने कितनी जानें ली हैं, इसका कोई हिसाब नहीं। 

    हैरत भरी हकीकत तो यह भी है कि, अब तो सरकारें भी खाप पंचायतों की तर्ज पर फैसले करने, सुनाने लगी हैं। अपनी अहंकारी इज्जत की खातिर बेकसूर पिता को जंजीरों में बांधने की खबर पढ़ते-पढ़ते मुझे आसिफ और साक्षी की याद हो आई। मध्यप्रदेश के छोटे से गांव में रहने वाले इस सच्चे प्रेमी जोड़े को धर्म के ठेकेदारों ने बार-बार चेताया कि तुम दोनों का अलग-अलग धर्म से वास्ता है, ऐसे में फौरन दूरियां बना लो। नहीं तो वो हश्र होगा कि दुनिया देखेगी। जिद्दी प्रेमी-प्रेमिका अंत तक नहीं माने। साक्षी के माता-पिता ने तो किसी तांत्रिक से झाड़फूंक भी करवायी फिर भी उनकी बेटी की अक्ल ठिकाने नहीं आयी। दोनों ने अपने गांव से पांच सौ किलोमीटर दूर भागकर शादी कर ली। प्रेम के शत्रुओं के डर से भागते फिर रहे जोड़े ने एक वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसमें साक्षी बड़े साहस के साथ कहती दिखी कि मैं अपनी मर्जी से आसिफ के साथ शादी के बंधन में बंधी हूं। हमें आजादी से जीने दिया जाए। साक्षी के माता-पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी कि बदमाश आसिफ उनकी बेटी को बरगलाकर ले भागा है। पुलिस ने भी खूब चुस्ती दिखायी। वह दोनों के पीछे दौड़ पड़ी। समाज में आपसी तनाव और खिंचाव के मंजर देख प्रशासन भी ऐसे हरकत में आया कि जागरूक(?) प्रशासनिक अधिकारियों ने रातों-रात आसिफ के परिवार की दुकान और घर को बुलडोजर चलवा कर जमींदोज कर दिया। कारण भी बता दिया कि अवैध निर्माण था इसलिए गिरा दिया। मेरे मन में बार-बार यही विचार आता रहा कि खुद को सही दर्शाने के लिए तर्क और बहाने कितनी आसानी से तलाश लिए जाते हैं।

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